बांसवाड़ा में दो ऐसे गांव, जहां सम्मान दिलाते हैं झंडे
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20 Nov 17
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बांसवाड़ा आदिवासीबहुल बांसवाड़ा में दो गांव ऐसे हैं, जहां शराब बेचना तो दूर, पीना भी अपराध समझा जाता है। नशा छुड़ाने के लिए गांव में सामूहिक संकल्प लिया जाता है। शहर से 20 किमी दूर माहीडैम के नजदीक ग्राम पंचायत गोरछा क्षेत्र के दो गांवों में शराब बेचने और पीने पर पाबंदी है। खास बात यह है कि यहां शराब नहीं पीने वाले परिवार अपने घर की छत पर झंडे लगाते हैं। झंडे से ऐसा माना जाता है कि वह परिवार पूरी तरह नशामुक्ति का संकल्प रखता है। झंडा लगाने वाले परिवारों को बिरादरी में खास सम्मान भी मिलता है। यहां सोमपुरा की 300 और बड़बड़िया गांव में 150 की आबादी है। कहने को ये गांव बहुत छोटे हैं और ज्यादा विकसित नहीं हैं, लेकिन ज्यादातर घरों पर लहराते झंडे और गली-मोहल्लों में स्थापित सीरा बावसी के मंदिर इस बात का प्रतीक है कि यहां लोग नशे से दूर और धार्मिक कामों की ओर ज्यादा उन्मुख हैं। ^नशेके आदी व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से संकल्प दिलाकर शराब छुड़वाते हैं। इसके बाद घर पर झंडा लगा दिया जाता है। यह प्रथा पीढ़ियों से चली रही है।-पुष्पादेवी, सरपंच, सोमपुरा
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