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ईद मिलादुन्नबी किसी मज़हब का नहीं बल्कि इंसानियत की ख़ुशी का दिन : सय्यद मोहम्मद अशरफ

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29 Apr 17
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लखनऊ | इस्लाम शांति और सलामती का धर्म है और हज़रत मोहम्मद ﷺ अमन के पैगम्बर। लिहाज़ा ईद-मिलादुन्नबी किसी मज़हब से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए यह पूरी इंसानियत के लिए ख़ुशी का मौक़ा है। सूफ़ियाए इकराम ने हुज़ूर ﷺ की शांति और आपसी भाईचारा की शिक्षाओं को आम किया यही कारण है कि उनके जीवन में कहीं भी घृणा का नाम व निशान तक नहीं मिलता। उन्होंने हर अच्छे और बुरे को अपने पास बिठाया और उसे अपनी शिक्षाओं और प्रेम द्वारा उसे प्यार करने वाला बना दिया। इस्लाम की उज्ज्वल शिक्षाओं द्वारा ही समाज से घृणा और दहशत के वातावरण को समाप्त किया जा सकता है। इन विचारों को आल इंडिया उलेमा मशाइख बोर्ड के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने लखनऊ कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। हज़रत ने साफ़ कहा कि हम भी मानते हैं कि छुट्टियों से काम प्रभावित होता है लिहाज़ा इन्हें कम किया जाना चाहिए लेकिन ईद मिलादुन्नबी की छुट्टी खतम करना सही फैसला नहीं है क्योंकि यह त्यौहार शांति का त्यौहार है शांति पर्व कि तौर पर मनाया जाता है।

मौलाना किछौछ्वी ने कहा कि हम मुसलमानों की जिम्मेदारी है कि वह इस्लामी शिक्षाओं को अपनी जीवन के हर क्षेत्र अपनाएं, शिक्षा अर्जित करें, दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखें और और तनाव का माहौल उत्पन्न न होने दे मोहब्बत का पैग़ाम आम करें और मानवता की सेवा करें।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए सैयद शादान शिकोही (प्रदेश अध्यक्ष ) ने कहा कि किसी भी संगठन की शक्ति उसके सदस्य होते हैं लिहाज़ा हमें सदस्यता अभियान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बोर्ड की तहसील स्तर तक इकाइयोंके बनायें जाने पर ज़ोर दिया और उम्मीद जताई कि जल्द ही जिला शाखाओं से यह काम शुरू कर दिया जायेगा । उन्होंने सुझाव दिया कि घृणा और दहशत के वातावरण में एक समिति का गठन किया जाए जिसमें सभी धर्मों के लोगों की भागीदारी हो जो सूफ़ी शांति संदेश को जन जन तक पहुंचाएं उनके इस सुझाव का भी लोगों ने स्वागत किया।

मौलाना मक़बूल सालिक मिसबाही ने बोर्ड के उद्देश्यों और कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने के लिए एक मासिक पत्रिका शुरू किये जाने का प्रस्ताव रखा जिस पर बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि इंशाअल्लाह जल्द ही मासिक ग़ौस आलम उर्दू में और सूफी विज़न नाम से अंग्रेजी में मासिक पत्रिका निकली जायेगी जिसकी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।

मुफ़्ती सय्यद अज़बर अली ने भी ईद मिलादुन्नबी की छुट्टी को खत्म किये जाने पर अफ़सोस ज़ाहिर किया।

बैठक में मस्जिदों के इमामों कि समस्याओं पर गौर किया गया और यह प्रस्ताव किया गया कि एक मस्जिद के इमामों का एक संगठन बनाया जाये जिसके तहत मस्जिद के इमामों के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किया जाए और उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाये जिससे कि उनके आर्थिक समस्याओं को हल में मदद मिल सके।

बैठक में सय्यद हम्माद अशरफ किछौछवी प्रदेश सचिव ,सय्यद सिराज अशरफ , मौलाना इश्तियाक कादरी (लखनऊ जिला अध्यक्ष ) हाफिज मुबीन अहमद (अध्यक्ष रायबरेली), कारी मोहम्मद अहमद बकाई, कारी मोईनुद्दीन, मुफ्ती सैयद निसार अहमद, सैयद इज़हार मुराद , मौलाना गुलाम रब्बानी, मौलाना हसीब मिस्बाही, मुफ्ती नसीम अख्तर अशरफी , निगार आलम, कारी इरफान अहमद संभली, एडवोकेट हाशमी, मोहम्मद आलम, असद कुरैशी, अब्दुर्रहमान, मोहम्मद आमिर मौजूद रहे। मीटिंग का समापन सलाम और देश में शांति और खुशहाली की दुआ पर हुआ।
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