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दुराचारी का साथ देने वाला भी अधर्मी

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02 Aug 15
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उदयपुर, नारायण सेवा संस्थान के बडी ग्राम परिसर में संस्थापक श्री कैलाश मानव के सानिध्य में हो रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को वृंदावन धाम के श्री बृजनन्दन जी महाराज ने महाभारत युद्ध के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि अधर्म करना तो पाप हैं ही, लेकिन अधर्मी का साथ देना भी पाप है और ऐसा करने के परिणाम सदैव दुखदायी होते है। महाभारत के युद्ध में कौरव सेना में अजेय योद्धा थे। लेकिन वे इसलिए मारे गए क्योंकि उन्होंने अधर्मी दुर्योधन के पक्ष में शस्त्र उठाए। श्री कृश्ण ने अपना सम्पूर्ण जीवन धर्म की रक्षा में समर्पित किया। उन्होंने पाण्डवों का साथ भी इसलिए दिया क्योंकि उनका आचरण धर्म और सत्य पर आधारित था। महाराज ने कहा कि कलियुग में श्रीमद् भागवत का श्रवण करने से जाने-अजाने हुए पाप धुल जाते है और जन्मों के कष्ट दूर होते है। व्यासपीठ का अभिनन्दन संस्थान अध्यक्ष श्री प्रशाान्त अग्रवाल, निदेशक वन्दना अग्रवाल व श्री देवेन्द्र चौबीसा ने व संचालन श्री कुंज बिहारी मिश्रा ने किया। कथा का आस्था चैनल पर प्रातः १० से १ बजे तक सीधा प्रसारण किया जा रहा है।
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