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कुंभकार का धंधा किया मंदा

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21 Apr 18
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आधुनिक तकनीकी युग में अधिकांश कार्य मशीनों से होने एवं ज्यादातर घरों में मिट्टी के बर्तनों की जगह रेफ्रिजरेटरों व वाटर कूलरों के लेने के चलते मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचने वालों के समक्ष रोजी रोटी का संकट गहरा गया है। नतीजतन मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में कुंभकार गर्मी के मौसम में बेरोजगारी के मुहाने पर खड़े हैं और इस कार्य से जुड़े श्रमिक प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में शहरों की ओर पलायन को मजबूर हैं। शादी विवाह जैसे मांगलिक कायरे में कुल्हड़ व नांदों की पहले खासी बिक्री होती थी, लेकिन अब बाजार में इनकी मांग घटने से कुंभकार भी इस कार्य से दूर होते जा रहे हैं।पेशे से कुंभकार पाढर कस्बे के सन्तोष प्रजापति का कहना है कि कभी गर्मियों में ठंडे पानी के लिए लोग घड़ों का उपयोग करते थे। इससे खासी बिक्री होती थी और परिवार का ठीक प्रकार से भरण पोषण भी हो जाता था। मगर जबसे फ्रिज व वाटर कूलर उपकरण बाजार में आये हैं, घड़ों की मांग घट गई है।
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