दिखा दुर्लभ प्रजाति वाला पीला पलाश
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21 Feb 18
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बांसवाड़ा / ढाक, टेसू या किंशुक जैसे अलग-अलग नामों से पुकारे जाने वाले सुर्ख केसरी लाल रंग की आभा वाले पलाश के बारे में हर किसी को जानकारी है परंतु बहुत ही कम लोग जानते हैं कि केसरी लाल रंग के पलाश के साथ पीले रंग वाला पलाश भी वन क्षेत्रों में मिलता है। नैसर्गिक सौंदर्यश्री से लकदक और जैव विविधता से समृद्ध बांसवाड़ा जिले के समीप वन क्षेत्र में इस बार दुर्लभ प्रजाति का पीला पलाश देखा गया है। दुर्लभ प्रजाति के इस पलाश को घाटोल के क्षेत्रीय वन अधिकारी गोविंदसिंह राजावत ने घाटोल के समीप पीपलखूंट वन क्षेत्र से खोज निकाला है। राजावत ने बताया कि एकमात्र पेड़ को सुरक्षित व संरक्षित किया जाएगा और इसकी फलियों से निकलने वाले बीजों से नवीन पौधे बनाकर जिले के विभिन्न वन क्षेत्रों में इसे लगाया जाएगा।
कई हजार के बीच एक मिलता है पीला पलाशः शर्मा
वागड़ नेचर क्लब के कमलेश शर्मा ने बताया कि दुर्लभ प्रजाति के इस पीले पलाश का वानस्पतिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा ल्यूटिया है और पलाश के कई हजार पेड़ों के बीच एक पेड़ इसका पाया जाता है। पीले पलाश के फूलों का औषधीय महत्त्व भी है और सुर्ख लाल-केसरी रंग के पलाश के फूलों के साथ पीले रंग के पलाश के फूलों से प्राकृतिक रंग भी बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर मार्ग पर सरकण घाटी में भी सड़क किनारे एक पीला पलाश इन दिनों अपने पीले रंग के पुष्पों से लकदक है।
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