उदयपुर, ‘जहां प्रकृति और प्रेम के झरने का मिलन होता हो जाता है, वहीं प्रार्थना का उद्गम होता है।‘ यह बात शनिवार को नारायण सेवा संस्थान के सेवा महातीर्थ बडी में संस्थापक कलाश मानव ने ‘सामाजिक क्रांति कथा‘ के दूसरे दिन कही। उन्हने कहा कि मनुष्य को कभी ऐसा बडा बनने का लोभ नहीं करना चाहिए कि सहजता, सरलता और प्रसन्नता को ही खो दे। मनुष्य सामाजिक प्राणी है, उसे समाज स बहुत कुछ हासिल हुआ है, उसका दायित्य है कि वह भी अपने ज्ञान और संचित धन से समाज की बेहतरी के लिए काम करे और सेवा को स्वभाव बनाएं। समाज में आज बाल विवाह, कन्या भ्रुण हत्या, दहेज प्रताडना, दुष्कर्म और भ्रष्टाचार जैसी अनेक समस्याएं हैं। समाज को इनसे मुक्त कर हम उन आत्माओं को प्रसन्न करें, जिन्होंने राष्ट्र की स्वतंत्र्ता और नवनिर्माण के लिए अपना बलिदान दिया।