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पुण्य तिथि पर विशेष-रिखब चंद धारीवाल ने कोटा की बनाई पहचान

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20 May 16
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पुण्य तिथि पर विशेष-रिखब चंद धारीवाल ने कोटा की बनाई पहचान कोटा। ईश्वर जब किसी बच्चे का जन्म देता है तो यह पता नहीं होता कि किस के भाग्य में क्या लिया है, कौन बच्चा बडा होकर किस प्रकार रा६ट के निर्माण में आगे आएगा। ऐसे ही कोटा के धारीवाल परिवार में जन्म लेने वाले रिखब चंद धारीवाल ऐसी ही एक ७ाख्सियत बने, जिन्होंने वकालत का पेशा अपनाकर जहां पीडतों को न्याय दिलाया, वहीं 1960 के दशक में राजस्थान राज्य के उद्योग मंत्री के रूप में विश्वके मानचित्र् पर कोटा की औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान बनाई। उन्होंने पीपल्दा विधानसभा क्षेत्र् से चुनाव लडा व विजयी होकर तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाडया मंत्रीमण्डल में उद्योग मंत्री बने।
सुनने में बडा अजीब लगेगा, परंतु सत्य है कि उन्होंने कोटा में उद्योगों का विकास करने का संकल्प लिया और यह विकास उन्होंने उद्योग मंत्री बनकर नहीं, वरन अपने आपको एक व्यापारी के रूप में प्रस्तुत कर किया। उनके समय के उद्योग से जुडे एक उद्यमी एवं दी एस.एस.आई. एसोसियेशन के संरक्षक गोविन्दराम मित्तल बताते हैं कि वे जब भी किसी उद्योग घराने के पास कोटा में उद्योग की स्थापना के लिए जाते थे तो कभी भी उद्योग मंत्री की हैसियत से नहीं गए, वरन एक आम व्यापारी की तरह गए।
इसको समझने के लिए एक उदाहरण ही काफी होगा कि जब वे जे.के. समूह वालों के पास गए तो उन्होंने उद्योग मंत्री का परिचय नहीं दिया, जिससे उन्हें मिलने के लिए करीब दो घंटे इंतजार करना पडा। जब जे.के. समूह के मालिक का पता चला कि मिलने आने वाले राजस्थान के उद्योग मंत्री हैं तो उन्होंने क्षमा याचना करते हुए उनसे भेंट की। धारीवाल ने उस समय कहा कि वे उनके पास उद्योग मंत्री की हैसियत से नहीं आए है, वरन वे तो उनसे कोटा में अपना उद्योग स्थापित करने की प्रार्थना लेकर आए हैं। उन्होंने बिजली, पानी और जमीन आदि मूलभूत सुविधाएं सस्ते से सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने का वायदा किया।
धारीवाल के प्रयास का ही परिणाम रहा कि जे.के. उद्योग समूह ने पहला बडा उद्योग कोटा की धरती पर स्थापित किया। उन्हें 6.5 पैसे प्रति वर्गमीटर की दर से जमीन तथा 3 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली व दांयी मुख्य नहर से निःशुल्क पानी उपलब्ध कराया गया। धारीवाल ने अपने वादे को पूरा किया और कोटा में जे.के. उद्योग का उत्पादन शुरू हुआ।
धारीवाल ने अपने प्रयास निरंतर जारी रखे और उसी का सुपरिणाम कोटा में 1960 के दशक में 18 वृहद उद्योगों की स्थापना के रूप में सामने आया। कोटा वि८व के मानचित्र् पर औद्योगिक नगरी के रूप में उभरा और देश का कानपुर कहा जाने लगा। उनके समय में श्रीराम ग्रुप, जे.के., सौम्या ग्रुप (ओ.पी.सी.), बेदला फ्लोर मिल, बिनानी ग्रुप (मल्टीमेटल), नागपाल ग्रुप (कॉम्बिंग मिल), आई.एल., सहकारी क्षेत्र् में केशवराय पाटन (बून्दी) की सहकारी शुगर मिल तथा रेलवे वर्कशाॅप को लक्ष्मी वर्कशाॅप का दर्जा देने का जैसे बडे-बडे कार्यों का श्रीगणेश हुआ। उन्होंने रेलवे लाईन व डी.सी.एम. के मध्य क्षेत्र् में लघु औद्योगिक क्षेत्र् की स्थापना की। चावल (धान) की डंठल से गत्ता बनाने के लिए एक गत्ता फैक्ट्री भी स्थापित की गई।
उनके सद्प्रयासों का ही परिणाम रहा कि कोटा में औद्योगिक विकास का एक महान मार्ग प्रशस्त हुआ। उद्योग स्थापित करने का ताना-बाना बुना गया। यहां आने वालों को सभी प्रकार की उचित सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। उद्योग लगाने वालों से किए गए वादों को पूरा किया गया। उस समय उद्योग लगाने के लिए राज्य की कोई नीति नहीं थी, अतः किसी भी प्रकार की आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में कोई नियम बाधक नहीं बने।
धारीवाल के समय ही उद्योगों की स्थापना के साथ-साथ गांधी सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज का निर्माण शुरू हुआ और उन्हीं के समय इनका निर्माण कार्य पूरा भी किया गया। इस प्रकार औद्योगिक विकास के साथ-साथ कृ६ा के विकास में भी कृ६ा क्रांति के अग्रदूत बने। धारीवाल पहले ऐसे शख्स थे, जिन्होंने आवाज उठाई कि गांधी सागर के विद्युत उत्पादन का 25 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान का देना होगा। सिंचाई के लिए कोटा बैराज से दो नहरें- दांयी एवं बांयी मुख्य नहरें निकाली गई। दांयी नहर मध्य प्रदेश तक जाती है, जिससे उद्योगों को पानी उपलब्ध कराने की सुविधा का विकास किया गया।
शांत स्वभाव, मिलनसार, सादगी की प्रतिमूर्ति रिखब चंद धारीवाल हमेशा उद्यमियों के साथी रहे और उनकी तनिक भी समस्या से वे विचलित हो जाते थे तथा समस्या को दर करते थे। उद्यमियों से किए गए वायदों को शत-प्रतिशत निभाते थे तथा उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था। पुण्यतिथि पर कोटिशः नमन।
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