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बेटे अगर चिराग है तो बाती है बेटियाँ...

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24 May 16
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बेटे अगर चिराग है तो बाती है बेटियाँ... उदयपुर जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय तथा रॉयल्स विकास संस्थान की ओर से अमर शहीद क्रांतिकारी कुंवर प्रताप सिंह बारहट की १३३ वीं जयंती एवं ९८ वें शहादत दिवस पर ४ दिवसीय कार्यक्रम के अन्तर्गत २३ मई सोमवार को विद्यपीठ के बरेलिया सभागार (श्रमजीवी महाविद्यालय टाउन हॉल लिंक रोड) रात्रि ९ बजे विराट वीर रस, हास्य रस कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । संयोजक शंकर सिंह चारण ने बताया कि लखनऊ के वीर रस कवि वैद वृत वाजपेयी ने युवाओं को आव्हान करते हुए कहा कि देश नहीं बनता है मिट्टी, ईट, मकानों से, मॉ का मस्तक ऊॅचा होता है बेटों के बलिदानों से , जहॉ शहीदों के शोणित की एक बद भी गिरती है । मन्दिर, मस्जिद गुरूद्वारे से भी पावन हो जाती है वह धरती ओजस्वी कविता से युवाओं में जोश भर दिया । भीलवाडा से आये पण्डित योगेन्द्र शर्मा ने देश को वेद भूमि बताते हुए कहा शस्य श्यामला अचला को पर कोई काट नही सकता । मन बंटता बेटों का मॉ को कोइ बॉट नहीं सकता, वेद वंदिता वेद भूमि की व्यथा सुनाने निकला ह ।मैं भारत का सोया स्वाभिमान जगाने निकला ह । इसी तरह राजेन्द्र गोपाल व्यास ने एक कदम तुम चलो, दस कदम मैं आउंगा । एक किरण तुम मुझे दो सुरज लटाउंगा । तुम अगर बनो वेदी में मैं हवन कराउंगा । भले हो रही बारिश मैं पतंग उडांउंगा । लाडनु के राजेश विश्नोईने कहा बाबुल की बेशकीमती थाती है बेटिया ।बेटे अगर चिराग है तो बाती है बेटियॉ । बेटों से एक घर भी सम्भलता नहीं मगर ।दो मुख्तलिक घरों को मिलाती है बेटियॉ
कभी थे साफगोई के लिये विख्यात आईने । मगर अब कर रहे है गिरगिटों को मात आईने ।अगर जो बचके रहना हो सुरक्षित दूरियॉ रखो किसी के भी संगे होते नहीं हजरात आईने ।
हिम्मत सिंह उज्जवल । वाह केसरी वाह जोरावर वाहन तो कवर प्रताप ने । अंग्रजा सू अडग्या भारत रा काटण सन्तान ने ।
उदयपुर के सिद्धार्थ देवल ने अपनी मॉ की गोद छोडकर धरती मॉ के लाल बने । दो गज कफन तिरंगा लेकर स्वाभिमान की ढाल बने ।खरपतवार क्या समझेगी बरगद की उंचाई को । ये ही वो दिवाने है जो रण में खुद महाकाल बने ।
संचालक आनन्द रत्नू ने हम शान से जीते है । हमें खुद पे नाज है। अपनी है अलग धुन के हम अलग मिजाज है । हमको वतन की बेडिया जीने नहीं देती । पुरूषां से चला शीश कटाना रिवाज है।
इसी तरह हास्य व्यग्य कवि हरीश हिन्दुस्तानी ने गुरू बिन शिक्षा का उजास नहीं है। कर्ज बिना पूरी होती आस नहीं है। दुनिया उस श्ख्स पर कैसे करे यकीन जिसे खुद अपने आप पर विश्वास नहीं हैं को श्रोताओं ने खुब सराहा । व्यंगकार गोविन्द राठी की कविता व्यंग्य बाण ने हर युग में सियासती की अपनी अपनी व्यवस्था होती है। पहले द्रोपदीयों की इज्जत सभाओं में लुटती थी आजकल इज्जत लूटने के बाद सभाए होती है।
इसी तरह वरूण सिंह चारण हास्य कवि ने मनमोहन लगे रेक मन भावन लगे । नया अति सुन्दर, अधर कोमल, प्यारा सांवरा रंग कुसुमित सुकुमल लट केश उडे ज्यो नागीन लगे, मन मोह लगेरे मन भाव लगे । तथा भुवन मोहनी की श्रगार रस की कविताओं को खुब सराहा गया । प्रारम्भ में स्वागत उद्बोधन नगर निगम आयुक्त हिम्मत सिंह बारहठ ने दिया । मंच संचालन ब्रजराज सिह जगावत ने किया । धन्यवाद मानसिंह बारहठ, ने ज्ञापित किया ।

कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि कर्नल दौलत सिंह बैंसला, अध्यक्षता कुलपति प्रो. एस.एस सारंगदेवोत ने की । विशिष्ट अतिथि सांसद अर्जुनलाल मीणा, समाज सेवी नाहरसिंह जसोल, कर्नल गुमान सिंह, धर्मचन्द नागौरी, सुशीला नागौरी तथा राजलक्ष्मी साधना थे। रॉयल्स संस्थान के शंकर सिंह चारण ने बताया कि वर्ष २०१६ का कुंवर प्रताप सिंह बारहट सम्मान संयुक्त रूप से शहीद देवपाल देवल तथा शहीद राजवीर खिडिया के परिवारजनों को प्रदान किया गया।
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