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शोध होगे तो होगा सुधार - प्रो. डी.आर. गोयल

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28 Mar 17
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शोध होगे तो होगा सुधार - प्रो. डी.आर. गोयल शोध शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है। जरूरी है कि इसमें अधिक से अधिक शोध हो इसी माध्यम से शिक्षा में परिवर्तन संभव है। जितने अधिक शोध होंगे उतने ही अधिक इसके परिणाम भी होंगे। उक्त विचार एनसीईआरटी नई दिल्ली के प्रो. डी.आर. गोयल ने सोमवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सीटीई प्रायोजना के अन्तर्गत आयोजित दो दिवसीय शैक्षिक अनुसंधान का विधि शास्त्र विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला ( रिसर्च मेथोडोलोजी ) के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में कही। उन्होने कहा कि शोध का विषय स्थानीय समस्याओं, ग्रामीण एवं कौशल विकास तथा देश के विकास में योगदान देने वाला होना चाहिये। शोध छात्र एवं अध्यापकों के दिलों में होना चाहिए। उन्होने कहा कि इन्टरनेट के युग में वाट्सप, फेसबुक एवं ट्वीटर का उपयोग केवल मनोरंजन ही न हो इसके लिए अधिक से समाजोपयोगी एवं शोध परक जानकारी भी आमजन तक पहुंचाये। मुख्य अतिथि पुने विवि के प्रो. वैभव जाधव ने कहा कि किसी भी संस्था का वर्चस्व तभी होता है जब वहाँ का शिक्षक प्रभावी भूमिका निभाता हो। उन्होंने कहा शोध उच्चस्तरीय उद्धेश्यपरक बौद्धिक प्रक्रिया है क्योंकि शोध योजना जितनी सशक्त होगी उतना ही शोध प्रभावी व सार्थक होगा। व्यक्तिगत मार्गदर्शन के बजाय शोध की सांख्यिकी मानक पुस्तकों पर आश्रित होनी चाहिये। प्राचार्य डॉ. शशि चित्तौडा ने कहा कि शोध का पुनः परीक्षण वर्तमान आवश्यकता है, वैश्वीकरण के संदर्भ में शोध में नवाचार को अपनाने पर कहा। प्रारम्भ में प्राचार्या डॉ. शशि चित्तौडा ने दो दिवसीय कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की संचालन कार्यशाला प्रभारी डॉ. रचना राठौड, भूरालाल श्रीमाली ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. सरोज गर्ग ने दिया। आयोजन सचिव डॉ. रचना राठोड ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यशाला में देशभर के १५३ शिक्षाविदों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर डॉ. देवेन्द्रा आमेटा, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. अमी राठोड, डॉ. वृद्धा शर्मा, डॉ. अमित दवे ने अपने विचार व्यक्त किए।


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