GMCH STORIES

मंदिरों की नगरी वृन्दावन

( Read 32795 Times)

15 Apr 18
Share |
Print This Page
मंदिरों की नगरी वृन्दावन
डॉ.प्रभात कुमार सिंघल-लेखक एवं पत्रकार, कोटामथुरा से १५ कि.मी. की दूरी पर वृन्दावन में भव्य एवं सुन्दर मंदिरों की बडी श्रृंखला इसे मंदिरों की नगरी बना देती है। मुख्य बाजार में बांके बिहारी जी का मंदिर सबसे अधिक लोकप्रिय है। यहां दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित ”गोविन्द देव मंदिर“ तथा उत्तर शैली में बना ”रंगजी मंदिर“ एवं कृष्ण-बलराम के मंदिर भी दर्शनीय हैं। वृंदा तुलसी को कहा जाता है और यहां तुलसी के पौधे अधिक होने के कारण इस स्थान का नाम वृंदावन रखा गया। मान्यता यह भी है कि वृंदा कृष्ण प्रिय राधा के सोलह नामों में एक है। बृजमण्डल की ८४ कोसी परिक्रमा में वृंदावन सबसे महत्वपूर्ण है।
बांके बिहारी जी का मंदिर
बादामी रंग के पत्थरों एवं रजत स्तम्भों पर बना कारीगरी पूर्ण बांके बिहारी जी के मंदिर का निर्माण संगीत सम्राट तानसेन के गुरू स्वामी हरिदास ने करवाया था। जहां फूलों एवं बैंडबाजे के साथ प्रतिदिन आरती की जाती है जिसका दृश्य दर्शनीय होता है। मंदिर में दर्शन वैष्णव परम्परानुसार पर्दे में होते है। मंदिर भक्तगणों के दर्शन के लिए प्रातः ९ से १२ बजे तक एवं सायं ६ से ९ बजे तक मंदिर खुला रहता है।
निधीवन
यह एक ऐसा वन है जहां के पेड पूरे वर्ष हरे-भरे रहते हैं। यहां तानसेन के गुरू संत हरिदास ने अपने भजन से राधा-कृष्ण के युग्म रूप को साक्षात प्रकट किया था। यहां कृष्ण और राधा विहार करने आते थे। यहीं पर स्वामी जी की समाधि भी बनी है। जनश्रुति है कि मंदिर कक्ष में कृष्ण-राधा की शैय्या लगा दी जाती है तथा राधा जी का श्रृंगार सामान रख कर बन्द कर दिया जाता है। जब प्रातः देखते हैं तो सारा सामान अस्त-व्यस्त मिलता है। मान्यता है कि रात्रि में राधा-कृष्ण आकर इस सामान का उपयोग करते हैं।
श्री शाह मंदिर
निधीवन के समीप करीब १५० वर्ष प्राचीन श्री शाह का मंदिर बना है। यह मंदिर सात टेढे-मेढे खम्भों पर बने इस मंदिर का निर्माण शाह बिहारी ने करवाया था। संगमरमर एवं रंगीन पत्थरों की शिल्प कला देखते ही बनती है। परिसर में कलात्मक फव्वारे भी लगाये गये हैं। मंदिर के फर्श पर पांवों के निशान एवं इन पर बनी कलाकृतियां सुन्दर प्रतीत होती हैं। शिखर एवं दीवारों पर आकर्षक मूर्तियां बनाई गई हैं।
श्री रंगनाथ मंदिर
दक्षिणी एवं उत्तरी शैली में सोने के खम्भों वाले इस मंदिर का निर्माण सेठ गोविन्द दास एवं राधा कृष्ण ने १८२८ ई. में करवाया था। मंदिर का प्रवेश द्वार राजस्थानी शैली में निर्मित है। सात परकोटों वाला यह मंदिर एक कि.मी. क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर प्रंागण में ५०० किलोग्राम सोने से बना ६० फीट ऊँचा सोने का गरूड स्तम्भ है। प्रवेश द्वार पर भी सोने के १९ कलश बनाये गये हैं। अद्वितीय वास्तुकला से सुसज्जित मंदिर का मुख्य आकर्षण है श्रीरंगनाथ जी। चाँदी व सोने का सिंहासन, पालकी एवं चंदन का विशाल रथ दर्शनीय है। मंदिर परिसर में एक जलकुण्ड बना है। बताया जाता है कि यहां कृष्ण ने गजेन्द्र हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से छुडवाया था।
वृन्दावन के अन्य मंदिरों में श्री राधा मोहन मंदिर, कालीदह, सेवाकुंज, अहिल्या टीला, ब्रह्म कुण्ड, श्रृंगारवट, चीर घाट, गोविन्द देव मंदिर, काँच का मंदिर गोपेश्वर मंदिर एवं सवा मन सालिग्राम मंदिर आदि भी दर्शनीय हैं।



Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Headlines , Kota News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like