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प्रसार शिक्षा परिशद् की बैठक सम्पन्न

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28 Jul 17
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प्रसार शिक्षा परिशद् की बैठक सम्पन्न उदयपुर | महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की प्रसार शिक्षा परिशद् की १८ वीं वार्शिक बैठक दिनांक २७ जुलाई, २०१७ को अनुसंधान निदेषालय में आयोजित हुई। बैठक में वर्श २०१६-१७ की कार्य प्रगति की प्रस्तुति, आगामी वर्श की प्रसार कार्य योजना व प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण की रणनीति तैयार की गई।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे एम.पी.यू.ए.टी के माननीय कुलपति प्रो. उमा षंकर षर्मा ने बैठक में प्रस्तुत विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं प्रसार शिक्षा निदेषालय की कार्य प्रगति एवं भावी योजनाओं पर संतोश व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में कृषि अनुसंधान व प्रसार शिक्षा में अच्छा समन्वय है तथा कृषि विज्ञान केन्द्र कृषि प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों पर विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नई किस्मों के उन्नत बीजों का उत्पादन करना है व उन्हें किसानों तक पहुंचाना हैं। प्रो. षर्मा ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्रों पर फल एवं सब्जियों की प्रसंस्करण इकाई स्थापना करने की राय प्रदान की व मूल्य संवर्धन द्वारा किसानों की आय को दूगुना करने में लाभदायक सिद्ध होगा। बैठक में आमंत्रित प्रो. एस. के. सिंह, निदेशक अटारी, जोधपुर, ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों पर होने वाली गतिविधियों एवं कार्यक्रमों को भा.कृ.अ.प. नई दिल्ली के पोर्टल पर नियमित रूप से अपलोड करते रहे जिससे सभी लोगों तक इसकी जानकारी प्राप्त होती रहें। एवं सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों पर पोस मशीन लगाई जाए जिससे केश लेस लेन-देन को बढावा मिल। साथ ही उन्होनें बताया की प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र को अपने द्वारा आयोजित फसल प्रदर्शनों के आर्थिक एवं सामाजिक मूल्यांकन को प्रभावी रूप से विश्लेशण किया जाए। बैठक में ख्यातनाम वैज्ञानिक एवं पूर्व निदेशक
डॉ. एम.एस. शक्तावत ने बताया कि कृषि विज्ञान कन्द्रों को विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नवीन तकनीकियों को अधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। साथ ही उन्होनें बताया कि नवीन किस्मों के फसल प्रदर्शन कृषि विज्ञान केन्द्रों पर लगाए जावें। बैठक में बायोफ्यूल प्राधिकरण एवं ग्रामीण विकास के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जयपुर श्री सुरेन्द्र सिंह राठौड ने बताया कि बंजर भूमि के विकास के लिए वृक्षमूल तिलहनी फसलों को अधिक से अधिक से लगाना चाहिए इस हेतु विश्वविद्यालय को ५० हेक्टर बंजर भूमि सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स ऑन बायोफ्यूल स्थापित करने हेतु आवंटन प्रस्तावित हैं।
बैठक के प्रारम्भ में निदेषक प्रसार शिक्षा निदेषालय प्रो. जी. एस. तिवारी ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया। उन्होंने गत वर्श की प्रगति प्रतिवेदन सदन के समक्ष प्रस्तुत किया एवं आगामी वर्श की रूपरेखा भी प्रस्तुत की। उन्होंने प्रसार शिक्षा निदेषालय द्वारा विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति प्रस्तुत की। उन्होंने विगत वर्श में विश्वविद्यालय के माध्यम से आयोजित विभिन्न किसान मेलों, संगोश्ठियों, कृशक प्रषिक्षण, प्रथम पंक्ति प्रदर्षन, बीज उत्पादन एवं वितरण, उन्नत पषुपालन तकनीकों इत्यादि गतिविधियों से सदन को अवगत कराया।
अनुसंधान निदेषक डॉ. एस.एस. बुरडक ने कहा कि किसानों की सफलता की कहानियों को अधिक से अधिक प्रसारीत किया जाना चाहिए जिससे अन्य किसान प्रेरित हो। डॉ. आई.जे.माथुर ने कहा कि प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र पर एक उत्पादन इकाई विकसित करें जिससे उसकी राश्ट्रीय स्तर पर उसकी पहचान बनें। प्रो. ए.के मेहता, ने कहा की कस्टम हायरिंग द्वारा उन्नत कृषि यंत्रों के अधिकाधिक उपयोग, उन्नत यंत्रों से कृषि में श्रम को कम करने की सलाह प्रदान की। इस अवसर पर मुख्य अथिति द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र, डूंगरपुर एवं प्रतापगढ के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार फोल्डर व लिफलेट का विमोचन किया गया। बैठक में विश्वविद्यालय के संघटक सभी महाविद्यालयों के अधिश्ठाता, विभागाध्यक्ष, डी.आर.आई., अधिश्ठाता छात्र कल्याण, सम्भागीय निदेशक अनुसंधान उदयपुर, बांसवाडा, भीलवाडा ने भाग लिया। बैठक में राश्ट्रीय स्तर पर सम्मानित कृशक श्री महावीर सिंह राठौड, भीलवाडा, ने अनार के उत्पादन की सफल ख्ेाती के बारे में बताया इस अवसर पर प्रगतिषील कृशक श्री राधेश्याम कीर, राजसमन्द व श्रीमती शान्ता पटेल, डूंगरपुर ने भी अपनी सफलता की कहानी सदन के साथ साझा की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लतिका व्यास एवं धन्यवाद डॉ. पी.सी. चपलोत ने किया।

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