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स्वाति जांगिड़ ने इंग्लैण्ड के मैनचेस्टर में भारत का नाम रोशन किया

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19 Jul 18
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स्वाति जांगिड़ ने इंग्लैण्ड के मैनचेस्टर में भारत का नाम रोशन किया
अजमेर की रहने वाली मूक बधिर बेटी स्वाति जांगिड़ ने इंग्लैण्ड के मैनचेस्टर में भारत का नाम रोशन किया है। जांगिड़ ने वहां आयोजित हुई शतरंज प्रतियोगिता में विश्व की सभी साथी खिलाड़ियों को शिकस्त देकर स्वर्ण पदक प्राप्त किया है।
अजमेर के पंचशील नगर निवासी गिरधारी लाल जांगिड़ की बेटी स्वाति जांगिड़ जो बचपन से ही सुनने और बोलने में असमर्थ है। स्वाति का गत दिनों अर्न्तराष्ट्रीय बधिर शतरंज समिति द्वारा इंग्लैण्ड के मैनचेस्टर में आयोजित 5वीं आईसीसीड़ी एकल प्रतियोगिता में चयन किया गया। स्वाति ने वहां शानदार प्रदर्शन करते हुए विभिन्न देशों से आई प्रतिभागियों को शिकस्त देकर स्वर्ण पदक जीत लिया। प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक, रजत पदक और कांस्य पदक जीतने वाली विजेता खिलाड़ियां को आईसीसीडी के प्रेसीडेंट फिलिप के गार्डनर ने पदक और सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। उक्त प्रतियोगिता 6 जुलाई से 16 जुलाई के बीच आयोजित की गई थी।
जश्न सा माहौल
बधिर विद्यालय के प्रधानाचार्य संत कुमार सिंह ने कहा कि जैसे ही स्वाति जांगिड़ के पिता गिरधारी लाल जांगिड़ ने जब स्वाति के स्वर्ण पदक जीतने की खबर सुनाई तो मानों स्कूल में जश्न सा माहौल हो गया। स्कूल के सभी बच्चे और स्टॉफ ने खुशी का इजहार किया।
एक परिचय
स्वाति जांगिड़ के पिता गिरधारी लाल रेलवे स्टेशन पर सहायक स्टेशन मास्टर के पद पर तैनात है। स्वाति का जन्म वर्ष 1992 में हुआ था। उसकी शारीरिक अक्षमता देखकर पहले तो परिवारजन काफी निराश रहते थे लेकिन जैसे ही उसे बधिर विद्यालय में प्रवेश दिलवाया गया तो वह पढ़ाई के साथ ही शतरंज में भी अच्छा प्रदर्शन करने लगी। जांगिड़ बताते हैं कि कभी भी स्वाति ने किसी प्रतियोगिता में जाने की मंशा जताई तो उन्होंने कभी भी उसे निराश नहीं किया और हमेशा उसकी हौंसला अफजाई की। आज इंग्लैण्ड में स्वर्ण पदक जीतने की खबर सुनकर तो वह फूल नहीं समां रहे। आपको बता दें कि स्वाति ने बधिर विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के बाद इंदौर के डैफ बिलिंगुअल एकेडमी में साईन लैंग्वेज की पढ़ाई करने गई थी। यहां से पढ़ाई करने के बाद उसने वैशाली स्थित स्कूल में दो साल तक बच्चों को पढ़ाया। इसी दौरान उसकी जॉब दिल्ली के साईन लैंग्वेज रिसर्च इंस्टीट्यूट में लग गई। उसने काफी समय तक यहां पर जॉब की। गत जून माह में उसने हायर स्टडीज के लिए नौकरी छोड़ दी और वापस इंदौर चली गई। वर्तमान में वह इंदौर से साईन लैंग्वेज का सी लेवल कोर्स कर रही है।
यहां भी जीते मैडल
संत कुमार बताया कि स्वाति जांगिड़ इससे पहले ही भी अर्न्तराष्ट्रीय स्तर की शतरंज प्रतियोगिता में भाग लेकर देश को मैडल दिलवा चुकी है। वर्ष 2010 में बधिर शतरंज ओलम्पिक में स्वाति ने भारत को पांचवा स्थान दिलवाया, बधिर एशियाड़ 2012 जो कि ताशकंद में हुआ, इसमें स्वर्ण पदक और बधिर एशियाड़ 2015 जो मंगोलिया में हुआ, इसमें देश को चौथा स्थान दिलवाकर विश्व में नाम रोशन किया।
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