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व्यक्ति को परमात्मा को पाने का प्रयास करना चाहिए- आचार्य

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08 Jul 18
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 व्यक्ति को परमात्मा को पाने का प्रयास करना चाहिए- आचार्य मूलचन्द पेसवानी/शाहपुरा जिला भीलवाड़ा/भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा उपखंड मुख्यालय पर शनिवार को वर्धमान भवन में श्रीसंघ के तत्वावधान में हुए कार्यक्रम में पद्मभूषण आचार्य सूरीश्वरजी आदि ढाणा की मौजूदगी में मुमुक्षु कृपाली बहन की बड़ी दीक्षा समारोह पूर्वक संपन्न हुई। आचार्य सूरीश्वरजी ने दीक्षा उपरांत उनका नामकरण क्षयिका रेखाश्री करने की घोषणा की। बड़ी दीक्षा पूर्ण होने के बाद अब क्षयिका रेखाश्री संयम के पथ में श्रीसंघ के साथ चलेगी। आज वर्धमान भवन में प्रातः 7.45 बजे बड़ी दीक्षा की विधि का शुभारंभ हुआ। प्रातः 11 बजे साधर्मिक स्वामी वात्सल्य परमात्मा शक्ति, दिव्य अंगरवना पूजा का आयोजन आचार्यश्री के सानिध्य में किया गया।
इस मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए पद्मभूषण आचार्य सूरीश्वरजी ने कहा कि जिन शासन में बड़ी दीक्षा का बहुत बड़ा महत्व है। संयम मार्ग पर चलने के लिए यह बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आत्मोत्थानके लिए व्यक्ति को परमात्मा को पाने का प्रयास करना चाहिए। परमात्मा को पाने के लिए गुरु भगवंतों का सानिध्य आवश्यक है। आत्मा के बिना शरीर का कोई महत्व नहीं है। व्यक्ति हमेशा बाहरी दुनिया में जीते हुए भौतिक सुखों को पाने के लिए कई तरह के काम करता रहता है, लेकिन अंतरूसुख को पाने का प्रयास भी नहीं करता है। दुनिया में भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए कई मार्गदर्शक मिलेंगे, लेकिन मन के सुख के लिए साधु-संतों का सानिध्य जरूरी है। उन्होंने कहा कि महावीर स्वामी की आत्मा ने मुनि को सुपात्र दान देकर अपनी आत्मा को उज्ज्वल बना दिया। 27 भव पूर्ण कर स्वयं परमात्मा बन गए।
वीररत्न विजय मसा ने कहा कि पेट तो भरे पर पेटी नहीं। व्यक्ति को हमेशा पेट भरने तक कमाने का प्रयास करना चाहिए। पेटी भरने की सोच रखने वाला प्रभु से दूर हो जाता है। पेटी ही भरनी है तो धर्म की भरें। धर्म ही व्यक्ति को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
श्रावक संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार गोखरू ने बताया कि आचार्यश्री आदि ढाणा की मौजूदगी में वर्धमान भवन शाहपुरा शनिवार को 16 जून को दीक्षित साध्वी क्षायिका रेखाश्री की बड़ी दीक्षा का कार्यक्रम भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इसमें आस पास के गावों व शहरों से सैकड़ों श्रावक पहुंचे। आचार्यश्री ने उनको बड़ी दीक्षा देकर गुरूमंत्र दिया और संयम के मार्ग पर चलने के लिए पांच सूत्र दिये।
आज इस मौके पर श्रावक संघ, वेणी मोहन नवयुवक मंडल व यश वेणी महिला मंडल के सभी पदाधिकारियों की ओर से सभी का स्वागत अभिनंदन किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि जय चंवलेश्वर पाश्र्वनाथ जैन श्वेतांबर तीर्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष कानसिंह ओस्तवाल थे तो अध्यक्षता हनुमानसिंह गोखरू ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में नेमकुमार संघवी, पुखराज संचेती, ताराचंद बंब, तेजसिंह नाहर आदि मौजूद रहे। शुरूआत में श्रावक संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार गोखरू, मंत्री पदमचंद लोढ़ा, कोषाध्यक्ष शांतिलाल कोंठेड, वेणी मोहन नवयुवक मंडल के संरक्षक सौरभ बूलियां, अध्यक्ष हेमंत कोठारी, यश वेणी महिला मंडल अध्यक्ष सुशिला चोरड़िया, कोषाध्यक्ष सुशीला मेहता व मंत्री सुशिला चोधरी, संपतसिंह डांगी, पूर्व अध्यक्ष अनिल लोढ़ा, महेंद्र लोढा, समुद्रसिंह डांगी आदि ने सभी का स्वागत किया। इस दौरान रियावन रतलाम के नागेश्वर जैन एंड पार्टी की ओर से भजनों की भी प्रस्तुति की गई।
सुख चाहो तो धर्म के पथ पर चलना जरूरी
प्रार्थना में पद्मभूषण सूरीश्वर महाराज ने कहा कि पापों से बचने के लिए धर्म के पथ पर चलने की सीख दी। उन्होंने कहा कि पाप से दुख मिलते हैं और धर्म के पथ पर चलने से इंसान को सुख मिलता है। उन्होंने श्रावकों को सुख की प्राप्ति के लिए धर्म के पथ पर चलने की सीख दी।
बड़ी दीक्षा में लगे हर्ष हर्ष के जयकारे
नाकोड़ाजी के पादरु गांव निवासी बीस वर्षीय मुमुक्षु कृपाली बहन ने अपने बड़े पिता पद्मभूषण सूरीश्वरजी के हाथों जैन धर्म की बड़ी दीक्षा ली। इस दौरान हर्ष हर्ष के जयकारे लगे और महिलाओं ने मंगल गीत गाये। उन्हें बड़ी दीक्षा दिलाकर साध्वी क्षयिक रेखा नाम दिया। क्षयिक रेखा के परिवार में बड़े पिता और आठ भाई-बहन पहले ही संयम का पथ अपनाकर दीक्षा ले चुके हैं। समारोह में कृपाली बहन के सांसारिक जीवन के पिता पादरु के मरोली बाजार निवासी हसमुख भाई तथा मां भारती बेन सहित परिवार के कई लोग शामिल हुए। परिवारजनों की मौजूदगी में कृपाली बहन जैन धर्म की बड़ीदीक्षा लेकर संयम पथ पर अग्रसर हुई। नवकार मंत्र के साथ सिद्धचक्र महापूजन हुआ और दीक्षा समारोह की शुरुआत हो गई।
दसवीं तक पढ़ी हैं क्षयिक रेखा
क्षयिक रेखा ने दसवीं तक की पढ़ाई की है। उनके परिवार के आठ लोग पहले ही जैन धर्म की दीक्षा ले चुके हैं। परिवार में धार्मिक माहौल होने के कारण बचपन से ही वे जैन धर्म में रम गई। लंबे समय से संत-साध्वियों के साथ रहकर वे शत्रुंजय, गिरनार, शिखरजी, जीरावला, पावापुरी सहित कई जैन तीर्थों की यात्रा कर चुकी है। 5 प्रतिक्रमण, जीवविचार प्रकरण, वैराग्यशतक अर्थ आदि किए हैं। चरित्राराधना में संयम के लिए कई प्रदक्षिणा, विगई त्याग, 1500 किमी पैदल विहार, कायोत्सर्ग, 9 उपवास, 17 उपवास, सिद्धितप, उपधान, छठ के साथ 7 यात्राएं की हैं।
परिवार में 8 लोग ले चुके हैं दीक्षा
क्षयिक रेखा के परिवार के 8 लोग पहले ही जैन धर्म की दीक्षा ले चुके हैं। दीक्षा लेने के बाद इनके बड़े पिता को पद्मभूषणर सूरीश्वरजी महाराज, भाई ऋषभर विजयजी महाराज, बड़े पिता भावर विजयजी महाराज, बहन साध्वी भक्तिरेखाश्री महाराज, साध्वी कुशलरेखाश्री महाराज, साध्वी विनयरेखाश्री महाराज, साध्वी योगीरेखाश्री, बड़ी माता को साध्वी त्यागीरेखाश्री नाम मिला था।



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