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राजस्थान विश्वविद्यालय की २० लाख डिग्रीयों का मामला

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30 Jun 15
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जयपुर, भारतीय शास्त्रों में तीन तरह के व्यक्तित्वों का उल्लेख है। तीसरे तरह के लोग वे होते हैं, जो काम की कठिनता से घबरा कर काम शुरू ही नहीं करते हैं। दूसरी श्रेणी के वे लोग होते हैं, जो काम तो शुरू कर देते है परन्तु कठिनाइयां सामने आने पर उसको अधूरा ही छोड देते हैं और प्रथम श्रेणी के व्यक्तित्व वे होते हैं, जो कार्य की कठिनता को जानते हुए भी उसको शुरू करते हैं, बडे-बडे व्यवधान आने पर भी उसे अधूरा नहीं छोडते और अन्त में उसे पूरा अंजाम तक पहुचाते हैं।
राजस्थान विश्वविद्यालय में पिछले २५ वर्षो में उपाधियों का वितरण नहीं हुआ है। डिग्री पाने की राह ताकते विधार्थियों की संख्या २० लाख से ऊपर पहच गई है। विश्वविद्यालय को भी इन्तजार था ! शास्त्र सम्मत प्रथम श्रेणी के व्यक्तित्व का ! और इन्तजार खत्म हुआ श्री कल्याण सिंह के राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बनने के साथ।
श्री कल्याण सिंह को जब इस बात की जानकारी हुई कि २५ वर्षो से २० लाख डिग्रियां वितरित नहीं हुई हैं, तो दीक्षान्त समरोह के लिए तिथी दिये जाने के विश्वविद्यालय के प्रस्ताव को न केवल सिरे से नकार दिया बल्कि यह शर्त लगा दी कि जब तक २० लाख डिग्रियां तैयार न हो जायेगी, तब तक वे दीक्षान्त समारोह के लिए समय नहीं देंगे। यह एक चुनौती थी ! यह एक ऐसा बीडा था, जिसे उठाना दुधारी तलवार पर चलने जैसा था ! इस चुनौतीपूर्ण निर्णय को लेने के साथ ही कुलाधिपति के समक्ष तमाम व्यवधानों का सिलसिला खडा होने लगा।
लम्बित उपाधियों के आंकडें उपलब्ध न होने, डाटा की सॉफ्ट कॉपी गायब होने, कार्य के वर्षो पुराने होने जैसी कठिनाइयां बखान की गई। यहॉ तक की विभिन्न फर्मो, जिन्होने पूर्व में कार्य किया था, उनके कार्य नहीं करने जैसी अडचने रखी गई, परन्तु ’जहॉ चाह वहॉ राह’। राजभवन से नियमित मॉनिटरिंग किये जाने एवं कार्य को हर हालात में पूरा करने के निर्देशो की गंभीरता को देखते हुए यह सभी अडचने दूर हो गई। डिग्रियो के मुद्रण के लिए डेटा वेरिफिकेशन के लिए आयी तमाम समस्याओं को कुलाधिपति ने अपने हस्तक्षेप से समाधान का रास्ता दिखाया। डिग्रियों की तैयारी की सामान्य प्रकि्रया से हटकर कुलाधिपाति ने अनेक कठोर निर्णय लेकर इस मिशन को अंजाम तक पहुचाया मसलन अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध डेटा के हिन्दी रूपान्तरण के कार्य को फर्म को ही सौंप कर उसमें संशोधन के संबन्ध में आपत्तिया मांगने के निर्देश दिये गये। उपाधियों के वर्षवार एवं विषयवार डेटा जो सॉफ्ट कॉपी में परिवर्तित नहीं हुए थे, उसे भी वर्तमान प्रिन्टर को उपलब्ध कराने के आदेश दिये। साथ ही मुदि्रत उपाधियों की प्रतिदर्श जॉच की व्यवस्था कराई गई।
विश्वविद्यालय के सूत्रों के अनुसार कुलाधिपति श्री कल्याण सिंह ने इस मिशन को पूरा करने के लिए ३९ बैठकें राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति/प्रशासन के साथ बतौर मॉनीटरिंग की। यही नहीं इस असंभव कार्य को पूरा करने के लिए तथा इसकी दिन प्रतिदिन मॉनीटरिंग के लिए प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का भी गठन किया। राजस्थान के शैक्षिक जगत से जुडे हर व्यक्ति की जुबान पर है कि कुलाधिपति श्री कल्याण सिंह की इच्छाशक्ति की वजह से ही ७ जुलाई का दिन इतिहास की तारीख में दर्ज होने जा रहा है। यह वह दिन है जब २० लाख छात्र डिग्रीयों को प्राप्त करेगें। हालाकि कुलाधिपति इस कार्य का श्रेय राजस्थान विश्वविद्यालय की टीम को ही देना चाहते है।
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