GMCH STORIES

‘आर्यसमाज लक्ष्मण चौक देहरादून के साप्ताहिक सत्संग में ऋषि दयानन्द का जन्म-दिवस मनाया गया’

( Read 12584 Times)

15 Feb 17
Share |
Print This Page
आर्यसमाज लक्ष्मण देहरादून का मुख्य आर्यसमाज है जहां आर्यसमाज की अनेक गतिविधियां संचालित की जाती हैं। प्रतिदिन प्रातः यज्ञ होता है तथा रविवारीय सत्संग का आयोजन भी किया जाता है। समाज के पास अपनी विस्तृत यज्ञशाला, सत्संग भवन, अतिथि निवास, पुरोहित निवास एवं कार्यालय है। यहां एक प्राथमिक विद्यालय भी संचालित किया जाता है जहां बच्चों को ऋषि दयानन्द एवं आर्यसमाज विषयक ज्ञान कराने के साथ वैदिक धर्म के संस्कार भी दिये जाते हैं। समाज की ओर से एक होम्योपैथी का चिकित्सालय भी संचालित है। सम्प्रति उत्तराखण्ड राज्य विद्युत आयोग के वरिष्ठ सदस्य श्री के.पी. सिंह जी समाज के प्रधान हैं एवं भारतीय सेना से निवृत्त अधिकारी श्री एस.पी. सिंह जी इस समाज के मंत्री हैं। श्री रणजीत सिंह जी आर्यसमाज के युवा पुरोहित हैं जो गुरुकुल एटा के स्नातक हैं एवं आर्यसमाज के एक अच्छे विद्वान एवं सुयोग्य वक्ता हैं। आर्यसमाज लक्ष्मण चैक के प्रमुख प्रेरणास्रोत के रूप में उत्तराखण्ड के प्रमुख आर्यसमाजी नेता इ. प्रेम प्रकाश शर्मा जी हैं जो अन्य देहरादून की सभी समाजों के भी प्रेरक हैं। श्री शर्मा देश विदेश में प्रसिद्ध आर्य संस्था ‘वैदिक साधन आश्रम, तपोवन, देहरादून’ के मंत्री हैं जिनके कुशल नेतृत्व में आश्रम प्रगति के पथ पर आरुढ़ है।

आज हमें आर्यसमाज लक्ष्मण चैक जाकर वहां के सभी अधिकारियों एवं सदस्यों से मिलने का अवसर मिला। समाज में आज प्रातःकाल सन्ध्या व यज्ञ सम्पन्न किया गया। तदन्तर समाज के विद्यालय की बालिकाओं ने आर्यसमाज से सम्बन्धित भजन प्रस्तुत किये जो बहुत ही मधुर एवं रुचिकर थे। इसके बाद आर्यसमाज के पुरोहित श्री रणजीत सिंह जी ने सत्यार्थप्रकाश के ग्यारहवें समुल्लास का लगभग 15 मिनट तक पाठ किया। आज अंग्रेजी तिथि के अनुसार ऋषि दयानन्द का जन्म दिवस होने के अवसर पर मनमोहन कुमार आर्य को ऋषि जीवन पर बोलने का आग्रह किया गया। अपने आधे घण्टे के सम्बोधन में उन्होंने ऋषि दयानन्द के जीवन एवं कार्यों पर प्रकाश डाला। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि ऋषि जैमिनी पर टूट चुकी ऋषि परम्परा ऋषि दयानन्द के आगमन व उनके कार्यों से पुनः आरम्भ व स्थापित हुई। उन्होंने कहा कि ऋषि दयानन्द महाभारत काल के महर्षि वेदव्यास, इससे पूर्व के सभी ऋषियों व ऋषि जैमिनी की परम्परा वाले ऋषि थे। स्वामी श्रद्धानन्द, पं. गुरुदत्त विद्यार्थी सहित आर्यसमाज के सभी वेदभाष्यकारों व वैदिक विद्वानों को उन्होंने ऋषि परम्परा का पोषक बताया। श्री आर्य ने ऋषि दयानन्द द्वारा वेदों की प्राप्ति, उनके सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, संस्कारविधि, आर्याभिविनय सहित वेदभाष्य आदि के प्रणयन एवं उनके कार्यों एवं ग्रन्थों के महत्व की चर्चा करते हुए विश्व धर्म के परिप्रेक्ष्य में उन पर विचार व्यक्त किये और इन ग्रन्थों को विश्व के मनुष्यों की श्रेष्ठ सम्पदा बताया जो मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति कराने में समर्थ हैं। ऋषि दयानन्द द्वारा वैदिक धर्म की स्थापना कर अज्ञान व अन्धविश्वासों का जो खण्डन किया गया उसका उल्लेख कर उन्होंने ऋषि दयानन्द के देश व समाज को महाभारतकाल व उससे पूर्व के वेद पोषित समाज जैसा चरित्रवान् देश व समाज बनाने के कार्यों पर भी प्रकाश डाला। मूर्तिपूजा, अवतारवाद, फलित ज्योतिष, मृतक श्राद्ध और गुण, कर्म व स्वभाव पर आधारित वर्णव्यवस्था सहित जन्मना जातिवाद पर ऋषि के विचारों को भी उन्होंने प्रस्तुत किया। स्वामी दयानन्द जी के देश की आजादी में योगदान की विस्तार से चर्चा भी की गई। अन्य अनेक विषय भी उनके सम्बोधन में सम्मिलित थे जिनसे हमारा देश, समाज व विश्व लाभान्वित हुआ है। सम्बोधन को विराम देने से पूर्व आर्यसमाज के तीसरे नियम की चर्चा कर उन्होंने कहा कि आप वेदों का नियमित स्वाध्याय तो करें ही साथ ही सत्यार्थप्रकाश का स्वाध्याय भी नियमित रूप से अवश्य करें। इससे आपको नई नई प्रेरणायें मिलेंगी और देश व समाज को लाभ होगा। उन्होंने ऋषि जन्म दिवस के अवसर पर सभी को बधाई भी दी।

आर्यसमाजों के प्रेरणासे्रात इ. प्रेमप्रकाश शर्मा जी ने भी समाज के सत्संग को सम्बोधित किया। आपने वैदिक साधन आश्रम तपोवन की मासिक पत्रिका ‘पवमान’ एवं इसके सम्पादक आर्य विद्वान श्री कृष्ण कान्त वैदिक शास्त्री एवं मनमोहन कुमार आर्य की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि देहरादून को अनेक आर्यविद्वानों की सेवाओं उपलब्ध हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने आचार्य आशीष दर्शनाचार्य, गुरुकुल पौंधा देहरादून के आचार्य डा. धनंजय और डा. यज्ञवीर जी, द्रोणस्थली कन्या आर्ष गुरुकुल की आचार्या डा. अन्नपूर्णा एवं विदुषी आर्य बहिन श्रीमती सुखदा सोलंकी का भी उल्लेख किया। श्री शर्मा ने कहा कि ऋषि दयानन्द जी ने आर्यसमाज की स्थापना कर देश और समाजोत्थान का महनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि देश स्वामी दयानन्द के उपकारों का ऋणी है। श्री प्रेम प्रकाश शर्मा ने कहा कि हम आर्यसमाज के नियम एवं विधानों का कितना पालन करते हैं, इस पर हमें चिन्तन करने की आवश्यकता है। शर्मा जी ने बताया कि कल उन्होंने आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी के साथ मिल कर आर्यसमाज के वेद प्रचार कार्यों की शिथिलता पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमें समाज मन्दिरों की दीवारों से बाहर जाकर समाज के लोगों के बीच में महर्षि दयानन्द और वैदिक धर्म के सिद्धान्तों की चर्चा व प्रचार करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए हम एक आर्य विद्वान और भजनोपदेशक की टोली बना रहे हैं जो उत्तराखण्ड का भ्रमण करके युवाओं व अन्य लोगों में उनके बीच जाकर प्रचार करेंगे। शर्माजी ने बताया कि देहरादून में ईसाईयों की संस्थायें सक्रिय हैं जो लोगों का धर्मान्तरण करती हैं। यह लोग गरीबों को शिक्षित भी करते हैं, उनका आर्थिक सहायता भी कर देते हैं और ऐसे कृपा पात्रों का धर्म परिवर्तन भी करते हैं। हमें इसका विरोध करना है और धर्मान्तरण से लोगों की रक्षा करनी है। श्री शर्मा जी ने सेवानिवृत लोगों को कहा कि वह जन-जन में प्रचार के लिये अपना समय आर्यसमाज के प्रचार कार्यों को दें। उन्होंने कहा कि बिना प्रचार किये काम नहीं बनेगा और कहा कि अन्धकार आने वाला है। श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी ने तपोवन एवं आर्यसमाज लक्ष्मरणचैक के विद्यालयों की शिक्षिकाओं एवं बच्चों के लिए आयोजित तीन दिवसीय आर्य संस्कार स्थापन प्रशिक्षण शिविर पर भी प्रकाश डाला जिसका आज सायं समापन होना है। उन्होंने कहा कि हम अपनी शिक्षण संस्थाओं के पूर्व शिक्षित युवाओं को बुलाकर 17 अप्रैल, 2017 को आर्य समाज के प्रचार के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं। उनका यह प्रशिक्षण दो दिन चलेगा।

पुरोहित श्री रणजीव सिंह जी ने कार्यक्रम का समापन कराया। उन्होंने कहा कि कोई भी अच्छा काम करने में उम्र की बाधा नहीं होती। उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध उद्योगपति टाटा ने 75 वर्ष की आयु में विमान उड़ा कर यह सन्देश दिया है। उन्होंने लोगों को जीवन में सक्रिय होने की प्रेरणा की। पुरोहित जी ने कहा कि स्वामी दयानन्द ने विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में वेदों के प्रचार का कार्य किया। वह कभी निराश नहीं हुए। उन्होंने सभी सदस्यों व श्रोताओं को आर्यसमाज के दस नियमों का पाठ भी कराया। इसके बाद संगठन सूक्त व शान्तिपाठ के साथ वैदिक धर्म आर्य पुरुषों के जयकारों से आज की सभा का समापन हुआ।
-मनमोहन कुमार आर्य
पताः 196 चुक्खूवाला-2
देहरादून-248001
फोनः09412985121


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Chintan
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like