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पंचतत्व से बना शरीर पंचतत्व मिल जायेगा

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17 Mar 18
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पंचतत्व से बना शरीर पंचतत्व मिल जायेगा उदयपुर। जब हमारे घर में आग लगती है तो सबसे पहले फायर ब्रिगेड को फोन करते हैं लेकिन हमारे शरीर में लग रही आग के लिए किसको याद करते हैं। प्रभुवीर का शासन करूणामय है इसलिए परमात्मा ने चण्ड कौशिक नाम के क्रोध को नहीं देखा उसके अंदर लगी आग को ठण्डी करने के लिए वह मार्ग चुना। हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है और पंचतत्वों में विलय हो जाएगा। मिट्टी का पुतला मिट्टी में मिल जाएगा। फिर भी राग, द्वेष को छोडने को तैयार नहीं हैं। यह बात युवाचार्य विश्वरत्न सूरि महाराज ने हिरणमगरी सेक्टर ४ स्थित शांतिनाथ जैन मंदिर उपाश्रय में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि तीन प्रकार के व्यक्तियों में पत्थर, कपडे और शक्कर जैसे होते हैं। जिनवाणी तो हम सुनते हैं लेकिन थोडे समय बाद भूल जाते हैं। दूसरा व्यक्ति जिनवाणी सुनता है थोडा समझता है और तीसरा व्यक्ति शक्कर की तरह सुनता है और उसके भीतर घुल जाता है। अपने शरीर की मुट्ठी भर सांस होती है लेकिन फिर भी राग, द्वेष को छोडने को तैयार नहीं है। विपश्य ग्रंथ में सम्यक दर्शन की बात कही है। गलत या सच्ची राह को समझना है। सच्चे को सच्चा नहीं माना इसलिए आज तक कल्याण नहीं हो पाया। परमात्मा के स्वरूप् को पहचाना और आज्ञा का पालन करना व धर्म को स्वीकार कर तेरी आज्ञा में आता हूं। व्यक्ति भ्रम में जीता है। परमात्मा को देखना है तो अपनी नजरों से देखो जैसे लैला ने मजनूं को देखा था। परमात्मा को सच्ची श्रद्धा से मानना, साधु को साधु मानना, धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखना क्योंकि धर्म ही तिराने वाला है। धर्मस्थल की पवित्रता को बनाए रखना। मुनिराज तीर्थ रत्नसागर ने धर्म की महत्ता को समझाया।
जिनालय के अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि १७ मार्च को सुबह ९.३० बजे आयड तीर्थ में प्रवचन होगा। १८ मार्च को महामांगलिक का आयोजन १२ बजे आयड तीर्थ में होगा। आचार्य १८ मार्च को शाम ४ बजे विहार कर जीरावला तीर्थ में १५०० आराधकों की नवपद ओली के आयोजन के बाद वर्षीतप आखा तीज के पारणे का आयोजन के साथ १७ अप्रेल को महामांगलिक पालीताना में होगा।




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