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निकाली श्रीमद् भागवत कथा की पौथी कलश यात्रा

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12 Oct 17
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*भक्ति भाव से निकाली श्रीमद् भागवत कथा की पौथी कलश यात्रा*
उदयपुर, विनायक नगर, राय मंगरी, बडगांव मे मंगलवार से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन प्रारम्भ हुआ
कथा शुभारम्भ से पूर्व मुख्य यजमान सोहन सिंह जी सिसोदिया द्वारा व्यास पीठ तक श्रीमद् भागवत पुराण की पोथी धारण कर कलश यात्रा श्री हनुमान मंदिर से होते हुए कथा स्थल तक निकाली गई ।
कलश यात्रा ढोल नंगाडे एवं गाजे-बाजे के साथ प्रारम्भ हुयी , जिसमें छोटी-छोटी बालिकाओ व माता बहनों ने अपने सिर पर कलश धारण कर कलश यात्रा में भाग लिया।
कथा का श्रीगणेश श्रीमद् भागवत पुराण की आरती पापियों को पाप से है तारती... यह पंचम वेद निराला ... से कि गई ।

*भागवत पुराण का ज्ञान सनातन है*
भारत सनातन राष्ट्र है,वैसे ही भागवत पुुराण का ज्ञान भी सनातन है, इसी ज्ञान से हम संसार रूपी भवसागर को पार कर सकते है , श्रीमद् भागवत कथा का प्रारंभ सत्य से होता है ,यह व्यास जी द्वारा 18 पुराणों में से रचित बहुत श्रेष्ठ पुराण है ।
यह बात साध्वी श्री अखिलेश्वरी दीदी माँ ने उदयपुर ,विनायक नगर , राय मंगरी बडगाँव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ अवसर पर कही।
पुराण की महिमा बताते उन्होंने कहा कि भारत ही भागवत हैl सनातन भारत, सात पर्वत, पवित्र नदियां, पंच सरोवर, सप्तपुरियों, चारधाम, द्वादश ज्योतिर्लिंग, बावन शक्तिपीठ, देवता और महापुरुषों की जन्म भूमि, तथा भागवत प्रेतयोनी को भी मुक्ति देने वाला ग्रंथ हैं साध्वी श्री ने कथा में बताया कि
भागवत पुराण में 18000 श्लोक तथा 12 स्कंध हैं। इसमें भक्ति, ज्ञान तथा वैराग्य की महानता को दर्शाया गया है। विष्णु और कृष्णावतार की कथाओ का ज्ञान कराती है इस पुराण में सकाम कर्म, निष्काम कर्म, ज्ञान साधना, सिद्धि साधना, भक्ति, अनुग्रह, मर्यादा, द्वैत-अद्वैत, द्वैताद्वैत, निर्गुण-सगुण ज्ञान प्राप्त होता है। 'श्रीमद् भागवत पुराण विद्या का अक्षय भण्डार है। यह पुराण सभी प्रकार के कल्याण देने वाला है।

*भागवत व्यास जी द्वारा रचित श्रेष्ठ पुराण*

दीदी माँ ने कथा वाचन करते समय बताया कि व्यास जी द्वारा रचित 18 पुराणों में से श्रेष्ठ पुराण है
एक बार नारद जी को व्यास जी बहुत असंतुष्ट खिन्न दिखे। तब नारद जी को कारण बताते हुए व्यास जी ने कहा कि ऐसे ग्रंथ की रचना के बारे में विचार कर रहा हूं जो कलि काल में भी मनुष्य को कम समय में मोक्ष प्राप्ति दे सके
तब नारद जी ने श्रीमद्भागवत की रचना करने की प्रेरणा व्यास जी को दी उन्होंने धुंधुकारी एवं स्वयं के पूर्व जन्म की कथा भी कह कर सुनाई कलयुग में कम समय में भागवत पुराण ही मनुष्य को तार सकने में सक्षम है ।सर्वसामान्य के लिए भवसागर पार करने के लिए सरल मार्ग भागवत जी से मिलता है
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