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राजस्थान में जीवनशैली में बदवाल से उच्च रक्तचाप में बढोतरी

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18 May 16
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उदयपुर। जीवनशैली में आए बदलाव के कारण राजस्थान में दिल से सम्बन्धित विकार पनपने लगे हैं। मुख्य रूप से शहरी आबादी के बीच उच्च रक्तचाप की व्यापकता पाई गई। अतः भोजन की आदतों को समायोजित करने की जरूरत है। यह बात डॉ. अतल माथुर, निदेशक इनवेसिव कार्डियोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉट्र्स हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली ने कही।
डॉ. अतल माथुर ने कहा कि उच्च रक्तचाप के कारणों में प्रमुख रूप से धूम्रपान, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों अथवा व्यायाम की कमी, भोजन में अत्याधिक मात्रा में नमक और मसालों का सेवन, मदिरापान, तनाव, अधिक उम्र, अनुवांशिक, पारिवारिक पृष्ठभूमि शामिल है। देश के अन्य हिस्सों की तुलना में राजस्थान में चटखारेदार, मसालेदार और नमकयुक्त भोजन का सेवन अधिक किया जाता है जिसका हृदय पर भारी प्रभाव पडता है। यहां देशी घी भी भोजन का एक अभिन्न अंग माना जाता है, जो कि सेहत के लिए तो बेहतर है, लेकिन हद से ज्यादा घी के सेवन से स्वास्थ्य को क्षति पहुंचती है और रक्त में कोलेस्ट्राॅल की मात्रा अधिक हो जाने के कारण उच्च रक्तचाप हो जाता है।
डॉ. माथुर ने कहा कि शरीर के लिए सोडियम की अधिकतम मात्रा 2,400 से 3000 मिलीग्राम प्रतिदिन होनी चाहिए। अत्यधिक मात्रा में नमक के सेवन का परिणाम रक्त में जल प्रतिधारणा की वृद्धि हो जाती है और प्रत्यक्ष रूप से रक्तचाप बढने का खतरा रहता है। जल प्रतिधारणा की रक्त में मात्रा अधिक होने से इसकी पम्पिंग रक्त धमनियों के माध्यम से होती है नतीजतन उच्च रक्तचाप होने लगता है। परिणाम स्वरूप या तो हृदय को क्षति पहुंचती है या फिर दिल का दौरा पड सकता है। इसके लिए जरूरी है कि जब आप खाना पका रहे हैं, तो उसमें घर के एक सदस्य को कम मानते हुए नमक और मसाले डालें। उन्होंने कहा कि डायनिंग टेबल से नमकदानी को हटा दे। मसालों को एक ही डिश में रिपीट नहीं करें जैसे कि सब्जी में जीरा डाल दिया है तो फिर उपर से जीरा पाउडर नहीं डालें। नियमित रूप से व्यायाम और हंसी स्वस्थ्य जीवन का सबसे बडा राज है।
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