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जीवन की सफलता के लिए पुरूषार्थ जरूरी

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16 Dec 17
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उदयपुर । अशोक नगर स्थित श्री शोंतिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में बिराजित आचार्यश्री सुनीलसागरजी महाराज ने बुधवार को पौष कृष्ण एकादशी पर भगवान श्री चंद्रप्रभु एवं प्रभु श्री पार्श्वनाथ के जन्म व दीक्षा कल्याणक के शुभ अवसर पर प्रात:कालीन धर्मसभा में कहा कि तीर्थंकर महापुरुष भगवान का चरित्र हमें संदेश देता है कि वे संसार के सुख भोगकर भी उसमें तल्लीन नहीं हुए, निरंतर आत्म शुद्धि पूर्वक वे तीर्थंकर हुए। जिनके पाँच कल्याणक मनाए गए और चाहे कैसी भी परिस्थिति आ जाए उसमें भी शांत रहो ऐसा संदेश वो देते है। व्यक्ति को एक बार स्वरूप अस्तित्व का बोध हो जाए तो निरंतर आगे बढ़ता है। उन्होंने पूर्व भव में पशु जैसी निम्न पर्याय भी पाई तो चक्रवर्ती जैसा उच्च पद भी पाया लेकिन फिर भी पतित नहीं हुए। कोई ऐसे ही भगवान नहीं बन जाते हैं। श्रेष्ठ पुरुषार्थ ही परमात्मा बनाता है। ऐसा सिद्धांत केवल जिनशासन ही स्वीकार करता है। सुख दु:ख ये सब अपने हो कर्मों का फल है। अपने आत्म तत्व के जानना ही यही धर्म का मर्म है।
आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में चिन्ता नहीं चिंतन करो। चिंता व चिंतन दोनों में दिमाग़ चलता है। चिंता जीवन जला देती है तो चिंतन जीवन सज़ा देता है। अपने जीवन के विकास के लिए चिंतन करने से ही उपलब्धि होती है। जो भाग्य में है वह भाग कर आएगा वरना जो है वह भी भाग जाएगा। चिंता करके मरने वाला दुर्गति का में जाता है और चिंतन करने वाला सद्गति को प्राप्त होता है। अब यह फैसला आपको करना है कि आपको चिंता करके बरबाद होना या चिंतन करके समृद्ध बनना है यह तुम्हारे ही हाथ में है। हाथ पर हाथ धरर कर बैठे रहने से कुछ नहीं होता है। केवल बोलने वालों की नहीं कुछ करने वालों की क़ीमत होती है। भज लो तो राम, करलो तो काम। प्रदर्शन की आदत अच्छी नहीं। प्रदर्शन कभी-कभी परेशानी भी खड़ी कर देता है, मुसीबत में डाल देता है। इसीलिए जीवन में प्रदर्शन नहीं पुरुषार्थ करना सीखो। पुरुषार्थ से जो मिलता है वह टिकाऊ होता है। सही दिशा में पुरुषार्थ ही तुम्हारे जीवन को मंगलमय बनाएगा।
विधान हुआ: अजीत मानावत ने बताया कि प्रात: काल भगवान चंद्रप्रभु व भगवान पार्श्वनाथ के जन्म व दीक्षा कल्याणक के शुभ अवसर पर आचार्यश्री ससंघ सानिध्य में पंचामृत अभिषेक के साथ कल्याण मंदिर विधान सम्पन्न हुआ। इसी उपलक्ष्य में तपस्वी सम्राट आचार्यश्री सन्मतिसागरजी महाराज के चरण-चिन्ह स्थापित किए गए।
मानक स्तम्भ पर महामस्तकाभिषेक 17 को: अध्यक्ष रोशन चित्तौड़ा एवं व्यवस्थापक अजीत मानावत ने बताया कि आगामी 17 दिसम्बर रविवार को अशोक नगर स्थित शांतिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में स्थित मानक स्तम्भ पर सकल दिगम्बर जैन समाज, भट्टारक क्षेमकीर्ति स्मारक प्रन्यास की ओर से आचार्यश्री सुनीलसागरजी ससंघ के सानिध्य में महामस्तकाभिषेक का भव्य धार्मिक आयोजन होगा। इस आयोजन में एक रत्नजडि़त कलश चढ़ेगा जिसके लाभार्थी रोशनलाल कमल कुमार चित्तौड़ा परिवार होंगे। स्वर्ण कलशों के लाभार्थियों में शांतिलाल अशोक गोधा परिवार, रमेश कुमार चतरलाल मेहता परिवार, अजित कुमार प्रभुलाल मानावत परिवार, एवं मुम्बई निवासी प्रकाश जैन परिवार होंगे। इनके अलावा 21 रजत कलश एवं 101 ताम्र्र कलश चढ़ाए जाएंगे।
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