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मार्बल, कोटा स्टोन, ग्रेनाईट, सैंड स्टोन को जी.एस.टी. के 5 प्रतिशत टैक्स स्लैब में शामिल किया जाए - श्रीमती वसुंधरा राजे

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24 Apr 17
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मार्बल, कोटा स्टोन, ग्रेनाईट, सैंड स्टोन को जी.एस.टी. के 5 प्रतिशत टैक्स स्लैब में शामिल किया जाए - श्रीमती वसुंधरा राजे नई दिल्ली । राजस्थान की मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे ने कहा कि राजस्थान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ एवं बहुत बड़ी आबादी को रोजगार उपलब्ध करवाने वाले लघु एवं औद्योगिक क्षेत्रा के खनन, मार्बल, ग्रेनाईट, कोटा स्टोन एवं लैंडस्टोन को जी.एस.टी. के सबसे निचले स्लैब में रखा जाना चाहिए।
श्रीमती राजे ने यह मांग नई दिल्ली में नीति आयोग की गवर्निंग कॉसिल की तीसरी बैठक के दौरान अपने संबोधन में रखी। नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में रविवार को प्रधानमंत्राी श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लेकर अपने राज्य विशेष के मुद्दे उठाए।
श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान सरकार जी.एस.टी. को लागू करने के लिए लगातार कार्य कर रही है। लेकिन मार्बल, कोटा स्टोन, ग्रेनाईट और लाइम स्टोन से जुडे स्थानीय उद्योगों को जी.एस.टी. के तत्कालिक प्रभावों से बचाया जाना चाहिए और इन्हें 5 प्रतिशत स्लेब की वस्तुओं में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में करीब 58 प्रकार के छोटे बड़े खनिज निकाले जाते हैं। जहां करीब 1.20 लाख परिवार सीधे तौर पर एवं करीब 10 लाख परिवार परोक्ष रूप से अपनी आजीविका कमा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. को कल शुरू हो रहे विधानसभा सत्रा में पास किया जाएगा तथा इसको राज्य में लागू करने के लिए व्यापारियों के लिए पंजीकरण, ट्रेनिंग कार्यशालाओं का आयोजन तथा जी.एस.टी. के कार्यान्वयन के लिए राज द्वारा अपनाए गए मॉडल 2 के अनुरूप सूचना एवं तकनीकी सुविधाओं को पूर्ण रूप से विकसित किया जा रहा है।
राज्य विशेष की फसलों को एम.एस.पी. में शामिल किया जावे
श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान में जलवायु के अनुसार विशेष रूप से पैदा होने वाली कलस्टर बीन, मोठ, लोबिया, जीरा, धनिया, लहसुन, इसबगोल, अरंडी, एलोविरा, मेहंदी आदि को न्यूनतम समर्थन मूल्य की सूची में शामिल किया जावे ताकि इन फसलों से जुड़े किसानों को उनका वाजिब मूल्य प्रदान करके उनकी आय दुगुनी करने की दिशा में बढ़ा जा सके।
श्रीमती राजे ने बैठक में कहा कि राजस्थान की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है तथा यहां का अधिकतर हिस्सा रेगिस्तान होने के कारण एवं वर्षा पर काफी निर्भरता होने से किसानों को खेती की तरफ उन्मुख करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एम.एस.पी. में शामिल करने का महत्वपूर्ण निर्णय लेना अति आवश्यक है।
श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान में किसानों को पानी की पहुॅंच सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्राी जल स्वावलंबन अभियान चलाया गया जिसमें करीब 1.2 लाख जल संरचनाओं का निर्माण एवं पुनरुद्धार किया गया है।
‘वन-धन योजना’ के तहत 28 लाख पौधारोपण, ‘ड्रीप सिंचाई’ को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आने वाले चार वर्षो में करीब 60 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित भूमि में बदलने के लक्ष्य प्राप्त करने पर कृषि उत्पादकता में 50 से 100 प्रतिशत की वृद्धि होगी वहीं फसलों में जल उपयोग को 50 प्रतिशत तक घटाया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में कृषकों को बेहतर कृषि उत्पाद मूल्य दिलवाने, विदेशी तकनीकी से रूबरू करवाने एवं कम पानी में अधिक उत्पादन वाली फसलों की तरफ उन्मुख करने के लिए ग्लोबल राजस्थान एग्रोटेक 2016 को आयोजन किया गया जहां इजराईल विदेशी भागीदार रहा और कई विदेशी वैज्ञानिकों ने अपने-अपने अनुसंधान अनुभवों से किसानों को अवगत करवाया। इसमें राज्य के करीब 58000 किसानों ने लाभ लिया।
श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान में किसानों का अनवरत विद्युत उपलब्ध करवाने के लिए पिछले 3 वर्षो में 22664 सोलर पंप लगाकर देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। राज्य सरकार अभी ‘बीज स्वावलंबन योजना’ लाने पर विचार कर रही है ताकि किसानों को उत्तम गुणवता के बीज उपलब्ध करवाये जा सके। राजस्थान में कम पानी वाली जलवायु मित्रा फसलों यथा जोजोबा, जैतुन के साथ-साथ आर्गेनिक कृषि को लगातार बढ़ावा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के डूंगरपुर जिले को पूर्ण रूप से ऑग्रेनिक जिला घोषित किया गया है जहां ‘परम्परागत कृषि विकास योजना’ के अंतर्गत 50 ऑर्गेनिक कलस्टर स्थापित किये गए हैं।
श्रीमती राजे ने आग्रह किया कि राजस्थान की ‘परवन सिंचाई परियोजना’ को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित किया जावे ताकि राज्य के किसानों को बेहतर स्वच्छ एवं पेयजल के साथ-साथ सिंचाई सुविधा उपलब्घ करवाने में सहयोग मिल सके।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए रोडमैप तैयार किया गया है। जिसमें खेती की लागत कम करना, उत्पादन बढ़ाना, बाजार की जरूरतों के अनुरूप उत्पादन, कृषि विभिन्नीकरण, पोस्ट हारवेस्ट नुकसानों में कमी लाना, मार्केटिंग और प्रोसेसिंग सुविधाओं को बढ़ाना, कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा देना आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि राजस्थान प्रधानमंत्राी फसल बीमा योजना का सर्वाधिक कवरेज वाला राज्य है।
‘डिजीटल इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ कार्यक्रमों की राज्य में प्रगति का ब्यौरा देते हुए श्रीमती राजे ने आग्रह किया कि डिजीटल मोड ऑफ पेमंेट को बढ़ावा देने के लिए 5000 तक के लेन देन को शुल्क मुक्त कर देना चाहिए। वही राजस्थान में डिजीटल व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र के अधीन इलैक्ट्रॉनिक एवं इंफोरमेशन टैक्नोलॉजी विभाग और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन द्वारा राजस्थान में भारत-नेट की स्थापना करने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
श्रीमती राजे ने कहा कि डिजीटल राजस्थान के लक्ष्य को जल्द हासिल करने के लिए ‘भामाशाह योजना’ सर्वाधिक सार्थक सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि भामाशाह योजना के तहत राज्य में अभी तक 139 लाख परिवारों को पंजीकृत किया जा चुका है। इस योजना के कार्यान्वयन से प्रतिवर्ष 600 करोड़ से ज्यादा धन की बचत हो रही है। भामाशाह प्लेटफॉर्म के माध्यम से राज्य में करीब 40 हजार ई-मित्रा सेवा केन्द्रों द्वारा आम जन को सुलभ सेवाएं प्रदान की जा रही है।
‘स्किल इंडिया’ की परिकल्पना को राजस्थान में साकार करने के लिए सरकार निंरतर कार्य कर रही है। राज्य में देश का पहला सरकारी क्षेत्रा का स्किल विश्वविद्यालय खोला गया है। वहीं निजी क्षेत्रा का विश्वविद्यालय ‘भारतीय स्किल विकास विश्वविद्यालय’ कार्य शुरू करने जा रहा है।
श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत 2 जिलें एवं 9 शहरों को पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त किया जा चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में टॉयलेट निर्माण के क्षेत्रा में राजस्थान देश में नंबर एक राज्य है तथा 31 मार्च, 2018 तक राज्य का पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त बना दिया जाएगा।
श्रीमती राजे ने राज्य में ‘मिनिमम गर्वन्मेंट-मैक्सिमम गर्वनेंस’ को लागू करने के प्रयासों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार लगातार पुराने कानूनों को खत्म करने और संशोधित करने का कार्य कर रही है। राज्य में पहले करीब 405 कानून लागू थे जिन्हें कम करके एवं बेहतर बनाकर 280 तक लाया गया है। यह कवायद बेहतर प्रशासन में आम आदमी को जल्द न्याय दिलाने की दिशा में कारगर साबित हुई है।
बैठक में राजस्थान के मुख्य सचिव श्री ओ.पी.मीना भी उपस्थित थे।
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