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पुस्तकें मानव सभ्यता का अटूट अंग एवं ज्ञान का भंडार – आचार्य लोकेश

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16 Jan 18
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पुस्तकें मानव सभ्यता का अटूट अंग एवं ज्ञान का भंडार – आचार्य लोकेश नई दिल्ली : परम पूज्य आचार्य डा. लोकेश मुनि ने विश्व पुस्तक मेले के चेयरमैन श्री बलदेव भाई जी, डा. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित, राष्ट्रीय सेवा भारती से श्री राकेश जैन जी व विश्व हिंदु परिषद् से श्री सुरेन्द्र जैन के साथ प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में अमित राय जैन द्वारा लिखि पुस्तक ‘योग- द होलिस्टिक सिस्टम ऑफ़ हीलिंग’ का लोकार्पण किया |

अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक प्रख्यात जैन आचार्य ने नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा आयोजित विश्व पुस्तक मेले में पुस्तक प्रेमियों के समूह को संबोधित करते हुए कहा कि पुस्तक ज्ञान का भंडार ही नहीं हमारे सच्चे मित्र भी हैं। पुस्तक के बगैर ज्ञान की कल्पना नहीं की जा सकती है। उच्च स्तरीय ज्ञान अच्छे लेखक के पुस्तकों से ही प्राप्त होता है। पुस्तकें मानव को मानव बनाने में सहायक सिद्ध होती है। यही कारण है कि जब तक मानव सभ्यता रहेगी तब तक किताबों की प्रासंगिकता केवल ज्ञान के संदर्भ में ही नहीं बल्कि मानवीय संदर्भो में भी जिंदा रहेगी।

आचार्य लोकेश ने कहा कि योग एक ऐसी पद्धति है जिसके माध्यम से शरीर को स्वस्थ रखने के साथ साथ मन और बुद्धि को भी स्वस्थ बनाया जा सकता है | योग पद्धति द्वारा चिकित्सा पर लिखि गयी पुस्तक पाठकों के लिए बेहद कारगार सिद्ध होगी | आचार्य लोकेश ने कहा कि योग हमारी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग होना चाहिए | इससे अनेक बीमारियों का सहजता से इलाज हो सकता है | भारत की सभ्यता योग को आज विश्व जनमानस अपना रहा है यह भारत के लिए गौरव का विषय है |


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