उदयपुर। राजस्थान और गुजरात के मार्बल एवं ग्रेनाइट व्यवसाइयों ने 1 जुलाई से अनिश्चितकालीन हडताल पर जाने का निर्णय लिया है। उदयपुर में सोमवार को यूसीसीआई सभागार में देश भर के समस्त मार्बल एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों की आपात एवं महत्वपूर्ण बैठक में सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया गया।
उदयपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स समिति, उदयपुर मार्बल एसोसिएशन की साझा मेजबानी में मादडी स्थित उदयपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री भवन में हुई बैठक में कई स्तरों पर वार्ताओं, सुझावों व गहन मंथन के बाद यह निर्णय हुआ। बैठक में यह भी तय हुआ कि इससे पहले 29 जून को राजस्थान, गुजरात सहित देश के सभी जिला मुख्यालयों पर मार्बल व ग्रेनाइट से जुडे पदाधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल सुबह 11 से 1 बजे की बीच जिला कलेक्टरों को ज्ञापन देगा। पदाधिकारियों ने कहा कि हर बार कोशिशों के बाद निराश होकर भारी मन से उन्हें यह घोषणा करनी पड रही है। इस अभूतपूर्ण बंद के दौरान मार्बल व ग्रेनाइट से जुडा हर व्यवसाय बंद रहेगा, कामकाज ठप रहेगा। इसमें माइनिंग, प्रोसेसिंग, ट्रेडिंग, प्रोडक्शन सहित सभी इकाइयां बंद रहेगी। इस फैसले के बाद मार्बल उद्योग को अरबों के नुकसान और से जुडे लाखों मजदूरों की रोजी-रोटी पर भी संकट की आशंका है।
उदयपुर मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष तेजेंदरसिंह रोबिन, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स समिति के अध्यक्ष विजय गोधा, किशनगढ एसोसिएशन के सुरेश टांक, राजसमंद एसोसिएशन अध्यक्ष सत्यनारायण काबरा, राजसमंद माइनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सौरभ सिंह, केसरियाजी ग्रीन मार्बल माइनिंग एसोसिएशन के सचिव महेंद्रसिंह ने बैठक के बाद अनिश्चितकालीन बंद की साझा घोषणा करते हुए बताया कि मंगलवार को सचिव हंसमुख अढिया से मिलकर प्रतिनिधिमंडल एक बार फिर जीएसटी में मार्बल-ग्रेनाइट को नीचे के स्लैब में रखने की मांग करेंगे। बैठक में उदयपुर, राजसमंद, चित्तौडगढ, किशनगढ, मकराना, आबूरोड, जालौर, रेवदर, बांसवाडा सहित गुजरात के कई एसोएसशन के पदाधिकारी मौजूद थे। इससे पहले जहां से प्रतिनिधिमंडल नहीं आ पाए थे, उनसे फोन पर कंफर्मेशन के बाद बंद का निर्णय हुआ। प्रतिनिधिमंडलों ने मौजूदा जीएसटी स्लैब का कडा विरोध जताते हुए कहा कि इससे पहले से वेंटिलेटर पर चल रहा मार्बल उद्योग पूरी तरह से मरणासन्न हो जाएगा। जीएसटी लागू होने में सिर्फ तीन दिन बचे हैं, उम्मीदें धुंधलाती जा रही हैं। अब आमजन और मजदूरों के भविष्य को देखते हुए विरोध के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। पदाधिकारियों ने बताया कि यदि सरकार उनकी मांगों को मान लेती है तो हडताल का निर्णय वापस ले लिया जाएगा। बैठक के बाद सबने संघर्ष के दौरान हर हाल में साझ रहने का संकल्प भी लिया। इससे पहले यूसीसीआई अध्यक्ष हंसराज चौधरी ने अतिथियों का स्वागत किया।
लगातार कोशिशें, नहीं मिला नतीजा
केंद्र सरकार की ओर से मार्बल-ग्रेनाइट को 28 प्रतिशत की श्रेणी में रखने के विरोध में देश भर के व्यवसायी लगातार विधायकों, सांसद, मंत्री, वित्त मंत्री एवं कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अनुरोध कर चुके हैं लेकिन अब तक कहीं से भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला है। प्रतिनिधिमंडल ने वित्तमंत्री से भी मुलाकात की लेकिन वहां से भी आश्वासन ही मिला जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है। बैठक में देशभर से आए 100 से अधिक उद्यामियों ने गहरा आक्रोश जातते हुए कहा कि उद्योग पहले से ही कई कारणों से मंदी की मार झेल रहा है। जीएसटी लागू होने से व्यापार चौपट हो जाएगा। पिछले कई महीनों से लगातार उद्यमियों की ओर से वित्तमंत्री तक अपनी पीडा पहुंचाई जा रही है लेकिन जीएसटी मंत्री स्तरीय वार्ताओं में हर बार इस मुद्दे की अनदेखी की गई है। उदयपुर मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष तेजेन्दरसिंह रोबिन ने आगे की रणनीति तय करने के लिए एसोसिएशन एवं पदाधिकारियों के विचार आमंत्रित किए।
एक मत से हुआ फैसला
मार्बल एसोसिएशनों के पदाधिकारियों व सदस्यों ने विस्तार से चर्चा के बाद एक मत से अनिश्चितकालीन हडताल पर जाने की घोषणा की। इस दौरान मार्बल, माइनिंग, ट्रांसपोर्टशन, प्रोसेसिंग, ट्रेडिंग, लोड-अनलोड, इंपोर्ट-एक्सपोर्ट सहित अन्य सभी गतिविधियां पूरी तरह से बंदर रखने का निर्णय किया गया।
इन्होंने रखे विचार
बैठक में शरत कटारिया, दिलीप तलेसरा, राजेश खमेसरा, महेंद्र माण्डावत, श्याम नागौरी, शंकरसिंह, विपिन लड्ढ्ा, गौरवसिंह राठौड, अरविंद भंडारी, सोहन पुंगलिया, मनोज अग्रवाल, पंकज गांगावत, बाबू चोरडिया, ब्रिजेश सोनी, भगवान अग्रवाल, गोविंद नांदेड, गोविंद सनाढ्य, मार्बल माइंस ऑनर्स एसोसिएशन राजसमंद, मार्बल गेंगसॉ एवं टाइल प्लांट एसोसिएशन राजसमंद, मार्बल ट्रेडर्स एसोसिएशन राजसमंद, आबूरोड मार्बल एसोसिएशन, मकराना मार्बल एसोसिएशन, अंबाजी मार्बल एसोसिएशन, चित्तौडगढ मार्बल एसोसिएशन, किशनगढ मार्बल एसोसिएशन, गुजरात मार्बल एसोसिएशन आदि सहित कई राज्यों व राजस्थान की सभी मार्बल माइनिंग, प्रोसेसिंग एवं ट्रेडिंग से जुडी एसोसिएशन के सदस्यों ने विचार रखे। बैठक का संचालन उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स समिति के सचिव कपिल सुराणा ने किया। धन्यवाद प्रोससर्स समिति के पूर्व अध्यक्ष शरतकटारिया ने ज्ञापित किया।
झलकी पीडा, आए सुझाव
- मार्बल/ग्रेनाइट पर केवल 5 प्रतिशत टेक्स वसूला जा रहा है इसे बढाकर 28 प्रतिशत करने से उद्योग बर्बाद हो जाएगा।
- एवं 95 प्रतिशत मार्बल/ग्रेनाइट के कारखाने एसएसआई लघु उद्योग की श्रेणी में आते हैं और 10 लाख लोग राजस्थान में व्यवसाय से जुडे हुये हैं, अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 40 लाख लोगों का रोजगार प्रभावित होगा।
- विट्रीफाइड टाइल्स के कारण एक दशक से मार्बल व्यवसाय मंदी की मार झेल रहा है। उसे निम्तर स्लैब में लाने से मार्बल व्यवसाय पर और अधिक मार पडेगी।
- मंदी से कई फैक्ट्रियां बन्द हो चुकी हैं। 28 प्रतिशत टैक्स किसी भी हाल में उचित नहीं है।
- मार्बल कोई विलासिता की वस्तु नहीं है, वित्त मंत्री को यह आंकडों सहित समझाने की जरूरत है।
- विरोध के साथ-साथ सरकार के पास डायमंड, कोटा स्टोन सहित अन्य पत्थरों का तुलनात्मक अध्ययन कर निष्कर्ष पहुंचाया जाए।
- अब वक्त आ गया है कि देशी और विदेशी मार्बल में विभेद करने का मैकेनिज्म बनें। उनका टैक्स स्लैब भी अलग रखा जाए।
- राजस्थान व अन्य राज्यों के मार्बल उद्योगों की समस्याओं को साझा रूप से हल किया जाए।
- जीएसटी की बैठकों में अन्य राज्यों की चुप्पी भी ने मुद्दे की गंभीरता को बढाया।
- राजस्थान सहित अन्य मार्बल व्यवसाय से जुडे राज्यों को इसके लिए लोबिंग करनी चाहिए।
- 1 जुलाई से जीएसटी का कोई भी बिल नहीं काटा जाएगा।
हर बात में झलकी पीडा
बैठक में पदाधिकारियों ने बताया कि अब उन्हें 1 जुलाई से मार्बल उद्योग से जुडे लाखों मजदूरों की रोजी-रोटी की चिंता सता रही है। यदि फैसला वापस नहीं लिया गया तो उन्हें भूखो मरने पर मजबूर होना पडेगा। राजस्थान पर इसका सबसे ज्यादा असर होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद इस मसले की गंभीरता समझ कर दिल्ली के मोर्चे पर उनकी लडाई लडें।
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