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जन्मजात वाल्व का अभाव : जिसका पुनर्निर्माण कर दी सामान्य जंदगी

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06 Oct 15
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जन्मजात वाल्व का अभाव : जिसका पुनर्निर्माण कर दी सामान्य जंदगी उदयपुर | गीतांजली हॉस्पिटल, उदयपुर के कार्डियक विभाग के डॉ संजय गाँधी द्वारा ११ वर्शीय मासूम जिसके हृदय में जन्मजात एक वाल्व नही था, उसके हृदय में वाल्व का र्निर्माण कर वाल्व प्रत्यारोपण किया जिससे वह अन्य लोगों की तरह सामान्य जीवन व्यतीत कर पाएगी। इस ऑपरेषन में डॉ संजय गाँधी के साथ डॉ अंकुर गाँधी, डॉ कल्पेष मिस्त्री व डॉ मनमोहन जिंदल भी षामिल थे।
हृदय षल्य चिकित्सक डॉ संजय गाँधी ने बताया कि माल्याखेडी निम्बाहेडा निवासी रोगी पूजा मेघवाल(११) जो सांस लेने में दिक्कत, धडकनें सामान्य से तेज होना, नाखून व होंठ काले पडना, आँखें लाल होना जैसी परेषानियों को लेकर आई थी। जांचों के बाद उसके फेंफडों की नाडी में सिकुडन व जन्मजात फेंफडों की नाडी में वाल्व का अभाव पाया गया जिसका ऑपरेषन कर फेंफडों की सिकुडन को खोला गया व वाल्व का र्निर्माण किया गया। अब बच्ची पूर्णतया स्वस्थ है।
डॉ गाँधी ने ऐसे ही दुसरे मामले के बारे में बताया कि खेरवाडा निवासी रोगी साक्षी पटेल(३.५) के जन्मजात दिल में छेद था और फेंफडे की नाडी भी सिकुडी हुई थी जिसका ऑपरेषन कर फेंफडों की नाडी की सिकुडन को खोल बच्ची को स्वस्थ किया गया।
क्या होता है यदि जन्मजात हृदय में वाल्व न हो?
डॉ गाँधी ने बताया कि बच्चों में जन्मजात हृदयरोग से षरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे उनके होंठ और नाखून नीले हो जाते है। ऐसे बच्चों का ईकोकार्डियोग्राफी और केथएंजियोग्राफी की जांच के द्वारा बीमारी का विष्लेशण किया जाता है और उसके बाद हृदय षल्य चिकित्सा द्वारा जन्मजात दोशों को ठीक किया जाता है। यदि हृदय की इस तरह की बीमारीयों का ऑपरेषन पांच वर्श या उससे कम उम्र में हो जाए, तो बच्चों के षारीरिक विकास जैसे वजन न बढना, मानसिक विकास न होना जैसी दिक्कतें नही होती।
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