’सच्ची भक्ति के वशीभूत होते हैं भगवान‘
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07 Feb 18
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उदयपुर । अगर किसी मनुष्य के पास सभी सांसारिक सुख साधन हों, मगर भक्ति भावना न हो तो उसका जीवन निरर्थक रहता है। बिना भक्ति मानव जीवन बेकार है। मनुष्य का जीवन समस्याओं का घर है। मोह माया के जाल में फंसकर मनुष्य सांसारिक चिंता में रहता है। सच्ची श्रद्धा और भाव से भगवान की भक्ति सभी मोह माया और चिंताओं के नाश का कारक है।यह बात बुधवार को नारायण सेवा संस्थान की ओर से दिव्यांगों की निःशुल्क चिकित्सा के लिए धार (म.प्र) में आयोजित ’’श्रीमद् भागवत कथा‘‘ के अंतिम दिन कथा वाचिका राधा स्वरुपा जया किशोरी ने कही। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत में भगवान की महिमा है। श्रीमद्भागवत महापुराण पुराणों में श्रेष्ठ है। यह उस दर्पण की तरह है जो मनुष्य को आंतरिक सुंदरता का बोध कराता है।जो भक्त भागवत सुनते हैं, परमात्मा उनके कानों के माध्यम से उनके हृदय में प्रवेश कर जाते हैं और वहां बैठ कर जन्मों-जन्मों से संचित दुर्गुण का शोधन कर देते हैं। जैसे ही व्यक्ति का मन निर्मल होता है, उसकी दृष्टि इस भौतिक जगत से हटकर अपने आध्यात्मिक स्वरूप की ओर ले जाती है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सत्संग चैनल पर किया गया। संचालन कुंज बिहारी मिश्रा ने किया।
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