GMCH STORIES

सन्ध्या व पवित्र आचरण करने वालों को ऐसी नींद आती है जैसे वह परमात्मा की गोद में निश्चिन्त सो रहे हों: प्रो. नवदीप कुमार

( Read 20603 Times)

21 May 18
Share |
Print This Page
सन्ध्या व पवित्र आचरण करने वालों को ऐसी नींद आती है जैसे  वह परमात्मा की गोद में निश्चिन्त सो रहे हों: प्रो. नवदीप कुमार आर्यसमाज धामावाला, देहरादून के रविवारीय सत्संग में आज डीएवी महाविद्यालय देहरादून के सेवानिवृत प्रो. डा. नवदीप कुमार जी का सम्बोधन हुआ। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन का प्रत्येक क्षण अच्छे विचारों के साथ व्यतीत होना चाहिये। यदि हमें ईश्वरोपासना वा सन्ध्या के मंत्रों का अर्थ ज्ञात नहीं है तो हमें उससे पूरा लाभ नहीं हो सकता। प्रो. नवदीप कुमार जी ने कहा कि यदि हम कहते हैं कि हमारा मन पवित्र हो तो दिन भर हमारा कोई काम व व्यवहार अपवित्र नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि कई लोगों को नींद नहीं आती। उन्हें नींद की गोली खानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि इसका एक कारण हमारे कर्मों का पवित्र न होना भी होता है। जो लोग ईश्वर की प्रातः व सायं सच्चे मन से ईश्वर का ध्यान करते हुए सन्ध्या करते हैं व पवित्र कर्म एवं आचरण करते हैं, उन्हें रात्रि को ऐसी नींद आती है मानों वह परमात्मा की गोद में सुरक्षित व निश्चिन्त सो रहे हैं।

प्रो. नवदीप कुमार ने कहा कि हम प्रातः मन्त्र पाठ करते हैं रात्रि सोने से पूर्व भी मन्त्रों का पाठ करते हैं। इन मंत्रों में परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि वह हमारे विचारों को पवित्र करें वा पवित्र करने में सहायक हों। विद्वान वक्ता ने कहा कि हमें इन मंत्रों की भावना के अनुरूप अगले दिन व भविष्य में कभी भी कोई बुरा काम नहीं करना चाहिये। श्री नवदीप कुमार ने वेद मंत्र के शब्दों ‘पश्येम शरदः शतं श्रुणुयाम शरदः शतं’ की चर्चा की और कहा कि इस मंत्र में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा जाता है कि ईश्वर की कृपा से हम एक सौ वर्ष व उससे भी अधिक अवधि तक पराश्रित न होकर स्वाधीन व स्वस्थ रहें। हमारा शरीर व आंखे, नाक व कान आदि सभी इन्द्रिया स्वस्थ व बलवान रहें। श्री नवदीप जी ने आजकल देश की युवा पीढ़ी में बढ़े रहे चाऊमिन और फास्ट फूड के सेवन की चर्चा भी की और इससे होने वाले उदर व अन्य रोगों सहित अकाल मृत्यु तक से लोगों को सावधान किया। उन्होंने कहा कि इन अभक्ष्य पदार्थों के सेवन से बहुत से बच्चों के लीवर खराब हो गये जिसका कोई उपचार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हम अपनी जिह्वा को नियंत्रित न कर सकने के कारण अल्पायु करने वाले अनेक रोगों को स्वयं आमंत्रित करते हैं।

प्रो. नवदीप कुमार जी ने बच्चों व वृद्धों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें अपने जीवन को अच्छा बनाना है। इसके लिए हमें ब्रह्मचर्य व्रत को धारण करना होगा। विद्वान वक्ता में गुरुकुल में दीक्षा में कहे जाने वाले शब्दों ‘सत्यं वद धर्मम् चर’ का उल्लेख कर उसके महत्व पर प्रकाश डाला। आचार्य नवदीप कुमार जी ने कहा कि वेदों में कहा गया है कि सन्तान के तन्तु को मत तोड़ना। वैदिक विद्वान नवदीप कुमार ने कहा कि सन्तान अपने आप नहीं बनती अपितु उसे अच्छे संस्कारों से संयुक्त कर बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि युवावस्था में विवाह कर संस्कारित सन्तानों को जन्म दो। श्री नवदीप जी ने कहा कि वेदों की शिक्षा ‘मनुर्भव’ के अनुसार अपनी सन्तानों को श्रेष्ठ आचरण करने वाली सन्तान वास्तविक ‘मनुष्य’ बनाओं।

आर्य विद्वान श्री नवदीप कुमार ने कहा कि जो मनुष्य अपने जीवन में सद्गुणों वा अच्छाईयों को विस्तार देता है वह सन्तान कहलाता है। उन्होंने आर्यसमाज के सदस्यों व अधिकारियों का आह्वान करते हुए कहा कि वह संगठित होकर माता-पिता के ज्ञानपूर्ण वचनों, समाज व राष्ट्र को उन्नत करने वाले वैदिक विचारों सहित मुख्यतः वेद की अच्छाईयों व शिक्षाओं का चारों दिशाओं में प्रचार व प्रसार करें। उन्होंने कहा कि सन्तान अच्छे संस्कारों व गुण, कर्म व स्वभाव को धारण करने से बनता है। उन्होंने युवाओं को अच्छे गृहस्थ बनने की सलाह दी।

श्री नवदीप कुमार जी ने कहा कि हमारे देश के अन्नदाता कृषक आत्महत्या इस लिये करते हैं कि देश के दानवों ने उन्हें परेशान कर रखा है। उन्होंने कहा कि जब तक देश के लोग व नेता वैदिक धर्म व उसकी कल्याणकारी शिक्षाओं को नहीं अपनायेंगे तब तक भारत की समस्यायें नहीं सुलझेंगी। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानन्द जी ने देश का भ्रमण कर व लोगों की दुर्दशा देखकर यह निष्कर्ष निकाला था कि देश व मनुष्य जीवन की सभी समस्याओं का समाधान वेद के आचरण व उसकी शिक्षाओं को धारण करने से ही होना सम्भव है। देश के सुधार के लिए ही उन्होंने आर्यसमाज को वेदों का प्रचार करने के लिए स्थापित किया था। विद्वान वक्ता नवदीप कुमार जी ने वेदों के ‘कृण्वन्तोविश्मार्यम्’ अर्थात् सारे संसार को श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव का आचरण करने वाला बनाओं, की चर्चा भी की। उन्होंने कहा कि कृण्वन्तोविश्वार्यम् ही देश की सारी समस्याओं का समाधान है। सभी को वेद मार्ग पर ही चलना चाहिये। वेद का मार्ग ही कल्याण व शान्ति का मार्ग है। हमारा कर्तव्य है कि हम विश्व को आर्य बनाने में अधिक से अधिक जो कर सकते हैं वह करें। इसी के साथ विद्वान वक्ता ने अपनी वाणी को विराम दिया।

कार्यक्रम का संचालन आर्यसमाज के युवा मंत्री श्री नवीन भट्ट जी ने किया। उन्होंने श्री नवदीप कुमार जी को ज्ञानवर्धक व प्रेरणादायक सम्बोधन के लिए धन्यवाद किया। आर्यसमाज के प्रधान श्री महेश चन्द्र शर्मा ने भी श्रोताओं को सम्बोधित किया। आर्यसमाज के अन्तर्गत श्री श्रद्धानन्द बाल वनिता आश्रम का संचालन होता है। इस आश्रम में 52 छात्र व छात्रायें निवास करते हैं। यह बच्चे नगर के विभिन्न विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करते हैं। अपनी कक्षा में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले बच्चों को आज नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद आर्यसमाज के दस नियमों का पाठ किया गया और तदुपरान्त शान्ति पाठ के साथ सत्संग का समापन हुआ। सत्संग में स्त्री, पुरुष एवं बच्चे बड़ी संख्या में उपस्थित थे। सत्संग में आर्यसमाज शक्तिनगर, अमृतसर के संयुक्त मंत्री श्री मुकेश आनन्द जी भी उपस्थित थे। वह प्रत्येक सत्संग में आते हैं। माह में एक या दो बार वह आर्यसमाज, शक्तिनगर, अमृतसर के सत्संग में भी जाते हैं। आर्यसमाज की विचारधारा के प्रचार व प्रसार में वह रूचि लेते हैं और सक्रिय भूमिका निभाते हैं। उनका आर्यसमाज के प्रति प्रेम व उत्साह प्रेरणादायक एवं प्रशंसनीय है। आज के आयोजन में यज्ञ, भजन व सामूहिक प्रार्थना भी की गई। ओ३म् शम्।

Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Chintan
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like