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शोडष लक्ष्मी आराधना व वैभव पूजन बुधवार को

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09 Nov 15
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निम्बाहेडा। दीपावली पर्व पर लक्ष्मी पूजन के ठाठ तो ठाकुर जी के साथ ही देखने को मिलते है। मेवाड के प्रसिद्व श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ पर दीपावली पर्व पर समूचे उत्तर भारत में केवल वेदपीठ पर ही स्थापित महालक्ष्मी की शोडष स्वरूपों की विशेष आराधना कार्तिक कृष्णा अमावस्या, बुधवार को की जायेगी। उत्तर भारत में अब तक अष्ट लक्ष्मी के बारे में ही जानकारी उपलब्ध थी लेकिन वेदपीठ द्वारा मैसूर रियासत के लगभग १५० वर्ष पूर्व किये गए अनुसंधान के आधार पर यहां शोडष लक्ष्मी स्वरूपों की ध्यानकेंद्र में स्थापना की गई है जिनके प्रत्येक स्वरूप के मंत्रोच्चार के साथ विधिविधान से पूजा-अर्चना का मनोहारी दृश्य देखने योग्य होगा। यहां ठाकुर जी की संध्या महाआरती के पश्चात महालक्ष्मी पूजन एवं रात्रि ८ः३० बजे से ठाकुर जी के रथ सहित कल्याण भक्तों के दुपहिया एवं चौपहिया वाहनों के साथ वैभव पूजन किया जावेगा। वेदपीठ प्रवक्ता ने बताया कि दीपावली से वेदपीठ पर विष्णु पुराण का पारायण तथा पुरूसुक्त के पाठ प्रांरभ किये जावेगें जो देवप्रबोधिनी एकादशी तक जारी रहेगें। उन्होने बताया कि देवोत्थापन एकादशी २२ नवम्बर को दशवांस हवन के रूप में महालक्ष्मी यज्ञ की पूर्णाहूति, छप्पन भोग एवं भव्य अन्नकूट महोत्सव के आयोजन होगें। इस दौरान वेदपीठ पर विराजित ठाकुर जी सहित पंचदेवों की प्रतिमाओं का मनभावन श्रंगार भक्तों के आकर्षण का केन्द्र होगा।
लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त
वेदपीठ के आचार्यो के अनुसार कार्तिक कृष्णा अमावस्या दीपोत्सव पर बुधवार को प्रातः वृश्चिक लग्न में ८ः२४ से ९ः४० तक मध्यान्ह कुंभ लग्न में १ः२८ से २ः५७ तक सांय प्रदोष वेला में प्रथम लग्न ६ः०४ से ८ः०० बजे तक तथा मध्य रात्रि में सिंह लग्न में १२ः३१ से २ः४७ तक महालक्ष्मी पूजन किया जा सकेगा। वैदिक प्रावधानों के अनुसार सिंह लग्न में लक्ष्मीपूजन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। प्रवक्ता ने बताया कि चौघडिया अनुसार प्रातः लाभ अमृत वेला ६ः५७ से ९ः३७, मध्यान्ह शुभ वेला १०ः५७ से १२ः१७, प्रदोष काल, चंचल व लाभ वेला २ः५७ से ५ः४७ तक रात्रि में शुभ अमृत वेला ७ः३५ से ११ः११ तक, मध्यरात्रि चंचल वेला ११ः११ से ११ः५९ तक तथा ब्रह्म मुहूर्त ३ः५५ से ५ः०३ तक लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिये। इसी प्रकार बुद्व की होरा प्रातः ६ः५७ से ७ः५७, मध्यान्ह १ः५७ से २ः५७, रात्रि में ८ः५७ से ९ः५७ तथा ब्रह्म मुहूर्त में ३ः५७ से ४ः५७, गुरू की होरा में प्रातः ९ः५७ से १०ः५७, गौधूलिक वेला ४ः५७ से ५ः५७, मध्यरात्रि ११ः५७ से १२ः५७ तथा चन्द्र की होरा में प्रातः ४ः५७ से ८ः५७, मध्यान्ह २ः५७ से ३ः५७, रात्रि ९ः५७ से १०ः५७ तथा ब्रह्म मुहूर्त में ४ः५७ से ७ः५७ तक लक्ष्मी पूजन किया जा सकता है।





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