उदयपुर, संतश्री से बिछोह का दु:ख तो दूसरी तरफ सात दिवसीय श्रीविष्णु पुराण कथा के श्रवण लाभ से मिला सुख। बडी अजीब सी स्थित थी भक्तों की, कभी श्री हरि के भजनों पर झूम उठते, तो कभी कथा श्रवण के प्रसंगों को सूनकर भाव विभोर हो उठते। पूर्ण भक्तिमयी वातावरण मे सुख और दु:ख का ऐसा मिलाजुला संयोग रविवार को भुवाणा स्थित आईजीटी गार्डन के श्रीनारायणपुरम पांडाल मे श्री नारायण भक्ति पंथ मेवाड़ द्वारा आयोजित श्रीविष्णु पुराण कथा के अंतिम दिन बना। भक्ति पंथ के प्रवर्तक संत लोकेशानन्द ने कहा कि आज भले ही कथा की पूर्णाहूति हुई है, लेकिन इसे आप अपने जीवन मे भक्ति सत्संग का शुभारंभ समझे और जीवन मे सत्संग की पूर्णाहूति ना होने दे।
दशावतार देख भक्त हुए अभिभूत
पूर्णाहूति कथा के दौरान बच्चों द्वारा भगवान विष्णु के दशावतार रूप का मंचन किया गया। बच्चें एक- एक कर भगवान के विभिन्न अवतारों का रूप धर कर जैसे ही पांडाल मे पहुचें सभी भक्तों ने दोनों हाथ उठा कर इन सभी अवतारों का स्वागत किया। बच्चों ने भगवान राम, मतस्य अवतार, कुर्म, वराह, कलकी अवतार, नृसिंह अवतार, परशुराम, वामन अवतार, बुद्ध अवतार, सुदर्शन चक्रधारी भगवान विष्णु सहित दो बच्चों ने हिरणकश्यपु और राजा बलि का रूप धरा। इसके साथ ही भगवान विष्णु को 108 व्यंजनों का भोग लगाकर भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।
गुरू स्मरण कर संत लोकेशानन्द हुए भाव विभोर
कथा की पूर्णाहूति पर व्यास पीठ पर बिराजित संत लोकेशानन्द ने भक्तों के मन मे अपने प्रति प्रेम को देखकर नम आँखों से अपने गुरू का स्मरण करते हुए कहा कि इस माटी के पुतले को उनके गुरू ब्रम्हलीन संतश्रेष्ठ अच्युतानंद महाराज ने श्रृँगारित किया। गुरू ने शास्त्र, श£ोक, मंत्र, भजन सीखाएं ज्ञान दिया। आज जो व्यास पीठ पर बैठकर वह कथा का रसपान करवा रहे है यह शब्द, भाव, सेवा, सत्संग, महानता सब गुरूदेव की देन है। अपने गुरू के प्रति संतश्री की ऐसी भावना को देखकर हर भक्त की आँखे भी नम हो उठी।
अंतिम प्रसंगो के साथ कथा की हुई पूर्णाहूति
पूर्णाहूति की कथा सुनाते हुए संत लोकेशानन्द ने कहा कि पाराशर जी मैत्रेयी को पूर्णाहूति की कथा का श्रवण कराते है, और पांडवो के स्वर्गारोहण कथा मे मोक्ष के मार्ग पर द्रोपदी, नकुल, सहदेव, भीम और अर्जुन का साथ पुरा होने के बाद युधिष्ठीर का श्वान रूपी भगवान के साथ स्वर्ण लोक जाना और नरक के लोगो का भी उद्धार करना, मुचकुन्द राजा द्वारा देवताओं के यज्ञ की रक्षा, कालयवन राक्षस का वध, भगवान श्री कृष्ण के दर्शन, परमशत्रु केशिध्वज और खांडिक्य की कथा सहित अन्य प्रसंगो का वर्णन किया।
सभी को कथा श्रवण और भगवान दर्शन का मिला लाभ
संत लोकेशानन्द महाराज ने कहा कि जब किसी घर मे एक विष्णु भक्त होता है तो उस परिवार की अगली 21 पीढ़ी तर जाती है और यहां भँवर लाल कुमावत की अंतिम इच्छा स्वरूप उनकी पत्नि के भाव अनुसार चारों ही पुत्रों लोकेश, जितेश, योगेश और दुर्गेश कुमावत ने इस कथा का आयोजन कर सम्पर्ण उदयपुर नगरी को भगवान नारायण के शेषशय्या स्वरूप और सात दिन की श्री विष्णु पुराण कथा के श्रवण का लाभ कराया। कथा के सफल आयोजन पर कुमावत परिवार को आर्शीवाद देते हुए संत लोकेशानन्द ने सभी को अभिनन्दन पत्र भेंट कर सम्मानित किया।
यह अतिथि रहे मौजूद
इस दौरान भाजपा मध्यप्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया, राजस्थान सरकार के अतिरिक्त नगर नियोजक सतीश श्रीमाली, युआईटी अध्यक्ष रवीदन्द्र श्रीमाली, पंथ के मेवाड़ अध्यक्ष बी.एस. कानावत, पूर्व सभापति युधिष्ठीर कुमावत, डॉ. प्रदीप कुमावत, जयदीप स्कूल के निदेशक देवेन्द्र कुमावत, पूर्व आरपीएससी चेयरमैन गोविन्द टांक सहीत हजारों भक्त उपस्थित थे।
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