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फेसबुक पर खबरें! मीडिया के लिए अवसर या चुनौती?

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23 May 15
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सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर खबरों के प्रकाशन की बात कुछ महीनों से चर्चा में थी। अब यह असलियत बन गई है। फेसबुक ने शुरूआत में नौ अखबारों और ऑनलाइन समाचार प्रकाशकों से करार किया है जिसके तहत उनकी खबरें और लेख सीधे फेसबुक पर प्रकाशित किए जाएंगे। अरबों लोगों द्वारा देखी जाने वाली सोशल मीडिया साइट पर खबरों का शुरू होना पारंपरिक मीडिया के लिए बड़ी चुनौती सिद्ध हो सकती है। हालांकि जिन गिने-चुने प्रकाशकों को फेसबुक के साथ करार का मौका मिलेगा, उनकी चांदी होने वाली है क्योंकि वे कभी सपने में भी अपनी खबरों के इतने लोगों तक पहुँचने की उम्मीद नहीं लगा सकते थे। ऊपर से फेसबुक का इनोवेटिव विज्ञापन मॉडल भी उन्हें मालामाल कर सकता है। उन्हें फेसबुक पर प्रकाशित होने वाली खबरों के लिए खुद विज्ञापन बुक करने का अधिकार होगा। वे चाहें तो अपनी सामग्री पर विज्ञापन लगाने का हक खुद फेसबुक को दे सकते हैं। इस तरह मिलने वाले राजस्व में फेसबुक की हिस्सेदारी तीस फीसदी की होगी।

फेसबुक की इस सुविधा को इन्स्टैंट आर्टिकल का नाम दिया गया है। मीडिया हाउसों की खबरें तुरंत फेसबुक पर उपलब्ध होंगी, फेसबुक का दावा है कि दस गुना तेजी से। फेसबुक के साथ किए गए ताजा करार में न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स, बजफीड, एनबीसी, द अटलांटिक, द गार्डियन, बीबीसी न्‍यूज, स्‍पीजेल, बिल्‍ड और नेशनल ज्‍योग्राफिक जैसे प्रकाशक शामिल हैं। इस संख्या में काफी बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं और यकीनन आने वाले महीनों में भारत जैसे देशों के मीडिया के लिए भी फेसबुक के लिए एक बड़ा अवसर और एक जबरदस्त चुनौती सामने आने वाली है।

गूगल मैप्स पर रेलवे टाइमटेबल

यह सचमुच एक दिलचस्प, इनोवेटिव (नवाचारी) और उपयोगी कदम है। गूगल ने भारतीय रेलवे के साथ करार किया है जिसके तहत ट्रेनों के टाइमटेबल और स्टेटस की जानकारी गूगल मैप्स के मोबाइल एप्प पर मिल जाएगी। यानी अब आपको 12,000 रेलगाड़ियों के आने-जाने के बारे में ताजातरीन जानकारी पाने के लिए रेलवे की पूछताछ सेवा को फोन करने या फिर रेलवे की वेबसाइट पर जाने की जरूरत नहीं रहेगी। गूगल मैप्स का एक उपयोगी फीचर है- गूगल ट्रांजिट। यह सुविधा इसी के तहत उपलब्ध कराई जाएगी। इतना ही नहीं, यहाँ पर अहमदाबाद, बेंगलुर, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, नयी दिल्ली और पुणे के बस एवं मेट्रो मार्गों की भी सूचना मिलेगी। गूगल मैप्स का इस्तेमाल एंड्रोइड और आईओएस आधारित स्मार्टफोनों के साथ-साथ डेस्कटॉप और लैपटॉप कंप्यूटरों पर भी किया जा सकता है। याद रहे, गूगल मैप्स पर न्यूयार्क, लंदन, तोक्यो और सिडनी समेत 2,800 शहरों में 10 लाख से ज्यादा गंतव्यों की परिवहन समयसारणी पहले ही उपलब्ध है।

नहीं देखे जाते आधे वीडियो

इन दिनों इंटरनेट पर वीडियो कन्टेन्ट का जोर है। यू-ट्यूब जैसी वीडियो वेबसाइटों और वीडियो विज्ञापनों का दबदबा चल रहा है। इन्हें टेलीविजन के लिए खतरा भी माना जाने लगा है। हालाँकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को शायद गूगल की एक ताजा रिपोर्ट से तसल्ली मिले जिसमें कहा गया है कि 46 फीसदी से ज्यादा ऑनलाइन वीडियो व विज्ञापन देखे ही नहीं जाते। गुगल का कहना है कि करीब आधे यूजर देखने के लिए किसी वीडियो पर पहुँचते तो हैं लेकिन जब उस पर विज्ञापन चलने लगता है तो वे उसे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। ज्यादातर यूज़र समय की कमी के कारण वेबसाइट ही बदल देते हैं। हालाँकि यू-ट्यूब जैसी साइटों पर विज्ञापनों को न देखने के लिए कुछ सैकंड में बटन दबाने का विकल्प उपलब्ध है लेकिन गूगल की रिपोर्ट कहती है
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