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आनंद की खोज ध्यान से होगी

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16 Jul 18
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उदयपुर। श्रमण संघीय आचार्य डॉ. षिवमुनि महाराज ने कहा कि जीवन में आनंद होना चाहिए आफ पास आनंद होगा तो आप उसे सभी को बाँट सकोगे। जीवन में आपने इनेक जगह आनन्द की खेाज की लेकिन वह नहीं क्योंकि आनन्द ध्यान से मिलता है।
वे आज सेक्टर ४ वर्द्धमान स्थानक में आयोजित धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्हने कहा कि भगवान महावीर के पास आनंद था। उन्होंने उसकी खोज अपने भीतर की। यदि आनंद अगर धन संपति में होता, आनंद अगर पद प्रतिष्ठा में होता, महल में होता तो महावीर के पास किसी चीज की कमी नहीं थी। वे तो राजकुमार थे लेकिन उन्होंने जाना की आनंद, धन, सम्पति, राजधानी, महल में नहीं है वह तो अपने भीतर है।
आचार्यश्री ने कहा कि महावीर ने साढे बारह वर्ष कठोर ध्यान साधना से केवल ज्ञान प्राप्त किया। महावीर का धर्म क्रिया में नहीं है। आफ भीतर भी अनन्त ज्ञान है उसको प्रकट करने के लिए आपको भीतर जाना होगा, खोजना होगा। राजा, राणा, छत्रपति, सेठ, साहुकार सभी चले गए, क्या कुछ साथ लेकर गए, तुम भी कुछ लेकर नहीं जाओगें, फिर किस बात का अहंकार करते हो। आनंद आत्मा में है, शरीर में नहीं है, आनंद धर्म में है, आनंद धन में नहीं है। भोजन करने,धन मिलने से सुखी हुए लेकिन ये सब सुख के आभास है। पांचों इन्दि्रयों के सुख क्षण भगुंर है। जैसे खुजली के रोगी खुजलाते हुए सुख का अनुभव करता है। बाद में खुन निकल आता है, मवाद निकल आता है, फिर दुःख का अनुभव करता है। संसार के सुख भी ऐसे ही है।
उन्हने कहा कि सच्चा सुख महावीर ने ध्यान के जरीये पाया था। आप भी ध्यान साधना के द्वारा सच्चा सुख का अनुभव कर सकते है।
इससे पूर्व आचार्यश्री, युवाचार्यश्री आदि ठाणा १० सेक्टर ३ से विहार करके सेक्टर ४ पधारे जहां श्री संघ ने आचार्य श्री का भाभीना स्वागत एवं अभिनन्दन किया।
धर्मसभा को युवाचार्य प्रवर महेन्द्र ऋषि, प्रमुखमंत्री शिरीशमुनि, शमितमुनि म.सा. ने भी सम्बोधित किया। महिला मण्डल ने मध्ुर गीत गाकर श्रमण वृंद का स्वागत, अभिनन्दन किया गया।

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