बी.एन.विश्वविद्यालय के अन्तर्गत फार्मेसी संकाय के भूपाल नोबल्स इंस्टीटयूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज उदयपुर मे DST राजस्थान द्वारा प्रायोजित IPR (Intellectual Property Rights) पर सेमीनार का आयोजन दिनांक २१.०४.२०१८ को किया गया। सेमीनार का विषय “Intellectual Property Rights: A Formula for Success(IPR-2018)”थाA
कार्यक्रम की शुरुआत रजिस्ट्रार डॉ. रघुवीर सिंह चौहान , वित नियंत्रक श्री परबत सिंह राठौड,फार्मेसी डीन. डॉ. महेन्द्र सिंह राणावत आदि ने दीप प्रज्जवलन के साथ की। कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर चेतन सिंह चौहान एवं आयोजन सचिव प्रोफेसर अन्जु गोयल ने प्रतिभागियो एवं अतिथियों का स्वागत किया। सेमीनार के मुख्य वक्ता के रुप मे बोलते हुए पेटेन्ट सूचना केन्द्र हरियाणा के डॉ. राहुल तनेजा ने कहा कि भारतीयो के प्रतिवर्ष केवल 11000 पेटेन्ट फाईल होते है जबकि 300000 रिसर्च वर्क या नये तरीके खोजे जाते है। अतः अधिक से अधिक पेटेन्ट फाईल करनी चाहिये ताकि खोजकर्ताओ को उनकी बौद्विक सम्पदा का अधिकार मिल सके। साथ ही उन्होने चेतावनी भी दी कि किसी के पेटेन्टस या कॉपीराईट का उपयोग करने से पहले संबधित से इजाजत अवश्य लेवे अन्यथा करोडो रुपये का हर्जाना देना पड सकता है। इस अवसर पर अन्य वक्ता सुखाडिया विश्वविद्यालय की डॉ. जूही प्रधान ने विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कौनसी खोज का पेटेन्ट किन-किन वर्गो मे कराया जाता है।
विश्वविद्यालय के सहप्राध्यापक डॉ. कमल सिंह राठौड ने उदाहरण से समझाया कि भारत के प्रसिद्व वैज्ञानिक डॉ.वाई. सुब्बाराव ने कई दवाईयॉ जैसे टेट्रासाइक्लिन, फोलिक एसिड, मेथेट्रक्सेट आदि की खोज की पर पेटेन्ट न कराने के कारण उन्हे इनका समुचित फायदा नही मिल सका जो कि “ लेडरली फार्मा” को मिला। कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय जयपुर के डीन डॉ.जी.जयाबालन तथा विज्ञान एवं प्रौधोगिकी विभाग,राजस्थान सरकार के अधिकारी श्री मनीष जैन एवं प्राचार्य डॉ. युवराज सिंह सारंगदेवोत, माधव विश्वविद्यालय के डॉ. पंकज अरोडा, आबू रोड के डॉ. नरेश खत्री, गीतांजलि विश्वविद्यालय के डॉ. अशोक दशोरा, पेसिफिक विश्वविद्यालय के डॉ. इन्द्रजीत सिघवी, डॉ. राहुल गर्ग व डॉ. जयेश द्विवेदी, आदि उपस्थित थे।
द्वितीय सत्र मे छात्रो ने पत्र वाचन किया जिसमे दिनेश सिंह, ;कनिष्क जोशी, प्रियंका चौहानद्ध व ;अक्षत शर्मा, किरण सिरवी, सरधा सिंहद्ध क्रमशः प्रथम, द्वितीय, व तृतीय रहे।
मंच का संचालन डॉ. दीपक मरोठिया एवं डॉ. अमित भार्गव ने किया।
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