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दिल्ली से दूर समुद्र पार एक प्रसिद्ध द्वीप पोर्ट ब्लेयर में आर्यसमाज की स्थापना का सुखद समाचार’

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20 May 17
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पोर्टब्लेयर अण्डमांड निकोबार द्वीप समूह की राजधानी है। इसके अन्र्तगत 604 छोटे द्वीप हैं। अधिकांश द्वीप आज भी निर्जन पड़े हैं जहां जंगल है और चारों ओर सम्रद्र हैं जहां कोई मनुष्य नहीं रहता। पोर्टब्लेयर समुद्रपार बंगाल की खाड़ी का वह द्वीप है जहां कोलकत्ता, चेन्नई वा विशाखापटनम आदि स्थानों से जलयान या वायुयान से ही पहुंचा जा सकता है। पोर्टब्लेयर वही स्थान है जहां पराधीनता के दिनों में देशभक्तों को कालापानी नाम से विख्यात सेलुलर जेल में रखा जाता था और अमानवीय यातनायें दी जाती थी। पोर्टब्लेयर व इसके आस पास के द्वीप अति सुन्दर स्थानों से समृद्ध हैं जहां पर्यटक जाकर अपना समय व्यतीत करते हैं और आनन्दित होते हैं। देश भर के सभी पर्यटन स्थलों में हमें यह सबसे अधिक सुन्दर स्थान लगा। हमें हमारे अनेक मित्रों ने यह बात कही जो हमसे पहले व बाद में वहा गये हैं। हमारा भी सौभाग्य है कि 6 वर्ष पूर्व हमें भी सपरिवार वहां जाने का अवसर मिला था। जीवन में एक बार यदि पुनः यात्रा का अवसर मिलता है तो हम वहां अवश्य जाना चाहेंगे। यह बात अलग है कि यह स्थान कुछ खर्चीला है जहां सामान्य आर्थिक स्थिति के लोगों का जाना कठिन ही लगता है। वहां जाने पर स्थानीय व कुछ दूरस्थ स्थानों की यात्रा हेतु टैक्सी लेनी होती है, एक टापू से दूसरे टापू पर जाने के लिए समुद्री छोटे जहाजों से जाना होता है। ज्ञान न होने पर किसी एजेण्ट से टिकटों का प्रबन्ध करना होता है जिसमें कई बार अधिक धन व्यय हो जाता है। इसके अतिरिक्त निवास हेतु होटल एवं भोजन आदि पर भी व्यय करना होता है। मुख्यतः वहां सेलुलर नामी प्रसिद्ध जेल हैं जहां वीर सावरकर जी सहित अनेक देशभक्त रहे और कठोर यातनायें सहीं। सेलुलर जेल के अतिरिक्त वहां बाराटांगा, रोज आईसलैण्ड, वाइपर आइजलैण्ड एवं हैवलौक आइजलैण्ड आदि स्थानों सहित इनके निकटवर्ती अनेक प्रसिद्ध सुन्दर, सुरम्य व दर्शनीय स्थान हैं।

आर्यसमाज की एक सार्वदेशिक सभा जिसके प्रधान श्री सुरेशचन्द्र आर्य जी हैं तथा मंत्री श्री प्रकाश आर्य जी हैं, ने आर्यसन्देश के माध्यम से अवगत कराया है कि विगत दिनांे अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में आर्यसमाज की स्थापना की गई है। इस आर्यसमाज की स्थापना गुरुकुल होशंगाबाद के श्रद्धेय आचार्य आनन्द पुरुषार्थी जी का महत्वपूर्ण योगदान है। वह वहां गये, 7 दिनों तक रहे और वहां लोगों से सम्पर्क कर आर्यसमाज की महत्ता के बारे बताया व अनेक लोगों को आर्यसमाज की स्थापना के लिए तैयार किया। श्री हरिनारायण अरोड़ा जी को आर्यसमाज पोर्ट ब्लेयर का संरक्षक बनाया गया है। उन्होंने कहा है कि वह आर्यसमाज को वहां आगे बढ़ाने के लिए हर सम्भव प्रयत्न करेंगे। आर्यसमाज के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक संचालन समिति भी बना दी गई हैं जिसमें अनेक सभासद् हैं। डा. सुरेश चतुर्वेदी जी आर्यसमाज के प्रधान, श्री सुरेश कुमार आर्य मंत्री और डा. रविशंकर पाण्डेय कोषाध्यक्ष मनोनीत किये गये हैं।

आर्यसमाज पोर्टब्लेयर की स्थापना 6 मई, 2017 को पोर्टब्लेयर के हिन्प्दी साहित्य कला परिषद् के सभागार में एक बैठक कर की गई जिसमें वहां के स्थानीय लोगों सहित दिल्ली से सार्वदेशिक सभा के श्री प्रकाश आर्य, श्री विनय आर्य, श्री शिवकुमार मदान और श्री एस.के. कोचर मुख्य रूप से सम्मिलित थे। आर्य सन्देश में श्री प्रकाश आर्य जी ने कहा है कि वहां की गई बैठक में अधिकारियों ने आर्यसमाज मन्दिर तथा विद्यालय हेतु भवन निर्माण की योजना बनाई है। अनेक स्थानों पर जाकर भवन हेतु भूमि देखी गई है। प्रसन्नता की बात यह है कि पोर्टब्लेयर में आर्यसमाज से जो लोग जुड़े हैं वह सब उच्च शिक्षित लोग हैं। अण्डमान निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल श्री जगदीश मुखी जी ने भी आर्यसमाज को अपने हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया है। आर्यसमाज के प्रतिनिधि मण्डल ने उनके पास जाकर उन्हें ऋषि दयानन्द जी का चित्र और साहित्य भी भेंट किया है। आर्यसमाज की महान विभूति महाशय धर्मपाल जी ने आर्यसमाज की स्थापना का सन्देश सुनकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वह वहां आर्यसमाज को हर प्रकार का सहयोग जिसमें आर्थिक सहयोग मुख्य है, देने के लिए तैयार हैं।

यह भी बता दें कि आर्यसमाज की स्थापना के अवसर पर पोर्ट ब्लेयर में दो दिन की बैठक एवं सत्संग का आयोजन सम्पन्न किया गया जिसमें श्री विनय आर्य और श्री प्रकाश आर्य जी के उपदेश व भजन आदि हुए। यह निश्चय किया गया कि आगामी 16 जुलाई, 2017 से वहां नियमित सत्संग का आयोजन किया जाएगा। आर्यसमाज के कार्यालय के लिए श्री शशि मोहन सिंह जी ने आर्यसमाज का अपना भवन बनने तक अपना स्थान देने का निश्चय सूचित किया है। आर्यसमाज के सत्संग के लिए श्री अरुण श्रीवास्तव जी ने भी अपना स्थान देने का प्रस्ताव किया है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। वहां गठित संचालन समिति के सभी सदस्यों ने अपना मासिक आर्थिक सहयेाग देने की भी घोषणायें की हैं। सभी सदस्यों ने अपने निवास स्थानों पर एक एक सत्संग आयोजित करने की इच्छा व्यक्त की है। हमें आशा है कि वहां संचालन समिति दिल्ली सभा के सहयोग से शीघ्र आर्यसमाज के लिए भूमि क्रय करके किसी सुयोग्य वास्तुविद व मानचित्रकार से भवन निर्माण का कार्य आरम्भ करेगी। देश विदेश के बन्धुओं को इसके लिए सहयोग करना चाहिये। यह भी विचार किया गया है कि वहां नवम्बर, 2017 में पोर्ट ब्लेयर में एक वृहद आयोजन किया जाये जिसमें अधिक से अधिक लोग वहां जाकर उसे सफल बनायें।

यह भी बता दें कि हिन्दी पोर्ट ब्लेयर की बोलचाल की भाषा है। अंग्रेजों ने इस द्वीप को भारतीय कैदियों को रखने व उन्हें घोर अमानवीय यातनायें देने के लिए बसाया था। बाद में वहां सेलुलर जेल बनी जिससे यह स्थान देश विदेश में प्रसिद्ध हो गया। पोर्ट ब्लेयर में चिन्मय मिशन, निरंकारी मिशन, गुरुद्वारा, धन-धन सतगुरु, गायत्री परिवार, भारत स्वाभिमान, आर्ट आफ लिविंग तथा अन्य अनेक संस्थायें कार्यरत हैं। इस द्वीप की जनसंख्या में 70 प्रतिशत लोग हिन्दू हैं। यहां साक्षरता की दर लगभग 95 प्रतिशत है। यहां की शिक्षण संस्थाओं में बड़ी संख्या मिशनरीज संस्थाओं की है जिनका सरकारी संस्थाओं के बाद दूसरा स्थान है।

हम अनुभव करते हैं कि पोर्ट ब्लेयर में आर्यसमाज की स्थापना एक बहुत प्रसन्नता का समाचार है। जिन लोगों के भी प्रयासों से यह सम्भव हुआ है, उन्हें हम साधुवाद देते हैं और उनका अभिनन्दन करते हैं। ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि यह आर्यसमाज उन्नति करे और वहां के सभी लोग वैदिक धर्म और संस्कृति को अपनायें। इन्हीं शब्दों के साथ हम ऋषिभक्त आर्य विद्वान श्री आनन्द पुरुषार्थी जी सहित सार्वदेशिक सभा के अधिकारियों एवं पोर्ट ब्लेयर के उन सभी स्थानीय लोगों का जो इस नये आर्यसमाज की स्थापना में सहयोगी बने हैं, पुनः पुनः अभिनन्न्दन करने सहित सबका धन्यवाद करते हैं। ओ३म् शम्।
-मनमोहन कुमार आर्य
पताः 196 चुक्खूवाला-2
देहरादून-248001
फोनः09412985121

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