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प्रयोगधर्मी किसान पुनः ला सकते हैं भारत का स्वर्ण युग : बी.पी. शर्मा

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21 Feb 18
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प्रयोगधर्मी किसान पुनः ला सकते हैं भारत का स्वर्ण युग : बी.पी. शर्मा देश पूरी दुनियां का भरण-पोषण करने की क्षमता रखता था, इसीलिए इसका नाम भारत पडा। कालान्तर में कृषकों की स्थिति में गिरावट आई और आज भारत का कृषि क्षेत्र अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। परन्तु भारत के किसानों में अकूत प्रतिभा है। वे अपनी प्रयोगधर्मिता से, अपने नवाचार से किसानों की आय बढाने के लिए चल रहे प्रयत्नों को निश्चित ही सफल कर सकते हैं।
ये बातें पेसिफिक विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट डॉ. बी.पी. शर्मा ने पेसिफिक विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय ’किसान वैज्ञानिकों’ का राष्ट्रीय मंथन व सम्मान समारोह’ के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कही। समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक डॉ. एन.एस. राठौड ने मंथन में भारत के ११ प्रदेशों से पधारे किसान-वैज्ञानिकों को उनकी अनूठी उपलब्धियों के लिए बधाई दी और उनके प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भी इस वर्ष के बजट की किसान केन्दि्रत रखा है, एवं आई.सी.ए.आर. भी इसी भावना के अन्तर्गत नए अनुसंधान में किसानों की भरपूर सहायता करने को तत्पर है।
विशिष्ट अतिथि महाराणा प्रताप कृषि तकनीकि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. उमाशंकर शर्मा ने कहा कि किसानों की आय बढाने के लिए समन्वित कृषि को अपनाना आवश्यक है जिससे किसान वर्ष भर अपने खेत में व्यस्त रहे एवं विविध उत्पादन कर अपनी आय बढा सके।
विशिष्ट अतिथि पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय राजूवास के पूर्व कुलपति डॉ. ए.के. गहलोत ने किसान-वैज्ञानिकों को ऐसा मंच प्रदान करने के लिए पेसिफिक विश्वविद्यालय का आभार प्रकट किया और कहा कि ऐसे प्रयोगधर्मी किसान वैज्ञानिकों के मध्य आकर वे अभिभूत है। सुप्रसिद्ध पिपलांत्री मॉडल के प्रणेता श्याम सुन्दर पालीवाल ने पिपलांत्री में उनके द्वारा किए गए अनेक सामाजिक प्रयोगों की जानकारी दी जिससे पर्यावरण व कृषि को काफी लाभ पहुँचा तथा गांवों की महिलाओं व बेटियों का सशक्तीकरण हुआ। किसान वैज्ञानिकों की ओर से बोलते हुए अनेक पुरस्कार प्राप्त कर चुके हरियाणा के किसान ईश्वर सिंह कुण्डू ने कहा कि उन्हें अखरता था जब किसी भी कार्यक्रम में किसानों को सबसे पीछे बैठाया जाता था। इसीलिए उन्होंने किसानों की स्थिति सुधारने का बीडा उठाया।
कार्यक्रम के दौरान पेसिफिक विश्वविद्यालय की ओर से भारत के ११ प्रदेशों के ४५ किसानों वैज्ञानिकों का सम्मान किया गया। इसके अलावा इन्हीं किसान वैज्ञानिकों की सफल जीवन यात्रा पर आधारित डॉ. महेन्द्र मधुप द्वारा लिखित पुस्तक ’प्रयोगधर्मी किसान’ का लोकार्पण भी हुआ।
कृषि पत्रकारिता के क्षेत्र में संपूर्ण समर्पण के लिए व मिशन फार्मर साइंटिस्ट की शुरूआत करने के लिए डॉ. महेन्द्र मधुप को लाइफटाइम कन्ट्रीब्यूशन अवार्ड, उत्कृष्ट कृषि पत्रकारिता के लिए मोईनुद्दीन चिश्ती को विशेष सम्मान तथा जयपुर दूरदर्शन के कार्यक्रम निर्माता विरेन्द्र परिहार को विशिष्ट सम्मान दिया गया। द्वितीय सत्र में सभी किसान वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों और उपलब्धियों की जानकारी दी।

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