उदयपुर | पर्यावरण के संकट को ध्यान में रखते हुए आज जरूरत इस बात की है कि पर्यावरण शिक्षा को स्कूलो एवं कॉलेजों में इस तरह समाहित किया जावे कि पर्यावरण के प्रति समाज में एक अनूकूल रवैया तैयार हो सके। आज विश्व भर में पर्यावरण को लेकर चिंता बनी हुई है इसके लिए आम जन को इसके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करने होगे तभी हमारी विरासत में मिले पर्यावरण को भावी पीढी के लिए सुरक्षित रख सकेंगे। प्रकृति स्वस्थ रहेगी तभी हम भी स्वस्थ एवं सुरक्षित रह सकेंगे। इसके लिए अधिक से अधिक पेड लगाये एवं जल एवं पर्यावरण दोनो का संरक्षण करें। उक्त विचार बुधवार को जनार्दनराय नागर विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संस्थापक मनीषी पं. जनार्दनराय नागर की १०६ वीं जयंती अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय समारोह के पहले दिन प्रतापनगर स्थित स्कील डवलपमेंट विभाग के परिसर में पौधारोपण एवं प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत - स्वस्थ भारत अभियान के तहत परिसर में स्वच्छता अभियान की शुरूआत करने के पश्चात कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कही। इस अवसर पर कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर, सहायक कुल सचिव डॉ. हेमशंकर दाधीच, प्राचार्या प्रो. मंजू मांडोत, विश्वभूषण मेहता, स्पोट्र्स बोर्ड के सचिव भवानीपाल सिंह ने भी पौधारोपण कर अपने अपने नाम की तख्तियां लगा इसके संरक्षण का संकल्प लिया। कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि इसके साथ विद्यापीठ के सभी परिसरों में स्वच्छता अभियान एवं कार्यकर्ता एवं छात्रों द्वारा एक हजार पौधों का पोधारोपण किया जायेगा। इस अवसर पर दिनेश तिवारी, राजेन्द्र वर्मा, जितेन्द्र सिह, कुंजबाला शर्मा, मोहन गुर्जर, लहरनाथ, कृष्णकांत नाहर, डॉ. घनश्याम सिंह भीण्डर, स्नेहलता, डॉ. अनुकृति राव सहित कार्यकर्ता ने भी पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।
तीन दिवसीय योग शिविर का आयोजन ः- मनीषी पं. जनार्दनराय नागर की १०६ वीं जयंती अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय समारोह के तहत लोक मान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की ओर से आम जन स्वास्थ के प्रति जनजागरूकता लाने के उद्देश्य से तीन दिवसीय योग शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, विशिष्ठ अतिथि कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर, प्राचार्य डॉ. शशि चितौडा ने मॉ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया। कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि योग हमारी पौराणिक एवं पारम्परिक परम्परा है। ऋषि एवं मुनि योग के द्वारा ईश्वर से शास्वस्त होते थे। योग के द्वारा हम हमारे जीवन केा अनुशासित कर सकते है एवं हमारा शरीर भी तंदुरस्त रहता है। योग करने की कोई उम्र नहीं होती, योग व्यक्ति अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी कर सकता है । योग किसी धर्म विशेष का नहीं है स्वस्थ रहना हर धर्म एवं हर व्यक्ति का अपना जन्म सिद्ध अधिकार है। योग करने से व्यक्ति का मन, शरीर, स्वस्थ रहता है और हमारी भावनाओं पर नियंत्रण मजबूत होता है। प्रशिक्षक एवं प्रभारी डॉ. रोहित कुमावत ने बताया कि तीन दिनों तक चलने वाले शिविर में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को योग की विभिन्न मुद्रा का अभ्यास करा उन्हे योग में पारंगत किया जायेगा जिससे वे अपने परिवार एवं आम जन को भी इसका प्रशिक्षण दे लाभ पहुंचा सके। इस अवसर पर शोभा सुराना, डॉ. भूरालाल श्रीमाली, डॉ. अमि राठोड, डॉ. अनिता कोठारी, ममता कुमावत, डॉ. हरीश चौबीसा सहित शिविर में आये प्रतिभागी उपस्थित थे।
दुग्धाभिषेक एवं दीप प्रज्जवलन आज ः- जनार्दनराय नागर विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संस्थापक मनीषी पं. जनार्दनराय नागर की १०६ वीं जयंती अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय समारोह के दूसरे दिन सायं ०६ बजे विद्यापीठ के प्रतापनगर परिसर में लगी पं. जनार्दनराय नागर की आदमकद मूर्ति का कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत एवं कार्यकर्ताओं द्वारा दुग्धाभिषक एवं २५१ दीपक प्रज्जवलित कर उन्हे श्रद्धा सुमन नमन किया जायेगा।
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