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अध्धयन में विश्व में भारतीय टॉप पर

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22 Apr 18
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अध्धयन में विश्व में भारतीय टॉप पर (डॉ.दीपक कुमार श्री वास्तव)

यदि आप भारतीय हें तो आप गर्व कर सकते हे कि आप सम्पुर्ण विश्व में अध्ययन के मामले मे अब्बल हें , एक सप्ताह में 10.7 घंटे पढ्ने का गौरव भारतीयों को जाता हें या युं कहें विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका ( 5.42 घंटे) से दुगनी रफ्तार से भारतीय पढते हें इसलियें आज भी विश्व के सभी देशों मे भारतीय शीर्ष पर काबिज हें (एन.ओ.पी. वर्ड कल्चर इंडेक्स ) बावजुद इसके भारतीय परिवेश मे सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थिति काफी सोचनीय एवं विचारणीय हे क्योंकि जिस तरह से देश टेक्नो –फ्रेंण्डली हो रहा हें वहा पर सार्वजनिक पुस्तकालय मूलभूत आवश्यक्ताओं को भी तरस जाते हें यहां केवल सार्वजनिक पुस्तकालयों की बात इसलिये कर रहे हे कि यह ही किसी गांव या शहर का ऐसा स्थान होता हें जो ताउम्र आपकों बिना किसी लिंग भेद , जाति के आजीवन पढने का अवसर प्रदान करता हें ।
वर्तमान मे आधुनिक सार्वजनिक पुस्तकालय केवल किताबों के आदान –प्रदान तक ही सिमित नही रह गयें हें अपितु इनकी जिम्मेदारी हें विभिन्न स्थानीय कम्युनिटीज के अनुरूप पुस्तकालय सेवायें प्रदान करना जेसें वर्तमान मे पुस्तकालय केरियर गाईडेंस सेवा , फिजीकली चेलेंज्ड लोगो के लियें ट्च, हीयर औडोटरी सेवा , महिलाओं के लिये स्वास्थ्य जागरुकता सेवा, मानसिक स्वास्थ्य सेवा , लेपसीट सेवा , स्टोरीटेलिंग सेवा, मातृत्व एवं शिशु देखभाल सेवा , कम्प्युटर आधारित सेवायें – औडीयों कांफ्रेंस सुविधा , वीडीयोकांफ्रेंस सेवा, फोन-इन प्रोग्राम , हेल्पलाईन सेवा , बूक रिडींग प्रमोशन सेवा , कम्प्युटर एडेड लर्निंग प्रोग्राम , बेसिक कम्प्युटर लर्निंग प्रोग्राम (इंटरनेट तथा ई-मेल का प्रयोग), स्पोकेन इंग्लिश सेवा , विधिक साक्षरता, आर्थिक साक्षरता, टेली हेल्थ इत्यादि सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही हें


। इसके अलावा आधुनिक पुस्तकालय के लियें ग्रीन लाईब्रेरीज कांसेप्ट को लाना होगा अर्थात – क्लीन वाटर , पेपर वेस्ट प्रबंधन , सोलर पेनल , रेन वाटर हार्वेस्टींग , ईको फ्रेंडली , नेचुअरल लाईटस आदि । साथ ही सस्टेनेबल डवलेप्मेंट की संकल्पना होनी चाहियें । आमजन के लिये ऑउटरीच सेवा होनी चाहियें । स्मार्ट सिटी का जब जिक्र आता हे तो उसके पहले शब्द स्मार्ट पर ही समझने मे आता हे कि स्मार्ट बनना अथवा बनाना एक सोच हे जो बुद्धीजीवीयों की उपज हें स्मार्ट बनने के लियें जिस शहर को स्मार्ट बनाने का लक्ष्य रखा गया हें वहां के नागरिकों को स्मार्ट बनाना । और यह तभी संभव हें जब उनके मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लियें स्मार्ट पुस्तकालय हों ।
स्मार्ट पुस्तकालय के लिये आवश्यक हे नागरिकों की सुचना आवश्यक्ताओं को ध्यान मे रखते हुयें उनकी ज्ञान पिपासा को शांत किया जायें । लेकिन कई लोग स्मार्ट नाम आते ही डीजीटल लाईब्रेरी या वर्चुअल लाईब्रेरी की संकल्पना मन मे लातें हे जो गलत हें भारत में वर्तमान मे डीजीटल डीवाईड एक प्रमुख समस्या हे जिसकें लियें हाईब्रीड पुस्तकालय की संकल्पना के साथ जुडना होगा । किताबें पढने के शौकिन लोग अन्य ऐसे लोगो के मुकाबले अधिक जीते हे जो किताबें कम या बिल्कुल नही पढते । यह बात अमेरिका के येल विश्वविधालय मे हुये एक शोध मे सामने आई हें । अध्ययन 50 वर्ष से अधिक के 3635 लोगो पर हुआ । उनका करीब 12 वर्षों तक अवलोकन किया गया । अध्ययन मे शामिल लोगो को तीन समुह मे बांटा गया , पहला – जो बिल्कुल किताबें नही पढते थे , दुसरा – जो सप्ताह मे करीब साढे तीन घंटे पधते थे , तीसरा- जो सप्ताह मे साढे तीन घंते से ज्यादा अध्ययान मे बीताते थे ।
शोध मे यह बात सामने आयी कि पधने के शौकीनों मे महिलायें , स्नातक व अधिक आय वाले लोगो की संख्या ज्यादा थी । इसके अलावा पहले समुक कीए तुलना में दुसरे समुकह के लोगो कीअसमय म्रत्यु की आशंका 17 प्रतिशत कम थी , वही तीसरे समुह के लिये यह कमी 23 प्रतिशत थी । अध्ययन मे यह भी सामने आया कि किताबों मे रुचि रहने वाले लोग अन्य के मुकाबले 2 साल अधिक जीयें । न्युरोलोजी के अभी हाल ही में हुये अध्ययन से साफ हे कि जोगींग से आपका कार्डीयोवास्कुलर सिस्टम बेहतर होता हें तो अध्ययान से आपके दिमाक का श्रेष्ठ वर्क आउट होता हें । प्रिंट वर्सेज डीजीटल · 45% पेपरबेक बूक्स पढते हें । · 27% हार्ड बाउण्ड बूक्स पढते हें । · 22% ई-बूक्स पढते हें । · 2% ही केवल औडीयो बूक्स पढते हें । · 42% ऑंलाईन पुस्तके क्रय करते हें · 15% बूक स्टोरे चैंस से क्रय करते हें · 6% स्वतंत्र बूक स्टोर से क्रय करते हें । · 6% हॉल सेल व्यापारियों से क्रय करते हें । · 5% बूक क्लब से क्रय करते हें । स्रोत – टी.ई.एस . मेगजीन बालकों के अध्ययन पर हुयें हाल ही हके एक शोध से स्पष्ट हुआ हे कि बालक स्मार्ट फोन या स्क्रीन का प्रयोग गेम्स खेलने के लियें तो बेहतर समझते हे लेकिन पढने के लियें उन्हें ई- बूक्स की जगह सामन्य पुस्तकें ही पसंद हें तथा उनकी याददास्त बढाती हें । (स्रोत – राहुल ढिल्लन का लेख्) भाषा एवं पुस्‍तकालय विभाग द्वारा, पूर्व में संचालित 44 सार्वजनिक पुस्तकालयों से इनका गुणात्मक एवं संख्यात्मक विकास करते हुए निम्‍नानुसार सार्वजनिक पुस्‍तकालयों का संचालन किया जा रहा है 1. राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय- 01 2. मण्डल पुस्तकालय- 07 3. जिला पुस्तकालय- 33 4. तहसील पुस्तकालय- 06 5. पंचायत समिति पुस्तकालय- 276 (उच्च माध्यमिक विद्यालयों के परिसर में) कुल योग 323 इस प्रकार अब पंचायत समिति स्तर तक सार्वजनिक पुस्तकालय संचालित हैं।

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