पुलिस कान्स्टेबल के 5390 पदों के लिए पहली बार ऑनलाइन परीक्षा में हाईटेक गैंग द्वारा एग्जाम देने वालों के कम्प्यूटर को रिमोट एक्सेस पर लेकर दूसरी जगह से पेपर हल करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यानी अभ्यर्थी सिर्फ कम्प्यूपटर के आगे बैठा रहता था, पेपर एग्जाम सेंटर से करीब सौ मीटर दूर बने नकल के कंट्रोल सेंटर से हल हो रहा था। अरेस्पूट हुए लोगों से पूछताछ में सामने आया है कि गिरोह ने 5 मार्च को ही सेंटर के पास ही एक अन्य बिल्डिंग को किराए पर लेकर वहां सेंटर बनाया था। यही से ऑनलाइन पेपर हल कर सबमिट किया जा रहा था।
सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर देते थे घर से
- विकास ने इंफोटेक की बिल्डिंग पर वायरलेस एंटिना लगा रखा था।
- परीक्षा केंद्र में लगे कंप्यूटर सर्वर को वायरिंग से कनेक्ट कर इंस्टीट्यूट की छत पर लगे एंटीना से कनेक्ट करते थे।
- होटल की छत पर राउटर व अन्य उपकरण लगवाए। होटल में ही लैपटॉप व अन्य उपकरणों के साथ प्रश्न-पत्र हल करने वाले एक्सपर्ट को बैठा दिया।
- एग्जाम देने वाला जैसे ही कम्यूटर स्क्रीन पर अपना लॉगिन व पासवर्ड डालकर सिस्टम ऑन करता तो एक कर्मचारी पेन ड्राइव से सिस्टम पर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर देता।
- होटल के कमरे में बैठे एएक्सपर्ट रिमोट एक्सेस से कंप्यूटर में घुसपैठ करते और किताबों से उत्तर पढ़कर पेपर हल कर देते।
इतने लोगों को दिलवाया था एग्जाम
- गिरोह ने कुल 13 एग्जाम देने वालों को इसी तरह नकल कराने की बात कबूली है।
- रिमोट एक्सेस से सिस्टम हैक कर कान्स्टेबल भर्ती में एग्जाम देने वालों का पेपर हल करने वाले गिरोह ने पूछताछ में बताया सेंटर में बैठा लड़का माउस हिलाता रहता, ताकि किसी को शक न हो, वहीं दूसरी बिल्डिंग में बैठा एक्सपर्ट किताबें पढ़कर पेपर कर देता था।
- 3 दिन में गिरोह ने 13 लोगों का पेपर हल किया था। मंगलवार को होने वाले पेपर में 8 अभ्यर्थियों के साथ डील हो चुकी थी। गिरोह का मास्टरमाइंड विकास मलिक एक माह से साजिश में लगा हुआ था। इसके लिए 3 महीने पहले ही उसने इंस्टीट्यूट किराए पर लिया था।
- विकास ने दो एक्सपर्ट संजय व अभिमन्यु को 10-10 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से हायर किया और सिस्टम को हैक करने का ताना-बाना बुना।
ऐसे पहुंचे थे सेंटर के सिस्टम तक
- कान्स्टेबल भर्ती परीक्षा एप्टेक कंपनी आयोजित कर रही है। कंपनी ने उन एजेंसियों को संसाधन उपलब्ध कराने को कहा था, जहां सेंटर बनाए गए।
- मास्टरमाइंड विकास ने इसी का फायदा उठाते हुए किराए पर लिए गए इंस्टीट्यूट सरस्वती इंफोटेक में हायर किए गए दोनों एक्सपर्ट संजय व अभिमन्यु को अपना कर्मचारी बताकर सिस्टम में घुसपैठ की अनुमति दे दी।
- सोमवार को वायरिंग कर रहे दोनों एक्सपर्ट को कंपनी के कर्मचारी ने टोका तो बहस हो गई। इस पर कर्मचारी ने अधिकारियों को पूरे मामले की सूचना दी।
- अधिकारियों ने आईजी हैडक्वार्टर संजीव कुमार नार्जारी को बताया। आईजी ने एसओजी आईजी एमएन दिनेश को मामले की जानकारी दी और शक जाहिर किया।
2-4 लाख रु. लिए हर लड़के से
- आईजी दिनेश एमएन ने बताया कि सात मार्च से शुरू हुई कान्स्टेबल भर्ती परीक्षा के लिए राजस्थान के 10 जिलों में परीक्षा केंद्र बने हैं।
- सरस्वती इंफोटेक इंस्टीट्यूट भी इनमें से एक था। जांच में पता चला है कि इंस्टीट्यूट तीन महीने पहले ही किराए पर शुरू किया गया था। इससे पहले यह कंपनी दिल्ली में संचालित थी।
- विकास मलिक के अलावा इसके दो पार्टनर कपिल और मुख्त्यार भी बताए जा रहे हैं। तीनों ने पहले परीक्षा केंद्र में आने वाले एग्जाम देने वालों से संपर्क किया।
- शुरुआती जांच में पता चला है कि कुछ एग्जाम देने वालों को नकल और पेपर बताने का आश्वासन देकर 2 से 4 लाख रुपयों में सौदा तय किया गया।
- इस इंस्टीट्यूट में 300 एग्जाम देने वालों के बैठने की व्यवस्था है। पीएचक्यू ने परीक्षा आयोजित करवाने का ठेका एप्टेक कंपनी को दिया था। इसी कंपनी ने सरस्वती इंस्टीट्यूट को परीक्षा केंद्र के लिए चुना था।
गिरफ्तार आरोपियों में 4 हरियाणा, 1 महाराष्ट्र, 1 दिल्ली से
- एसओजी के आईजी दिनेश एमएन ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी विकास मलिक (30) रोहतक का रहने वाला है और सरस्वती इन्फोटेक में पार्टनर है।
- अन्य आरोपियों में अमोल महाजन (24) निवासी नासिक, अभिमन्यु सिंह (25), संजय छिकारा (25) निवासी बहादुरगढ़ झज्जर, अंकित सहरावत (18) निवासी सोनीपत एवं अमित जाट (21)दिल्ली का रहने वाला है।
- दो पार्टनर कपिल और मुख्तयार फरार हैं। आरोपी अभिमन्यु और संजय छिकारा एक्सपर्ट हैं। जिन्हें नकल कराने के लिए दस हजार रुपए रोज दिए जा रहे थे।
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