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मोबाइल फोन पर मिलेगा हिंदी का ई महाशब्दकोष

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18 Jul 17
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राष्ट्रभाषा हिंदी को सरकारी कामकाज में प्रचलित करने और हिंदी के प्रचार प्रसार को अत्याधुनिक तकनीक से जोड़ने की मुहिम के तहत हिंदी का ई महाशब्दकोष तैयार किया जा रहा है। इसे मोबाइल फोन पर कभी भी कहीं भी इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को गृह मंत्रालय की राजभाषा समिति की बैठक में यह जानकारी दी गयी। बैठक में विभाग के सचिव प्रभास कुमार झा ने हिंदी को सामान्य कामकाज की भाषा बनाये जाने में तकनीकी मदद को हथियार बनाने की परियोजना की प्रगति के बारे में बताया कि वृहत राजभाषा शब्दावली बनायी जा रही है।

इसके अलावा ई-महाशब्दकोश और हिंदी सीखने के लिये ‘‘लीला’’ नामक साफ्टवेयर का मोबाइल वर्जन तैयार किया गया है। झा ने कहा कि हिंदी अनुवाद कार्य को सुगम बनाने हेतु राजभाषा विभाग हिंदी संसाधन केंद्र स्थापित करेगा जिसमें अनुवाद के लिये पृथक साफ्टवेयर की मदद ली जायेगी।

बैठक की अध्यक्षता कर रहे गृह मंत्री सिंह ने कहा कि राजभाषा नीति का समयबद्ध कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये हिंदी सलाहकार समिति का गठन किया गया है। संघ का राजकीय काम-काज हिंदी में करने के संवैधानिक दायित्वों की पूर्ति की दिशा में हिंदी सलाहकार समितियों की अहम भूमिका है। इसके मद्देनजर उन्होंने कहा कि सरकार और जनता के बीच वही भाषा प्रभावी एवं लोकप्रिय हो सकती है जो आसानी से सभी को समझ में आ जाए और लोग उसका बेझिझक प्रयोग कर सकें। सिंह ने राजभाषा विभाग से इस मकसद को पूरा करने की बात ध्यान में रखकर हिंदी के प्रसार के लिये तकनीक ईजाद करने को कहा।

बैठक में गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू, लोकसभा सांसद रामचरण बोहरा, दिनेश त्रिवेदी, राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर, प्रमोद तिवारी तथा विवेक गुप्ता के अलावा डॉ. महेश चंद्र गुप्त, चित्रा मुद्गल, प्रो. पुष्पेश पंत और राहुल देव सहित सलाहकार समिति के सदस्य और राजभाषा विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

गृह मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति ने सरकारी दस्तावेजों और रिपोर्टों को हिंदी में प्रकाशित नहीं करने के मुद्दे पर भी चर्चा की और बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया। बैठक से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि सलाहकार समिति के एक सदस्य ने यह मुद्दा उठाते हुए सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी सरकारी दस्तावेज और रिपोर्ट हिंदी में प्रकाशित की जाएं। हालांकि एक संसदीय समिति की इस सिफारिश पर कोई चर्चा नहीं हुई कि राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य लोग यदि हिंदी भाषा में पढ़ और बोल सकते हैं तो उन्हें हिंदी में भाषण देने चाहिए। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सिफारिश को स्वीकार कर लिया था। राष्ट्रपति के निर्णय के खिलाफ तमिलनाडु में खासकर द्रमुक ने विरोध प्रदर्शन किया था।
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