कोटा पीसीपीएनडीटी सलाहकार समिति के सदस्यों की संभाग स्तरीय कार्यशाला मंगलवार को रेलवे स्टेषन क्षेत्र स्थित होटल लीलेक में संयुक्त निदेषक जोन कोटा डॉ हेमेन्द्र विजयवर्गीय की अध्यक्षता मे हुई। राज्य पीसीपीएनडीटी सैल, प्लान इण्डिया व एसआरकेपीएस के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यषाला में कोटा, बूंदी, झालवाड एवं बारां से पीसीपीएनडीटी की जिला स्तरीय सलाहकार समिति के सदस्यों ने भाग लिया। कार्यषाला में एसआरकेपीएस के सचिव राजन चौधरी ने पीसीपीएनडीटी एक्ट और इसके प्रभावी कि्रयान्वयन के साथ ही मुखबिर योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्हाने कहा कि जिला सलाहकार समिति की बैठक में समिति के सदस्यों के अलावा सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले स्वेच्छिक संगठनों और प्रबुद्धजनों को शामिल कर आमजन की भागिदारी अधिकाधिक बढाने के प्रयास किये जाने चाहिए। मुख्य अतिथि राज्य पीसीपीएनडीटी सैल*के अतिरिक्त पुलिस अद्यीक्षक व परियोजना अधिकारी रघुवीरसिंह ने डिकॉय आपरेषनों के अनुभव साझा करते हुए बताया कि राज्य पीसीपीएनडीटी सैल ने अभी तक ९५ डिकॉय ऑॅपरेशन कर लिंग जांच में लिप्त आरोपियों को जैल की सलाखों के पीछे भेजने में सफलता पाई है। कार्यषाला म संयुक्त निदेषक डॉ हेमेन्द्र विजयवर्गीय ने लिंगानुपात में सुधार के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ-साथ समाज में जागरूकता बढाने पर बल दिया।
कार्यषाला में विचार व्यक्त करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोटा डॉ. आरके लवानिया ने कहा कि जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक समय पर हो और उसमें जिले की चिन्हित समस्याओं पर चर्चा कर निराकरण की कारवाई होनी चाहिए। कार्यषाला में बूंदी सीएमएचओ डॉ सुरेष जैन ने भी विचार व्यक्त किए।
कार्यषाला में प्लान इंडिया द्वारा संचालित गर्व परियोजना के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। अंत में एसआरकेपीएस सचिव राजन चौधरी ने संभाग के चारों जिलों में बालिका लिंगानुपात के आंकडो का विष्लेशण करते हुए सभी से मिल जुलकर जैण्डर समानता के लिए काम करने का आव्हान किया। कार्यक्रम के अंत में सलाहकार समिति के सदस्यों से लिंगानुपात में सुधार के लिए और बेहतर तरीके से काम करने के बारे में सुझाव लिए गए।
विटामिन-ए का ३४वां चरण १५ नवम्बर से
जिले में विटामिन-ए का ३४वां चरण १५ नवम्बर से १५ दिसम्बर तक आयोजित होगा। इस दौरान ९ माह से ५ वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाडी केन्द्रों पर विटामीन-ए की खुराक निःषुल्क पिलाई जायेगी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके लवानिया ने बताया कि यह खुराक ६ माह के अन्तराल से पिलाई जाती है। विटामिन-ए आंखों की बीमारियों जैसे रतौधीं अंधता से बचाव के साथ-साथ बच्चों के शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिये भी आवश्यक है। इससे बच्चों में दस्त एवं निमोनिया आदि बीमारियों के घातक प्रभाव में कमी लाई जा सकती है। विटामिन-ए ५ वर्ष से कम उम्र के बच्चों कि मृत्युदर में भी कमी लाता है। कार्यक्रम में १ से ५ वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाडी केंद्रों पर आंगनबाडी कार्यकर्ता बच्चों को २ एम.एल. जबकि ९ माह के बच्चों को जिन्हे मिजल्स के साथ विटामिन-ए नही दी गयी है को १ एम.एल. खुराक पिलाई जाती है। जिन स्थानों पर आंगनबाडी केन्द्र नही है वहां एएनएम के द्वारा यह खुराक दी जाती है।
Source :