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बेहतर जल संरक्षण तकनीक से मिल रहे सार्थक परिणाम

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28 Jun 17
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उदयपुर / मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत गत वर्ष योजना के प्रथम चरण में कराये गये कार्यों एवं इस वर्ष एम.जे.एस.ए. द्वितीय चरण के अन्तर्गत निर्मित हो चुके विभिन्न जल संरचनाओं के सार्थक परिणाम आने लगे हैं।

रिवर बेसिन ऑथोरिटी द्वारा टॉपोग्राफी व केचमेंट एरिया के हिसाब से निर्मित जल संरचनाओं में नवीनतम जी.पी.एस. तकनीक के उपयोग ने कार्यांेे को गुणवत्ता और समयबद्धता से सम्पादित करने में सहायता प्रदान की है। एडवॉस्ड तकनीक से निर्मित जल संरचनाओं से पर्याप्त मात्रा में पानी इकट्ठा होने लगा है। इन स्ट्रक्चर्स के सालों तक चलने की संभावना है, क्योंकि इसमें पानी की निकासी, पानी की भराव क्षमता आदि का भी रिवर ऑथोरिटी द्वारा नई तकनीक से आंॅकलन किया गया है।

वैज्ञानिक आधार ने दी गुणवत्ता

पूर्व में जो स्ट्रक्चर बनाये गये थे उनमें तकनीकी आधार पर कमी रह जाती थी, इस बार रिवर ऑथोरिटी के तकनीकी सलाहकारों द्वारा पूर्ण वैज्ञानिक ऑकलन के आधार पर संरचनाओं का निर्माण कराया गया है। हाल ही में रिवर ऑथोरिटी के तकनीकी सलाहकार जंगा रेड्डी द्वारा उदयपुर संभाग के कई जिलों का दौरा किया जाकर बनायी गयी जल-संरचनाओं की गुणवत्ता का निरीक्षण भी किया जा गया।

ग्रामीण भी तकनीक के कायल

इस योजना की आशानुरूप सफलता को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्र में इस प्रकार की होड़ लगी हुई है कि उनके क्षेत्र में भी इस प्रकार के कार्य हों। सरपंच, जनप्रतिनिधियों आदि द्वारा एम.जे.एस.ए. के आगामी फेज के अन्तर्गत कार्य लेने की मॉग की जा रही है।

इन कार्यों के परिणाम स्वरूप ऐसे क्षेत्र में नमी की बढ़ोतरी के साथ वनस्पति एवं पेड़-पौधों की अच्छी बढ़ोतरी हो रही है। वन विभाग द्वारा इन संरचनाओं में विभिन्न प्रजातियों के फलदार एवं छायादार पौधे लगाये हैं जिनमें अच्छी बढ़ोतरी हो रही है। पूर्व में जो वर्षा का पानी व्यर्थ बह जाता था अब इन संरचनाओं के निर्माण के बाद इस क्षेत्र में पानी बह जाने से रुक गया है। वन विभाग द्वारा इस महत्वाकांक्षी योजना को विभाग के कार्यो में सम्मिलित कर तैयार कर कराया जा रहा है।

जी.पी.एस. सिस्टम से मॉनिटरिंग

नवीनतम जी.पी.एस. सिस्टम से साईट केपचरिंग के कारण जिस साईट पर कर्मचारी जाता है उसकी लोकेशन व फोटो अपलोड हो जाती है जिससे टीम द्वारा कार्य का मूल्यांकन संभव हो पा रहा है। इस नवीनतम तकनिक के उपयोग से कार्य की गुणवत्ता में कमी की संभावना भी नहीं रहती है।

वन विभाग द्वारा एम.जे.एस.ए. के अन्तर्गत बॉसवाडा, डॅूगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, चित्तौडगढ़ जिलों में लगभग 7000 कार्य करवाये जा रहे है जिनमें 109 वृक्ष कुन्ज एवं 15 शहरी वृक्षारोपण विकसित किये जा रहे हैं।


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