GMCH STORIES

खजूर को सिर्फ मेवा नहीं समझिये

( Read 18889 Times)

18 Jul 17
Share |
Print This Page
खजूर शीतल, स्निग्ध, पित्त तथा कफ नाशक होता है। खजूर तीन प्रकार के होते हैं− खजूर, पिंड खजूर तथा गोस्तन खजूर (छुहारा) दरअसल खजूर सूखने पर छुहारा कहलाता है। खजूर एक प्रकार का सस्ता मेवा भी है, इस कारण उसे गरीबों का पाक भी कहते हैं।

वैज्ञानिक मतानुसार खजूर में 5 प्रतिशत प्रोटीन, 3 प्रतिशत वसा तथा शर्करा 67 प्रतिशत होते हैं। साथ ही इसमें अल्प मात्रा में कैलशियम, लोहा तथा विटामिन ए, बी और सी भी पाए जाते हैं। पूरी तरह से पके हुए खजूर में शर्करा की मात्रा 85 प्रतिशत तक हो जाती है। प्रति 100 ग्राम खजूर के सेवन से 283 कैलोरी ऊर्जा मिलती है।

आयुर्वेद के अनुसार, खजूर पौष्टिक, मधुर, हृदय को बल देने वाला, क्षय, रक्त तथा पित्त शोध नाशक होता है, इसके अलावा यह फेफड़े के रोगों को दूर करने वाला मस्तिष्क शामक, नाड़ी बलदायक, वातहर, मानसिक दुर्बलता, कटिशूल, सायटिका तथा मदिरा के विकारों को दूर करता है। दमा, खांसी, बुखार तथा मूत्र संबंधी रोगों में भी खजूर का प्रयोग गुणकारी होता है।

यूनानी चिकित्सा में खजूर को उष्ण तथा तर प्रकृति का माना गया है। यूनानी मत के अनुसार यह थकावट दूर करने वाला, शरीर को पुष्ट करने वाला तथा गुर्दों की शक्ति बढ़ाने वाला होता है। पक्षाघात के उपचार में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

विभिन्न रोगों के उपचार में खजूर का प्रयोग किया जाता है जैसे सर्दी-जुकाम होने पर खजूर को एक गिलास दूध में उबाल कर खा लें फिर ऊपर से वही दूध पीकर मुंह ढककर सो जाएं। खजूर की गुठली को पानी में घिसकर लेप बनाकर माथे पर लगाने से सिरदर्द दूर होता है। दमे के कष्ट से राहत पाने के लिए खजूर के चूर्ण को सोंठ के चूर्ण के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर पान में रखकर दिन में लगभग तीन बार खाएं।

जिन्हें बार−बार पेशाब आने की शिकायत हो उन्हें दिन में 2 बार दो−दो छुहारे तथा सोते समय दो छुहारे दूध के साथ खाने चाहिएं। जो बच्चे बिस्तर गीला करते हों उनके लिए भी ऐसा ही प्रयोग करें। बच्चों में सूखा रोग होने पर खजूर और शहद की बराबर मात्रा दिन में दो बार नियमित रूप से कुछ हफ्तों तक खिलाएं।

छोटे−मोटे घाव होने पर खजूर की जली गुठली का चूर्ण लगाएं। नींबू के रस में खजूर की चटनी बनाकर खाने से भोजन के प्रति अरूचि मिटती है।

शहद के साथ खजूर के चूर्ण का तीन बार सेवन रक्त पित्त की अवस्था में लाभदायक होता है। अतिसार रोग में दही के साथ खजूर के चूर्ण का उपयोग लाभदायक होता है। बवासीर होने की अवस्था में खजूर गर्म पानी के साथ सोते समय लें। कब्ज के लिए भी यही प्रयोग अपनाएं।

एक कप दूध में दो छुहारे उबालकर खाना बलवर्धक होता है। ऊपर से वही दूध पी भी लेना चाहिए। सर्दियों में यह प्रयोग ज्यादा लाभ देता है। यों तो सर्दियों में खजूर का सेवन सबसे ठीक रहता है फिर भी गर्मियों में सूखे खजूरों को भिगोकर खाया जा सकता है। जिस पानी में ये भिगोए गए हों उसे पेय के रूप में लेना उत्तम होता है। भीगा खजूर गर्मी नहीं करता उसे गाय के कच्चे दूध के साथ लिया जा सकता है। परन्तु ध्यान रखें कि इस दूध का सेवन भोजन के साथ न करें अन्यथा अभीष्ट लाभ नहीं मिला पाता।

खजूर के पेड़ के ताजे रस को नीरा तथा बासी नीरी को ताड़ी कहते हैं। नीरा बहुत पौष्टिक एवं बलवर्धक होता है। यह शारीरिक कमजोरी, दुबलापन, मूत्र की रुकावट तथा जलन दूर करने में उपयोगी होता है।

इसके रस से गुड़ भी बनाया जाता है। इसका प्रयोग वात तथा पित्त शामक औषधि के रूप में किया जाता है। साथ ही यह हृदय को पुष्ट करता है तथा उससे उपजी दूसरी बीमारियों का निदान भी करता है।

आजकल खजूरों को वृक्ष से अलग करने के उपरांत रासायनिक पदार्थों की मदद से सुखाया जाता है। ये रसायन हानिकारक होते हैं इसलिए बाजार के खजूरों का उपयोग करने से पहले उन्हें अच्छी तरह धो लेना चाहिए। धोने के बाद उन्हें सुखाकर विभिन्न प्रकार से उनका प्रयोग किया जा सकता है।
Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Health Plus
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like