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मदरसों ने भारतीय संस्कृति को सुरक्षित रखा है: प्रो. त्रिपाठी

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20 Jan 18
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मदरसों ने भारतीय संस्कृति को सुरक्षित रखा है: प्रो. त्रिपाठी
नई दिल्ली जामिया हज़रत निजामुद्दीन औलिया ज़ाकिर नगर ओखला में गणतंत्र दिवस के सन्दर्भ में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। मेरे ख़्वाबों का हिंदुस्तान शीर्षक पर विद्यार्थियों ने अपने लेख प्रस्तुत किये। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आई आई टी दिल्ली के रिटायर्ड प्रोफेसर विपिन कुमार त्रिपाठी ने कहा कि देश का विकास लोगों के विकास से जुड़ा हुआ है। यह देश मौलिक सिधान्तों, मानव हितों और मानव धर्म पर निर्मित है। मदरसों ने हमेशा देश की इस संस्कृति को बढ़ावा दिया है। क्यूंकि मदरसों ने इन्सान को मानवता, आपसी सौहार्द और गंगा जमुनी का ही पाठ पढाया है। देश के प्रति इन मदरसों की शिक्षा देश और देश से जुडी हर चीज़ से मुहब्बत हमारे रोम रोम में भर देती है। नेशनल मूवमेंट फ्रंट से डॉ अटल तिवारी ने कहा कि जिस तरह से देश की आज़ादी में सभी वर्गों का सामूहिक सहयोग रहा है और उस के बाद का संविधान हम भारतीय को हमारी धार्मिक आज़ादी के साथ आर्थिक, व्यवसायिक, सामाजिक और राजनेतिक सहभागिता को सुनियोजित करता है। हम संविधान के इसी सपने को साकार करना चाहते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉ काज़िम ने कहा कि मुल्क में आज भी सामाजिक सौहार्द है। क्यूंकि देश के बहुसंख्यिक समुदाय की अक्सर आबादी किसी भी तरह के अराजक तत्वों द्वारा फैलाये जा रहे साम्प्रदायिकता के विरुद्ध है। देश हर उस देश वासी का है जो इस देश की गंगा जमुनी तहज़ीब से प्रेम करता है। उसे बढ़ावा देता है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया ही के अरबी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर हबीब उल्लाह ने कहा कि देश तरक्की कर रहा है। आगे बढ़ो रास्ते की रुकावटों को नज़र अंदाज़ करते हुए मंजिल तक पहुँचों। क्युकि यह देश उनका है जो इस देश के हैं। और हमें गर्व हैं कि हम इस देश के हैं। और इस देश से अच्छा कोई और देश नही। कार्यक्रम का संचालन कर रहे आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड युआ के जनरल सेक्रेटरी, स्तम्भ कार, लेखक स्पीकर अब्दुल मोईद अज़हरी ने कहा कि इस प्रोग्राम के आयोजन का मकसद यह था कि मदरसों ने हमेशा आज़ादी और संविधान का जश्न मनाया है। हाँ कभी इस का दिखावा नहीं किया। जान व माल की क़ुरबानी से जश्न मनाया। घर में बाहर मदरसों और मस्जिदों में मुल्क से मुहब्बत के तराने गाये। क्यूंकि यह देश हमारा है। हम इस मुल्क का ख़्वाब देखते हैं। ऐसा मुल्क जहाँ बेईमानी ईमानदारों से काँपे। सब को रोज़गार मिले। कोई भूका न सोए। किसी की रात इंसाफ से ना उम्मीद हो कर ना गुज़रे। कोई ग़रीब बे सहारा न रहे कोई किसान आत्म हत्या करने पर मजबूर न हो। इस मुल्क की सब बड़ी धरोहर यह है कि मुल्क अन्दर से और व्यक्तिगत रूप से धार्मिक है। इस विभिन्न प्रकार की आस्थाओं का वास है वहीँ बाहर से और सामूहिक और सामुदायिक रूप से हर धर्म का सम्मान है। उन्हों ने कहा कि हमारा सपना यही है किसी भी धर्मं और आस्था का अपमान न हो। इस से पहले मदरसा के डायरेक्टर मौलाना महमूद गाज़ी अज़हरी ने मदरसा का परिचय कराया। मदरसा में लेख प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। लगभग बीस विद्यार्थियों ने इस में भाग लिया। तीन को पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। जबकि हर प्रतिभागी सर्टिफिकेट और किताबों के तोहफे दिए गए। कार्यक्रम की शुरुआत कुरान कि आयत और नात नबी के बात राष्ट्रीय गीत से हुआ कार्यक्रम का समापन अजमल सुल्तापुरी के गीत मेरे ख्वाबों का हिंदुस्तान मैं उस को ढून्ढ रहा हूँ से हुआ।
कार्यक्रम में जामिया मिल्लिया इस्लामिया से प्रोफेसर यूसुफ, डॉ तनवीर, आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड से यूनुस मोहानी, होप फाउंडेशन से शरीफ उल्लाह शेख़, खुदाई खिदमत गार से मोहम्मद फैजान, अहले सुन्नत अकेडमी से अतीकुर्रह्मन बाबू भाई सलमा मेमोरियल ट्रस्ट से मंज़र अमन, जे एन यू से कई स्कॉलर के अलावा मोहम्मद हुसैन, सैफ़ इम्तियाज़, क़मरुद्दीन, मौलाना रईसुद्दीन अज़हरी, मौलाना ज़फरुद्दीन बरकाती मौलाना मुज़फ्फरुद्दीन अज़हरी, मौलाना सय्यद अतीक़ अज़हरी, मौलाना सीमाब अख्तर, मोनिस खान, फ़हीम अहमद, नासिर खान, मोहिबुल्लाह, राय बहादुर सिंह, तौसीफ अहमद, रुखसार अहमद, प्रवीन कुमार, विनोद सिंह, भूपिंदर सिंह, अज़ीम शेख़, अयाज़ अहमद, ज़फर इकबाल के अलावा ओखला की सामाजिक संस्थाएं और जामिया के विद्यार्थी और शिक्षक उपस्थित हुए।


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