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ढाई दशक बाद माँ-बेटी को मिला खातेदारी अधिकार

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26 May 16
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ढाई दशक बाद माँ-बेटी को मिला खातेदारी अधिकार
डॉ. दीपक आचार्य,उप निदेशक (सूचना एवं जनसंपर्क)उदयपुर,राजस्व लोक अदालत अभियान न्याय आपके द्वार ग्रामीणों के लिए नई जिन्दगी और उदारतापूर्वक सुकून बाँटने का अभियान बना हुआ है। उन लोगों के लिए भी यह अभियान राहत के साथ खातेदारी अधिकार देने वाला साबित हो रहा है जो लोग नियमों से अनभिज्ञ होने या कि दूसरी किन्हीं विवशताओं की वजह से पुश्तैनी खाते में अपना नाम दर्ज नहीं करा पाए हैं चाहे बात कितने ही बरस पुरानी क्यों न हो।
ऎसा ही एक मामला उदयपुर जिले के खेरवाड़ा उपखण्ड क्षेत्र के थाणा में बुधवार को आयोजित लोक अदालत अभियान न्याय आपके द्वार के अन्तर्गत लगे शिविर में सामने आया। इसमें पिता की मौत के 27 साल बाद पत्नी और इकलौती बेटी का नाम अपने परिवार के खाते में दर्ज हुआ।
हुआ यों कि छाणी ग्राम पंचायत के कालाभाटा निवासी शंभूलाल पिता सवजी की सन् 1989 में आकस्मिक मृत्यु हो गई। सवजी की मौत के बाद उसकी पत्नी धनवन्ति को न नियमों की जानकारी थी, न किसी ने खातेदारी अधिकार के बारे में बताया। इकलौती बेटी वनिता भी नाबालिग थी। इस कारण से धन्वन्ति अपनी बिटिया की पढ़ाई-लिखाई एवं परिवार का पालन-पोषण करने में व्यस्त हो गई।
वनिता के अब बालिग हो जाने से ढाई दशक बाद अपने परिवार के खाते में वनिता पुत्री शंभूलाल तथा धन्वन्ति पत्नी शंभूलाल का खाते में नाम दर्ज हुआ। शिविर प्रभारी उपखण्ड अधिकारी कृष्णदत्त पाण्डेय, विकास अधिकारी धनदान देथा आदि ने दस्तावेज सौंपे।
बरसों का काम मिनटों में निपट जाने से माँ-बेटी बहुत खुश हो उठी और विनम्रता के साथ शिविर के अधिकारियों एवं कार्मिकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के साथ ही सरकार को भी शिविर लगाने के लिए धन्यवाद दिया। वनिता और धन्वन्ति ने कहा कि शिविर ने उनके परिवार को नई जिंदगी दी है और इसे उनका परिवार कभी भुला नहीं पाएगा।
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