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ंफातेमी दावत द्वारा एक बहुभाषीय वेबसाइट की शुरुआत

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21 Sep 17
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ंफातेमी दावत द्वारा एक बहुभाषीय वेबसाइट की शुरुआत उदयपुर।www.fatemidawat.com वेबसाइट पर खबरों, तालीमी जौर मजहबी मामलात से जुडी सामग्रियां होंगीं और यह उपर्युक्त सभी भाषाओं में मुहैया की जायेंगी इन्हें उस यूजर इंटरफेस के साथ बिना रुकावट के एकीकृत किया गया है, जिसका ज्ञान प्रयोग करने वाले के पास पहले से मौजूद हो् इस बहुभाषीय वेबसाइट के मार्फत लोगों को उनकी सुविधाजनक भाषा में दाउदी बोहरा जमात के बार में जानकारियाँ देने में दावत की कोशिशों को ताकत मिलेगी इसे सादना ताहेर फखरुद्दीन की रहनुमाई में डेवलप किया गया है व्यापक समुदाय तक पहुंचने की लगातार कोशिश के हिस्से के तौर पर इस वेबसाइट को अब बहुभाषीय बनाया गया है और अब इसमें लिसान उद-दावत (जमात की विशिष्ट बोली) हिंदी, अरबी और गुजराती के सेक्शंस रखे गए हैं।
जैसा कि सादना के भाई, डॉ. अब्देअली सैफुद्दीन ने कहा है कि सादना ताहेर फखरुद्दीन एक प्रगतिशील सोच के मजहबी रहनुमा हैं, जो अपने अनुयायियों और व्यापक समाज के बौद्धिक और सामाजिक सशक्तीकरण के लिए लगातार कोशिश करते हैं। उन्हें इस तरह की पहलकदमी में सत्रि*य भूमिका निभाने में बेहद फख्र महसूस होता है जिससे कि तमाम हिस्सदारों को समाज के बारे में सही-सही जानकारी मुहैया हो सके। मार्च 2॰16 में अपने वालिद के इंतकाल के बाद दै अल-मुत्लक का मुकद्दस ओहदा कबूल करने के वक्त से हीए सादना ताहेर फखरुद्दीन ने जमात की खुशहाली की दिशा में लगातार काम किया है। उन्होंने काफी कम समय में सभी के लिए गैर-साम्प्रदायिक और धार्मिक तालीम की अहमियत और ख्नास कर समाज में औरतों के लिए सम्मान का दर्जा स्थापित करने में कामयाबी हासिल की है इलाकाई जमातों की अपनी भाषाओं में और ज्यादा सुलभ नयी मीडिया फॉर्मेट के इस्तेमाल के द्वारा विविध जन समुदाय के बीच उनक पैगाम फैलाना प्रमुख फोकस एरिया में से एक है। फातेमी दावत वेबसाइट और सोशल मीडिया आज प्रमुख आकर्षक प्लैटफॉर्म बन चुका है।
जैसा कि कुरआन में बताया गया है, खुदा कोई संदेशवाहक नहीं भेजता, लेकिन जो लोगों की जुबान में बोलता है, और जो अपनी जुबान का पक्का होता है, वह खुदा का बन्दा होता है, इस ख्याल से जब दावत ने दै की रहनुमाई मैं अरब प्रायद्वीप से भारत में कदम रखा, तो उस वक्त एक भाषा अपनाई गयी दृ लिसानुद-दावत जिसका मकसद भारतीय लोगों तक अवाम की समझ में आने वाली भाषा में पैगम्बर मुहम्मद सल्ल का पैगाम पहुंचाना है। लिसानुद-दावत भाषा का गुजराती भाषा के साथ गहरा रिश्ता है और इस पर अरबी का भी काफी प्रभाव है। दाउदी बोहरा समुदाय की बोलचाल में इस भाषा का सबसे व्यापक प्रयोग होता है और अधिकांश धार्मिक प्रवचन इसी भाषा में दिए जाते हैं। इस जमात के काफी लोग मुम्बई गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित भारत के दूसरे हिस्सों में बसे हुए हैं साथ ही पाकिस्तान यमन पूर्वी अफ्रीका यूएसए यूके और सुदूर पूर्व में भी बडी संख्या में इसके अनुयायी मौजूद हैं। अशरा (मुहर्रम) के मुकद्दस मियाद के दौरान और भाषाओं के अलावा लिसानुद.दावत में भी नसीहतें दी जायेंगी जिनका सीधा प्रसारण फातेमी दावत वेबसाइट पर किया जाएगा। इस मौके पर सादना ताहेर फखरुद्दीन भी दूसरी भाषाओं में जमात को संबोधित करेंगे। यह सारी पहल दुनिया भर के जमात मेम्बरान के लिए इल्म की सुलभता बढाने के लिए जारी कोशिशों का हिस्सा हैं।




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