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रणनीति अब ओमान के जरिए चीन के बढ़ते कदमों पर ब्रेक लगाएगा भारत

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15 Feb 18
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चीन लगातार भारत को घेरने की जो कवायद कर रहा है वह वास्तव में भारत को परेशान करने वाली है। चीन ने इसमें अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। चीन की नईं रणनीति में भारत के पड़ोसी देशों में बंदरगाहों के निर्माण में अपना सहयोग देने के नाम पर काफी बड़ा निवेश किया जा रहा है। म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान और मालद्वीप में चीन इसी तर्ज पर आगे बढ़ रहा है।
इसके अलावा वह अप्रीकी महाद्वीप स्थित जिबूती में अपनी नौसेना का बेस बनाने के बाद अब वह नामिबिया में भी एक बंदरगाह के निर्माण में जुटा है।
चीन की यह पूरी कवायद भारत पर रोक लगाने और उस पर करीबी निगाह रखने को लेकर की जा रही है। चीन यह भी मानता है कि दक्षिण एशिया में भारत की जो स्थिति है वह उसके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। चीन के यही बढ़ते कदम भारत के लिए भी पेरशानी का सबब बनते जा रहे हैं। लेकिन अब भारत को इसका जवाब मिल गया है। भारत अब ओमान के रास्ते चीन के इन बढ़ते कदमों पर ब्रेक लगाने की तरफ आगे बढ़ चुका है।
आपको बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया विदेश दौरे में ओमान भी शामिल था। इस दौरे पर भारत को एक बड़ी रणनीतिक कामयाबी मिली।
इसके तहत दोनों देशों के बीच एक अहम रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। समझौते के मुताबिक भारतीय नौसेना को ओमान के दुक्म पोर्ट तक पहुंच हासिल हो गईं है। पािमी हिद महासागर में भारत की पहुंच के हिसाब से यह समझौता काफी अहम है जिसके दूरगामी परिणाम आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे।ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोपेसर हर्ष वी पंत का कहना है कि इससे भारत को जरूरत बढ़त बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत के इस कदम से चीन के बढ़ते कदमों का रोका जा सकेगा।
लिहाजा यह पोर्ट भारत के लिहाज से काफी खास है।भारत से पहले दुक्म में अमेरिका 2013-14 में ही अपनी मौजूदगी मजबूत कर चुका है। इसके अलावा ब्रिटेन भी ऐसा कर चुका है। चीन ने भी यहां भारी निवेश किया है। चीन ने अगस्त 2016 में दुक्म पोर्ट पर 35 करोड़ डॉलर (2,246 करोड़ रुपये) से ज्यादा का निवेश किया था।
भारत के ओमान के साथ लंबे और करीबी राजनीतिक संबंध रहे हैं। ओमान की भारत के लिए भू-रणनीतिक अहमियत है, क्योंकि वह र्पसियन गल्फ और हिद महासागर के महत्वपूर्ण जलमार्ग पर स्थित है। इसके अलावा, ओमान उस क्षेत्र में वास्तविक ’गुट-निरपेक्ष’ देश है। वह अरब जीसीसी का हिस्सा तो है लेकिन उसके ईंरान के साथ भी गहरे संबंध हैं।
ईंरान के साथ न्यूक्लियर डील पर बातचीत के लिए अमेरिका ने ओमान की मदद ली थी।
.चीन के बढ़ते कदम भारत के लिए बन रहे हैं परेशानी का सबब .मोदी के ओमान दौरे में भारत को मिली बड़ी रणनीतिक कामयाबी, दुक्म पोर्ट तक पहुंच हासिल
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