आहाड संग्रहालय में लोक गीत प्रतियोगिता व योग प्रदर्शनी
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27 Sep 16
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उदयपुर विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर मंगलवार को उदयपुर के आहाड़ संग्रहालय में पारम्परिक लोक गीत प्रतियोगिता एवं योग आधारित प्रदर्शनी लगाई गई।
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के वृत्त अधीक्षक मुबारिक हुसैन ने बताया कि जीवंत विरासत के संरक्षण के उद्देश्य से पुरातत्व विभाग, महिला समाज सोसायटी उदयपुर व तरंग सॉफ्ट सॉल्यूशन्स उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में पारम्परिक लोक गीत प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। यह प्रतियोगिता महिला व छात्रा वर्ग में हुई। महिला वर्ग में श्रीमती कलाराज माली व समूह प्रथम तथा श्रीमती कमला तलाच व समूह द्वितीय रहे। छात्रा वर्ग में वात्सल्य उच्च प्राथमिक विद्यालय उदयपुर की कृतिका व समूह प्रथम व नोबल इंटरनेशनल स्कूल की नोशीन खान व समूह द्वितीय रहे। निर्णायक की भूमिका आरएमवी की संगीत व्याख्याता डॉ. विजयलक्ष्मी दवे, आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गौरव यादव तथा कलाकार नेहा चारण ने निभाई।
इस मौके पर मुख्य अतिथि आकाशवाणी के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी विनोद शर्मा ने बच्चों को स्थानीय बोली के प्रति प्रोत्साहित करने की जरूरत बताई। प्रारंभ में मुबारिक हुसैन ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विष्णुप्रकाश माली ने किया।
प्रकृति और योग के रंगों से सजा संग्रहालय
विश्व पर्यटन दिवस पर मंगलवार को आहाड़ संग्रहालय में प्रकृति और योग आधारित चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी का उद्घाटन वरिष्ठ चित्रकार प्रो. सुरेश शर्मा व एल.एल. वर्मा ने किया।
प्रकृति के चित्रों में रंगों की गहराई से प्रकृति की गहराई को समझाया गया है। चित्रकार डॉ. भावना श्रीमाली ने बताया कि चित्रों में प्रकृति केे विभिन्न आयामों को रंगों के विविध संयोजन से समझाया गया है। उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि प्रकृति का जो विनाश दिखाई दे रहा है, उसे पेड़ लगाकर बचाया जाए। हरियाली सिर्फ रंगों में ही न सिमट कर रह जाए, हमारे चारों ओर हरा-भरा वातावरण रहे तो मानव जीवन में खुशहाली के रंग भरे रहेंगे।
योग पर चित्रों की प्रदर्शनी लगाने वाली डॉ. वंदना जोशी ने बताया कि योग ध्यान और आसन का जोड़ है। इसमें केवल आसन ही नहीं हैं, श्वांस का उतार-चढ़ाव भी महत्व रखता है। हर आसन शरीर के किसी न किसी अंग को प्रभावित करता है। चित्रों के जरिये यही दर्शाने की कोशिश की गई है कि कौन सा योग शरीर के कौन से अंग को प्रभावित करता है और हम किस तरह शरीर को स्वस्थ और चित्त को आनंदित रख सकते हैं।
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