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मेहनत का फल कृपा से नहीं पराक्रम से मिलेगाःआचार्य शिवमुनि

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13 Jul 18
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मेहनत का फल कृपा से नहीं पराक्रम से मिलेगाःआचार्य शिवमुनि उदयपुर। श्रमण संघीय आचार्य डॉ. शिवमुनि महाराज ने कहा कि सेवा, भक्ति, भावना बहुत प्रशंसनीय होती है, लेकिन मेहनत का फल किसी की कृपा से नहीं, पराक्रम करने से मिलेगा और उसके बाद मिलने वाली सफलता आफ कदम चूमेंगी।
वे आज भगवान हिरणमगरी से. ३ स्थित महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। ध्यानगुरू आचार्य सम्राट ने कहा कि हम परम सौभाग्यशाली है कि हमें भगवान महावीर का शासन मिला हैं जब हम किसी को नजदीक से देखते है तब या तो उसकी अच्छाई या बुराई नजर आती है। भगवान महावीर स्वामी जीवन में अकेले चलें जैसे सिंह जंगल में अकेला चलता है। वैसे ही मुनि भी अकेला चलता है। उसे किसी का भय नहीं होता है। उन्हने कहा कि अपने कर्म पर विश्वास करों। जो भाग्य में लिखा हैं उसको आने से कोई भी रोक नहीं सकता हैं।
आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में वाणी का बहुत महत्त्व है। वाणी से ही हम किसी को मित्र तो किसी को शत्रु बना लेते हैं। वाणी का उपयोग तोल-मोल करके बोलना चाहिए। भगवान महावीर साढे बारह वर्ष तक बोलें ही नहीं। जब बोले तो आगम की रचना हुई। हम कितना ज्यादा बोलते है। दिन में तो लोग बोलते ही है और कुछ लोग तो रात को नींद में भी बोलते है।
उन्हने कहा कि हम अपने बच्चों के लिए क्या-क्या नहीं करते है। पढा दिया, लिखा दिया। नौकरी लगवा दी, शादी करा दी, घर बना दिया। अपने लिए क्या किया। शरीर के लिए तो सब कर देते हैं। भीतर जो आत्मा है उसके लिए क्या किया। आपने सारा जीवन ऐसे ही गवंा दिया। अंतिम समय हाथ क्या आएगा, साथ क्या जाएगा। भगवान महावीर की ध्यान साधना से जीवन रूपान्तरित होता है। ध्यान की अनुभूति सबसे अलग हैं। वर्तमान युग में हर मनुष्य दुःखी है, परेशान हताश और निराश है। ऐसे समय में ध्यान सबके लिए आशा की किरण है। आपको तय करना है कि आपने मेडिसिन खानी है या मेडिटेशन करना हैं।
हम भगवान महावीर को सिर्फ जानते है, भगवान की मानतें नहीं है। आपने मूल स्वरूप जानना है। आत्मा का अनुभव करना हैं। आत्मा अजर अमर हैं। शरीर नाशवान हैं वह तो मिटेगा, बिखरेगा। मौत आने से पहले जाग जाना और मृत्यु को महोत्सव बनाना ही साधना है। संसार की मोह माया में हम अपने अस्तित्व को भूल जाते है। जीवन में जो सत्य है उसको जानने के लिए पुरूषार्थ करो।
इससे पूर्वयुवाचार्यश्री महेन्द्र ऋशि आदि ठाणा १० सेक्टर १४ से विहार करके सेक्टर तीन पधारें। बी. एस. एन, एल चौक पर हजारों की सुख्या में एकत्रिात श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्य श्री का भावभीना स्वागत किया। प्रवचन सभा का आयोजन हुआ जिसमें महिला मण्डल ने मधुर भजनों से आचार्यश्री का अभिनन्दन किया गया। प्रवचन सभा को युवाचार्यश्री महेन्द्र ऋषि म.सा., महाश्रमणश्री जिनेन्द्रमुनि म.सा., प्रमुखमंत्रीश्री शिरीष मुनि म.सा. ने भी जिनवाणी का रसास्वादन कराया गया। मंच का संचालन श्रीसंघ के महामंत्री ने किया गया।

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