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बाल विवाह नहीं हो इस हेतु समाज में जन चेतना आवश्यक-जिला न्यायाधीश

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24 Apr 17
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प्रतापगढ/ ए०डी०आर० सेन्टर के कॉन्फ्रेंस हॉल में आज जिला एंव सत्र न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक अधिकारीगण, जिला स्तरीय अधिकारीगण एंव पुलिस अधिकारीगण, अभिभाषकगण व जन प्रतिनिधियों की एक सामुहिक बैठक आयोजित की गई तथा इस कार्यशाला में बाल विवाह रोकने हेतु जन साधारण में वातावरण बनाने तथा इस हेतु विभिन्न स्तर पर प्रयास करने तथा यदि इसमें कोई व्यवधान आता है तो उसके लिये कानूनी प्रावधानों के तहत कार्यवाही करने पर विचार विमर्श किया गया।
इस अवसर पर बैठक का संचालन लोक अभियोजक तरूणदास वैरागी द्वारा किया गया। जिला एंव सत्र न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बैठक को अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए बताया कि बाल विवाह समाज में कुरीति है। १८ वर्ष से कम की बालिका एंव २१ वर्ष से कम आयु के बालक के विवाह का कानून में निषेध है। यह निषेध इस कारण है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उक्त आयु से कम के बालक व बालिका के विवाह अनुचित है व कम उम्र में बालिका मानसिक व शारीरिक रूप से विवाह के उपयुक्त नहीं होती है तथा इसी प्रकार बालक भी २१ वर्ष की आयु के पूर्व परिपक्व नहीं होता है। उन्होने इस सम्बन्ध में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, के प्रावधानों पर विस्तृत प्रकाश डाला।
प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव विक्रम सांखला ने बैठक में उपस्थित गणमान्यों का स्वागत करते हुए बताया कि उपखण्ड अधिकारी को कानून में बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी बनाया गया है और उपखण्ड अधिकारी स्वप्रेरणा पर तथा किसी भी व्यक्ति के आवेदन पर बाल विवाह रोकने हेतु निषेधाज्ञा जारी करने में सक्षम है और इस सन्दर्भ में चूंकि बाल विवाह अपराध है, पुलिस विभाग भी इसका प्रसंज्ञान लेकर कार्यवाही करने में सक्षम है तथा यह अपराध अजमानतीय बनाये जाने के साथ साथ प्रमाणित होने पर किये गये अपराध हेतु दो वर्ष तक की सजा व एक लाख रूपये तक का जुर्माना किये जाने का प्रावधान किया गया है। इस अवसर पर उन्होने प्रशासन की ओर रूख करते हुए कहा कि निमंत्रण पत्र छापने वाले प्रिन्टींग प्रेस, भोजन बनाने वाले हलवाई, विवाह करवाने वाले पण्डित व बेण्ड बाजे वालों को भी आगाह किया जा सकता है कि यदि उन्होने ऐसे किसी अवसर पर सहयोग किया तो उनके विरूद्ध भी कार्यवाही हो सकती है।
आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुन्दरलाल बंशीवाल ने बाल विवाह प्रतिषेध से संबंधित प्रमुख कानूनी प्रावधानों की जानकारी देते हुए सभी से अपील की कि बाल विवाह रोकथाम हेतु हर सम्भव प्रयास सभी को मिलकर करना होगा।
बैठक में उपस्थित जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष शांतिलाल आंजना ने इस अवसर पर कानून के साथ साथ जन प्रतिनिधियों के स्तर पर व प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से जन चेतना हेतु भागीरथ प्रयास का आग्रह किया। उन्होने आशा व्यक्त की कि आगामी अक्षय तृतीया को इस जिले में कोई बाल विवाह न हो, इस हेतु हम प्रशासन का सहयोग करते हुए कीर्तिमान स्थापित करेंगे।
कार्यक्रम के दौरान लोक कला मंडल गौतमेश्वर के शंकरलाल तथा साथी कलाकारों द्वारा एक लघु नाटक का मंचन करते हुए बाल विवाह के दुष्परिणामों को रोचक तरिके से प्रदर्शित किया।
इसी अवसर पर राजस्थान पीडत प्रतिकर स्कीम २०११ के तहत अपराध के फलस्वरूप पीडत पक्षों को पीडत प्रतिकर राशि का भुगतान किया गया। जिसमें एक पक्ष जिसमें पीडता को जलाकर मारने के प्रयास के फलस्वरूप गम्भीर शारिरीक क्षति हुई, जिस प्रकरण को प्राधिकरण अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने अत्यन्त गम्भीर कुकृत्य की संज्ञा दी एवं पीडता की माता को प्रतिकर राशि एक लाख पिचहत्तर हजार रूपये का चेक अदा किया। उल्लेखनीय है कि इसी प्रकरण में प्राधिकरण द्वारा पूर्व में २५००० रूपये अंतरिम प्रतिकर के रूप में अदा किये जा चुके हैं। साथ नाबालिग बलात्संग के दो अन्य प्रकरणों में भी प्राधिकरण अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह द्वारा पीडत पक्षों को दो-दो लाख रूपये की राशि पीडत प्रतिकर के रूप में अदा की गई।
अन्त में प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव ने बैठक में पधारे सभी गणमान्यों का आभार व्यक्त करते हुए प्राधिकरण अध्यक्ष की अनुमति से बैठक का सधन्यवाद समापन किया।

कार्यक्रम में इन्होंने की शिरकत एवं रखे अपने विचार ः-
जिला एवं सेशन न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह, प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव विक्रम सांखला, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुन्दरलाल बंशीवाल, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रतापगढ हेमराज मीणा, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अरनोद मु० प्रतापगढ श्रीमती कुमकुमसिंह, न्यायिक मजिस्ट्रेट कुलदीप राव, पुलिस विभाग - डीप्टी शैतानसिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओ०पी० बैरवा, संदीप शर्मा कॉर्डिनेटर पीसीपीएनडीटी, समाज कल्याण अधिकारी जे०पी० चांवरिया, जिला बार एसोसियेशन अध्यक्ष शांतिलाल आंजना, एडवोकेट कुलदीप शर्मा, घनश्यामदास वैरागी, भूपेन्द्र ग्वाला, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य एडवोकेट मुकेश चारण एवं ललिता गांधी तथा न्यायिक कर्मचारीगण।



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