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पं. चतुरलाल की स्मृति में ‘स्मृतियां’ का आयोजन 10 को

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06 Oct 15
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पं. चतुरलाल की स्मृति में ‘स्मृतियां’ का आयोजन 10 को उदयपुर में जन्में प्रख्यात तबला वादक पं. चतुरलाल की स्मृति में पं. चतुरलाल मेमोरियल सोसायटी नई दिल्ली एवं वेदान्ता, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार 10 अक्टूबर शाम 7 बजे शिल्पग्राम में शास्त्रीय संगीत संध्या ‘स्मृतियां’ का आयोजन किया जायेगा।
पं. चतुरलाल के पुत्र चरनजीत ने बताया कि शनिवार को शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर सुविख्यात बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को रस विभोर करेंगे। संगीत संध्या में शुभेन्द्रो राव सितार और शासकिया दी हास राव चेल्लो पर जुगलबंदी करेंगे। तबले पर संगत उस्ताद रशीद मुस्तफा करेंगे। कार्यक्रम का संचालन पं. चतुरलाल की पौत्री श्रुति चतुरलाल करेंगी।


पं. चरनजीत ने बताया कि पं. चतुरलाल का जन्म 16 अप्रेल 1926 को उदयपुर में हुआ था। यहीं वे पले-बढे और अपनी कला की शुरूआत की। वे पहले तबला वादक थे जिन्होंने पं. रवि शंकर और उस्ताद अली अकबर खान के साथ यूरोप और अमेरिका की यात्रा की। देखते ही देखते थोडे समय में ही उन्होंने विश्व ख्याति प्राप्त कर ली। वे पहले तबला वादक थे जिनका सन् 1955 में हॉलीवुड में पेसिफिक रिकार्ड ने इनके पहले एलपी रिकार्ड्स फायर ऑन ड्रम्स एण्ड और ड्रम्स ऑफ इंडिया प्रस्तुत किए। पं. चतुरलाल और पं. रवि शंकर ने एक कनेडियन फिल्म चैरी टेल में संगीत दिया जो ऑस्कर में नॉमिनेटेड हुई।
सन् 1957 में पं. चतुरलाल और यूएसए के विख्यात ड्रमर फिलिप जॉय जोन्स का संगीत कार्यक्रम हुआ। यह ईस्ट और वेस्ट का पहला फ्यूजन था जो एक फिल्म के रूप में यूएसए में लाईब्रेरी ऑफ कांग्रेस ने कलेक्टर्स आईटम में संरक्षित है। सन् 2009 में चरनजीत ने दिल्ली में अपने पिता की स्मृति में ता धा नाम से संग्रहालय स्थापित किया तब उन्हें यूएस से उपहार के रूप में इस फिल्म की सीडी मिली। संग्रहालय में पं. चतुरलाल से संबंधित अनेक वस्तुओं में मुख्यतः उनके द्वारा प्रयोग में लाए गए तबले, रिकार्ड्स, फिल्म्स आदि करीने से संवार कर रखे गए हैं। पं. चतुरलाल की स्मृति में दिल्ली में एक सडक का नामकरण भी 16 अप्रेल 2011 को किया गया।
पं. चरनजीत ने बताया कि पं. चतुरलाल ने छोटी सी उम्र में देश-विदेश में अपने तबले की थाप और मीठे बोल से धूम मचा दी। वे जिसके साथ भी संगत करते उसके नृत्य संगीत में पूर्णतः सराबोर और समरस हो जाते। उन्होंने कई देशों की यात्राएं की किंतु मुख्यतः जर्मनी, यूएसए, लंदन से उन्हें बहुत लगाव था। उनकी मृत्यु पर न केवल भारत में अपितु विदेशों में भी शोक व्यक्त किया गया।
पं. चरनजीत ने बताया कि उन्होंने अपने पिता की स्मृति में 2001 में स्मृतियां नाम से कार्यक्रम को प्रारंभ किया जो अब तक निरन्तर है। स्मृतियां में अब तक उस्ताद अमजद अली खान, पं. राजन-साजन मिश्रा, पं. बिरजू महाराज, तथा पं. चतुरलाल एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित कत्थक क्वीन सितारा देवी जैसी संगीत एवं नृत्य जगत की जानामानी हस्तियों ने अपनी यादगार प्रस्तुति दी। इस वर्ष के कार्यक्रम के सह सहयोगी वेस्ट जोन कल्चर सेंटर एवं आरएसएमएम हैं।

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