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नवरात्रि शक्ति की साधना का पर्व - मुनि शुभकरण

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23 Mar 15
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राजसमंद | संबोधि उपवन ट्रस्ट धानीन में नवरात्रि साधना शिविर के दूसरे दिन संत शुभकरण ने व्याख्यान में कहा कि नवरात्रि शक्ति की साधना का पर्व है। मनुष्य जन्मों-जन्मों से मोह में जकड़ा हुआ है, जिससे वह स्वयं अपने स्वरुप को पहचान नहीं पा रहा है। जिस शरीर को वह अपना मान रहा है, वह मिथ्या है और मन हमेशा राग-द्वेष में लगा रहता है।
हमने मन शरीर को मालिक बना रखा है, मगर वास्तव में आत्मा हमारी मालिक है। मनुष्य को जीवन भर पता नहीं चलता है कि आत्मा क्या है, इसका स्वरुप क्या है, क्योंकि हम इस आत्मा के लिए पुरुषार्थ ही नहीं करते हैं। हमारी साधना में सबसे बड़ी बाधा हमारा आलस्य, निद्रा प्रमाद है। मन को आत्मा के साथ साधने के लिए अल्पभोजन, अल्पविहार, अल्पनिद्रा, वाणी का संयम, अनुकुल स्थान सद्गुरु की शरण सत्संग अत्यन्त आवश्यक है।
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