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डाइरेक्ट पी.सी.आर. एक दिवसीय प्रषिक्षण का आयोजन

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14 Feb 17
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डाइरेक्ट पी.सी.आर. एक दिवसीय प्रषिक्षण का आयोजन उदयपुर महाराणा प्रताप कृशि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय के संघटक राजस्थान कृशि महाविद्यालय के आणविक जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सोसायटी ऑफ बायोलोजिकल केमिस्ट (इण्डिया) राजस्थान अध्याय के तत्वाधान में महाविद्यालय के विद्यावाचस्पति एवं स्नातकोतर विद्यार्थियों के लिए प्रत्यक्ष (डाइरेक्ट) पी.सी.आर. एवं उसके उपयोग पर एक दिवसीय प्रषिक्षण षिविर का आयोजन किया गया।
डॉ. विमल षर्मा, विभागाध्यक्ष एवं अध्यक्ष, सोसायटी ऑफ बायोलोजिकल केमिस्ट (इण्डिया) राजस्थान अध्याय ने छात्रों को कृशि में जैवप्रौद्योगिकी का महत्व एवं पी.सी.आर.की उपयोगिता को बताया। डॉ. षर्मा ने छात्रों को सोसायटी ऑफ बायोलोजिकल केमिस्ट (इण्डिया) द्वारा की जा रही गतिविधियों से अवगत करवाते हुए उत्कृश्ट वैज्ञानिक बनने के प्राथमिक गुण से अवगत करवाया।
समापन समारोह के अध्यक्ष पूर्व डीन पीजी डॉ एम एम सिमलोट ने कहा कि छात्रों का उत्साह देखते हुए इस तरह के प्रायोगिक कार्यषालाओं का आयोजन समय-समय पर किया जाए जिसके लिए वो स्वयं भी अपने अनुभवों बच्चों में बांट सकेगें। डॉ. सिमलोट ने सभी प्रतिभागी छात्रों को प्रमाण-पत्र देकर उतरोतर प्रगति की कामना की।
विषिश्ट अतिथि पादप व्याधि विभाग के अध्यक्ष डॉ. एस एस षर्मा ने इस तरह अंतरविभागीय प्रायोगिक प्रषिक्षण की सराहना करते हुए इसे अपने विभाग के छात्रों के अनुसंधान में अत्यंत उपयोगी एवं आवष्यक बताया।
डॉ. देवेन्द्र जैन, कार्यक्रम समन्वय ने बताया कि यह प्रषिक्षण महाविद्यालय के आणविक जीवविज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी, पादप प्रजनन एवं आनुवंषिकी, पादप व्याधि, सूत्रकृमि एवं कीटविज्ञान विभाग के ६५ विद्यावाचस्पति एवं स्नातकोतर विद्यार्थियों ने भाग लिया।
डॉ. एस. के. खण्डेलवाल, सचिव, सोसायटी ऑफ बायोलोजिकल केमिस्ट (इण्डिया) राजस्थान अध्याय ने बताया कि इस प्रषिक्षण षिविर के प्रथम सत्र में दो व्याख्यानों का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र में पीसीआर विषेशज्ञ डॉ. नीरज कुमार एवं डॉ. गोविन्द व्यास ने अपने- अपने व्याख्यान दिया। डाइरेक्ट पीसीआर आज के समय की नवीनतम विधा है इसमें पत्तियों से सीधे ही डीएनए को बहुगुणित किया जा सकता है। इसका प्रायोगिक प्रषिक्षण द्वितीय सत्र में आयोजित किया गया। डाइरेक्ट पीसीआर की इस तकनीक को विकसित करने के लिए प्रिज्म, डिपार्टमेन्ट ऑफ साईन्टिफिक एण्ड इण्डस्ट्रीयल रिसर्च एवं टीओसीआईसी, सीटीएई, उदयपुर से अनुदान प्राप्त हुआ।

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