उदयपुर.कोई यौद्धा है, शूरवीर है, ताकतवर है, उसके पास हथियार भी है लेकिन उसे चलाने की हिम्मत अगर उसके पास नहीं है तो उसके सारे गुण बेकार है। इसी तरह से मनुष्य के पास धन है, दौलत है, शौहरत है, उपभोग की तमामा वस्तुएं है लेकिन उसके पास वेद- विज्ञान, संयम और वैराज्य नहीं है तो भी सब बेकार है। इसी तरह से ‘बिना विनय भाव के भक्ति भी बेकार होती है। उक्त विचार आचार्यश्री सुनील सागरजी महाराज ने हुमड़ भवन में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में व्यक्त किये।
आचार्यश्री ने कहा कि कई बार लोग किसी लोभ के कारण या सम्मान पाने हेतु नमस्कार करते है पर अंतरंग में सच्ची समर्पणता का अभाव होने पर उन्हें उचित फल प्राप्त नहीं होता। आचार्य कुंदकुंद स्वामी कहते है कि जैसे शूर-वीरता के बिना योद्धा का सेना में होना बेकार है, उसके पास तलवार, बंदूक़ सबकुछ होने के बावजूद उनका उपयोग करने की हिम्मत नहीं है तो सभी का क्या औचित्य। किसी भी परिस्थिति में महिलाओं को भोत जल्दी रोना आ जाता है। ये उनकी कमज़ोरी एवं अधिरता का लक्षण है। आंसूओं की कीमत होती है। बिना बात से उन्हें बहा देना बात- बात में रोने लग जाना यह सिर्फ मूर्खता का परिचायक है ना कि किसी दुख का। आचार्यश्री ने कहा कि दु:ख के उदय में यदि हम शोक या संताप करते है तो हमारा दु:ख और बढ़ जाता है। जैसे किसी को बुखार आया हो और वह धूप में बैठ जाए तो तकलीफ़ और बढ़ जाती है। परिस्थिति का सामना कर उसका उपाय करना चाहिए न की दुखी होना चाहिए।
आचार्यश्री ने कहा कि हम मनुष्य है पशु कि तरह लाचार व मजबूर नहीं है कि दु:खमय जीवन जीना पड़े। महिलाओं को समाज में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। लेकिन कई बार उनके जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी घट जाती है कि समाज में उन्हें कहीं न कहीं ठेस पहुंचने जैसी परिस्थियों का सामना करना पड़ता है। अगर जीवन में पति वियोग भी हो गया हो तो उन्हें प्रतिमाधारी व्रती जीवन को अपनाना चाहिए। फिर वह कोई भी शुभ कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त कर सकती है। नारी में मुख्य तीन गुण पाए जाते है-पहला अच्छी संतति को जन्म देना, दूसरा भोजन बनाना और तीसरा मंगलाचार करना। इनके सामने हज़ार अवगुण भी हो तो वह क्षम्य है।
अणिन्दा पाश्र्वनाथ के लिए पैदल यात्री रवाना: मंहमंत्री सुरेश पदमावत ने बताया कि श्री बीसा नरसिंहपूरा युवा परिषद द्वारा उदयपुर से अणिन्दा पाश्र्वनाथ तक की पद यात्रा का शुभारम्भ किया गया। पद यात्रा में 300 से भी अधिक श्रावक-श्रविकाएं प्रात: हुमड़ भवन से अनिंदा पाश्र्वनाथ तक पैदल यात्रा के लिए रवाना हुए। पद यात्रा से पूर्व सभी श्रावक- श्राविकाएं हुमड़ भवन पहुंचे एवं आचार्यश्री सुनीलसागरजी महाराज से मंगल आशीर्वाद लिया उसके बाद सभी पदयात्री जयकारों के साथ अडि़न्दा पाश्र्वनाथ के लिए पैदल रवाना हुए।
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